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अब होंगी जीएसटी की सिर्फ दो दरें, 18 और 5 प्रतिशत

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केंद्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारामन की अध्यक्षता में जीएसटी परिषद्‌ की 56वीं बैठक नई दिल्ली में आयोजित हुई। जीएसटी परिषद् ने अन्य विषयों के अतिरिक्त, लोगों, आम आदमी, महत्वाकांक्षी मध्यम वर्ग को राहत प्रदान करने और जीएसटी में व्यापार को सुगम बनाने के उपायों के लिए जीएसटी टैक्स दरों में बदलाव से संबंधित सिफारिशें कीं। संशयों के समाधान के लिए एफएक्यू भी जारी किए जा रहे हैं। 56वीं जीएसटी परिषद् की ओर से की गई सिफारिशें निम्नलिखित हैं:

  1. वस्तुओं और सेवाओं की जीएसटी दरों में बदलाव
  2. वस्तुओं पर जीएसटी दरों से संबंधित सिफारिशें
  3. वस्तुओं की जीएसटी दरों में बदलाव

2. वस्तुओं से संबंधित अन्य बदलाव

  1. यह निर्णय लिया गया है कि पान मसाला, गुटखा, सिगरेट, अनमैन्युफैक्चर्ड तंबाकू, जर्दा जैसे चबाने वाले तंबाकू पर लेन-देन मूल्य के बजाय खुदरा बिक्री मूल्य (आरएसपी) पर जीएसटी लगाया जाएगा।
  2. भारत के राष्ट्रपति के लिए राष्ट्रपति सचिवालय की ओर से आयात की गई नई बख्तरबंद सेडान कार पर एडहॉक आईजीएसटी और क्षतिपूर्ति उपकर से छूट देने का निर्णय लिया गया है।
  3. सेवाओं पर जीएसटी दरों से संबंधित सिफारिशें
  4. सेवाओं की जीएसटी दरों में बदलाव

2. सेवाओं से संबंधित अन्य बदलाव

  1. परिषद् ने रेस्टोरेंट सेवाओं की कर-देयता के संदर्भ में ‘निर्देशित परिसर’ की परिभाषा में स्पष्टीकरण जोड़ने की सिफारिश की है, जिससे यह स्थिति स्पष्ट की जा सके कि एक स्टैंड-अलोन रेस्टोरेंट खुद को ‘निर्देशित परिसर’ घोषित नहीं कर सकता है और फलस्वरूप, आईटीसी के साथ 18% की दर से जीएसटी का भुगतान करने का विकल्प नहीं प्राप्त कर सकता है।
  2. परिषद् ने मूल्यांकन नियमों को लॉटरी टिकटों पर लागू कर की दर में बदलाव के आधार पर बनाने की सिफारिश की है, जीएसटी मूल्यांकन नियमों में कुछ संशोधन किए जा रहे हैं।

  1. कार्यान्वयन की तारीख से जुड़ी सिफारिशें

परिषद् का विचार था कि वस्तुओं और सेवाओं की जीएसटी दरों में बदलाव 22 सितंबर 2025 से लागू किए जाने चाहिए। हालांकि, क्षतिपूर्ति उपकर खाते के अंतर्गत दायित्व को पूरा करने हेतु फंड्स की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए, परिषद् ने निर्णय लिया कि जीएसटी दरों में बदलाव निम्नलिखित चरणबद्ध तरीके से लागू किए जा सकते हैं:

  1. सेवाओं पर जीएसटी दरों में बदलाव 22 सितंबर 2025 से लागू होंगे।
  2. पान मसाला, गुटखा, सिगरेट, जर्दा जैसे चबाने वाले तंबाकू उत्पाद, अनमैन्युफैक्चर्ड तंबाकू और बीड़ी को छोड़कर सभी वस्तुओं की जीएसटी दरों में बदलाव 22 सितंबर 2025 से लागू होंगे।
  3. पान मसाला, गुटखा, सिगरेट, जर्दा जैसे चबाने वाले तंबाकू उत्पाद, अनमैन्युफैक्चर्ड तंबाकू और बीड़ी पर जीएसटी और क्षतिपूर्ति उपकर की मौजूदा दरें लागू रहेंगी, जब तक क्षतिपूर्ति उपकर खाते के अंतर्गत लोन और ब्याज भुगतान दायित्वों का पूरी तरह भुगतान नहीं हो जाता।
  4. उपरोक्त (सी) के आधार पर, केंद्रीय वित्त मंत्री और जीएसटी परिषद् के अध्यक्ष ऊपर बताई गई वस्तुओं के लिए परिषद् की ओर से मंजूर की गई जीएसटी की संशोधित दरों में बदलाव की वास्तविक तिथि तय कर सकते हैं।
  5. सीजीएसटी अधिनियम, 2017 में अपेक्षित संशोधन लंबित होने तक, केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) प्रणाली की ओर से किए गए डेटा विश्लेषण और जोखिम मूल्यांकन के आधार पर इन्वर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर से आए 90% प्रोविजनल रिफंड प्रदान करने की संशोधित प्रणाली का प्रशासनिक रूप से कार्यान्वयन शुरू करेगा, जैसा कि शून्य-रेटेड आपूर्ति के चलते जोखिम आधारित प्रोविजनल रिफंड के मामले में होता है।

B. व्यापार को सुविधाजनक बनाने के उपाय

  1. प्रक्रिया में सुधार

  1. जीएसटी परिषद् ने व्यापार को सुविधाजनक के लिए कई निर्णय लिए हैं और विभिन्न उपायों की सिफारिश की है। जीएसटी कानून और प्रक्रिया से संबंधित प्रक्रिया सुधार और अन्य उपाय अनुलग्नक-V में दिए गए हैं। इन प्रक्रिया सुधारों के कार्यान्वयन की तारीख यथासमय अधिसूचित की जाएगी।

  1. वस्तु एवं सेवा कर अपीलीय न्यायाधिकरण (जीएसटीएटी) का संचालन

वस्तु एवं सेवा कर अपीलीय न्यायाधिकरण (जीएसटीएटी) सितंबर के अंत से पहले अपील स्वीकार करने के लिए चालू हो जाएगा और इस वर्ष दिसंबर के अंत से पहले सुनवाई शुरू कर देगा। परिषद् ने लंबित अपीलों को दायर करने की समय-सीमा के लिए 30.06.2026 की तारीख की भी सिफारिश की। जीएसटीएटी की प्रधान पीठ एडवांस रूलिंग के लिए राष्ट्रीय अपीलीय प्राधिकरण के तौर पर भी कार्य करेगी। ये उपाय विवाद समाधान के लिए एक मजबूत तंत्र प्रदान कर, अग्रिम निर्णयों में एकरूपता सुनिश्चित करके और करदाताओं को अधिक निश्चितता प्रदान करके जीएसटी के संस्थागत फ्रेमवर्क को विशेष रूप से मजबूत करेंगे। इससे जीएसटी व्यवस्था के अंतर्गत भरोसा, पारदर्शिता और ईज ऑफ डूइंग बिजनेस बढ़ेगा।

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