वाशिंगटन. 97वें ऑस्कर अवॉर्ड सेरेमनी में ‘नो अदर लैंड’ को बेस्ट डॉक्यूमेंट्री फिल्म से नवाजा गया है। ये फिल्म गाजा के वेस्ट बैंक के फिलिस्तीनी समुदाय मसाफेर यट्टा की कहानी बताती है। इस डॉक्यूमेंट्री को फिलीस्तीनी एक्टिविस्ट बदेल अद्र और इजराइली जर्नलिस्ट युवल अब्राहम ने मिलकर बनाया है। इस साल एशियन और मिडिल ईस्टर्न सिनेमा से जापान की ‘ब्लैक बॉक्स डायरीज़’, भारतीय-अमेरिकी ‘अनुजा’ और फिलिस्तीन-इजराइली कलेक्टिव की ‘नो अदर लैंड’ शामिल हैं। लेकिन यह पहली बार नहीं है जब ऑस्कर मंच ने एशियाई फिल्म मेकर्स की प्रतिभा को पहचाना है। साल 1952-2023 तक ऑस्कर के इतिहास में 7 अलग-अलग फेज रहे हैं, जब एशियाई फिल्मों ने सुर्खियां बटोरीं। हर फेज बताता है कि कैसे गवर्नमेंट पॉलिसी और इकोनामिक रिलेशन इन विकल्पों को प्रभावित करते हैं। हालांकि आधिकारिक तौर पर कभी इसे स्वीकार नहीं किया गया है।
1950- जापान का अमेरिकी सैन्य सहयोगी से ट्रेड दिग्गज के रूप में उभरना
1950 के दशक में दूसरे विश्व युद्ध के बाद जापान में कमाल का ट्रांसफॉर्मेंशन देखने को मिला। 1952 में आजादी मिलने के बाद, जापान ने अपने न्यूक्लियर प्रोटेक्शन को स्वीकारते हुए अमेरिका के साथ एक सैन्य संधि पर हस्ताक्षर किए। पीएम शिगेरू योशिदा के सिद्धांत पर जापान ने अमेरिकी समर्थन के साथ आर्थिक विकास पर ध्यान केंद्रित किया। जल्द ही,अमेरिकी मुक्त व्यापार नीतियों के कारण जापानी एक्सपोर्ट में उछाल आया, जिससे अमेरिकी बाजार जापानी कारों और इलेक्ट्रॉनिक्स से भर गईं।दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने के बाद, 1960 के दशक में जापान-अमेरिका संबंध ठंडे पड़ गए। 70 के दशक में निक्सन की नीतियों ने दोनों देशों के संबंधों को और अधिक तनावपूर्ण बना दिया। इसमें डॉलर-गोल्ड कन्वर्जन को समाप्त करना भी शामिल था। हालांकि, 1961-2002 तक जापानी फिल्मों ने 10 ऑस्कर नामांकन हासिल किए। लेकिन कोई भी अवॉर्ड नहीं मिला। ये बढ़ती आर्थिक प्रतिद्वंद्विता को दर्शाता है।
साभार : दैनिक भास्कर
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