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आदिवासी सांसदों ने सोनिया गांधी के खिलाफ दिया विशेषाधिकार हनन का नोटिस

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नई दिल्ली. कांग्रेस नेता सोनिया गांधी के राष्ट्रपति को लेकर की गई टिप्पणी ने संसद में एक नया राजनीतिक विवाद खड़ा कर दिया है. बीजेपी के आदिवासी सांसदों ने राज्यसभा के सभापति को पत्र लिखकर सोनिया गांधी के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का नोटिस दिया है. सांसदों ने मांग की है कि इस बयान पर कानूनी कार्रवाई की जाए और सोनिया गांधी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए. इस नोटिस में बीजेपी नेताओं का कहना है कि सोनिया गांधी ने जो शब्द राष्ट्रपति के बारे में कहे, वह न केवल अपमानजनक थे, बल्कि उन्होंने देश के उच्चतम संवैधानिक पद की गरिमा को भी ठेस पहुंचाई है. सोनिया गांधी ने राष्ट्रपति के संबोधन पर टिप्पणी करते हुए कहा था कि बेचारी राष्ट्रपति, आखिरी तक बहुत थक चुकी थीं… वह मुश्किल से बोल पा रही थीं, बेचारी.’ इस टिप्पणी के बाद से ही विवाद शुरू हो गया था.

राष्ट्रपति पद की गरिमा को नुकसान पहुंचाया- बीजेपी सांसद

बीजेपी सांसदों ने इसे राष्ट्रपति पद की गरिमा को नुकसान पहुंचाने वाली और संसद की कार्यवाही के लिए अनुचित बताया. बीजेपी नेताओं ने कहा कि सोनिया गांधी के इस बयान को किसी भी प्रकार से संसदीय विशेषाधिकार के दायरे में नहीं रखा जा सकता और यह एक गंभीर मामला है. नोटिस में सांसदों ने लिखा कि हाल ही में सांसद सोनिया गांधी द्वारा भारत के माननीय राष्ट्रपति के खिलाफ की गई कुछ असंसदीय, अपमानजनक और अपमानजनक टिप्पणियों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की मांग करते हैं. ये बयान राष्ट्रपति के कद और गरिमा को कम करने वाला है. ऐसी टिप्पणियां न केवल कार्यालय की गरिमा को कम करती हैं बल्कि संसदीय प्रक्रियाओं और परंपराओं की पवित्रता का भी उल्लंघन करती हैं.

अपमानजनक शब्द नहीं बोलने चाहिए- बीजेपी सांसद

नोटिस में साफतौर पर सांसदों ने लिखा कि राष्ट्रपति के खिलाफ सोनिया गांधी के बयानों को किसी भी तरह से संसदीय विशेषाधिकारों का लाभ नहीं मिल सकता है. राजा राम पाल बनाम अध्यक्ष, लोकसभा (कुख्यात कैश-फॉर-वोट मामला) में फैसले का जिक्र भी किया. इसके अलावा, सभी संसदों ने लिखा कि आचार संहिता में यह प्रावधान है कि किसी भी सदस्य को दूसरों के खिलाफ अपमानजनक शब्द नहीं बोलने चाहिए. आगे नोटिस में लिखा कि सोनिया गांधी का ये बयान आदिवासी विरोधी मानसिकता का क्लियर डिस्कोलजर है, जिन्हें अभी भी एक आदिवासी गरीब के संघर्ष और संवेदनशीलता को समझना बाकी है. संसद को संवैधानिक अधिकारियों के प्रति शिष्टाचार, मर्यादा और सम्मान बनाए रखने की जिम्मेदारी सौंपी गई है. नोटिस में सांसदों ने कहा कि इस मामले को संज्ञान में लेकर सोनिया गांधी के खिलाफ उचित अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू करें. ऐसी कार्रवाई न केवल संसदीय नियमों की पवित्रता को बनाए रखने के लिए और सिद्धांतों को मजबूत करने के लिए भी जरूरी है.

साभार : टीवी9 भारतवर्ष

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