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आपराधिक कार्यवाही में इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य

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न्यायिक प्रक्रिया की गति, दक्षता और पारदर्शिता में महत्वपूर्ण सुधार लाने के लिए ई-साक्ष्य, ई-समन और न्याय-श्रुति (वीसी) जैसे अनुप्रयोग विकसित किए गए हैं। जहां ई-साक्ष्य डिजिटल साक्ष्य के वैध, वैज्ञानिक और छेड़छाड़-रहित संग्रह, संरक्षण और इलेक्ट्रॉनिक प्रस्तुति में मदद करता है, जिससे प्रामाणिकता सुनिश्चित होती है और देरी कम होती है, वहीं ई-समन इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों से समन वितृत करने की सुविधा प्रदान करता है, जिससे प्रक्रिया तेज़, समयबद्ध और आसानी से ट्रैक करने योग्य हो जाती है। न्याय-श्रुति (वीसी) वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अभियुक्तों, गवाहों, पुलिस अधिकारियों, अभियोजकों, वैज्ञानिक विशेषज्ञों, कैदियों आदि की आभासी उपस्थिति को सुगम बनाता है। अस्पतालों के साथ मेडिको लीगल रिपोर्टों का आदान-प्रदान करने के लिए मेडिको लीगल एक्जामिनेशन एंड पोस्टमार्टम रिपोर्टिंग (मेडलीपीआर) एप्लिकेशन के साथ एकीकरण भी प्रदान किया गया है।

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) ने नए आपराधिक कानूनों के प्रावधानों के अनुसार 23 नई कार्यक्षमताएं प्रदान करने हेतु अपराध और अपराधी ट्रैकिंग नेटवर्क सिस्टम (सीसीटीएनएस) एप्लिकेशन को उन्नत करने हेतु सॉफ्टवेयर पैच विकसित किए हैं। ये पैच राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को तैनाती के लिए दिए गए हैं।

एनसीआरबी ने सभी हितधारकों के लाभ के लिए नए आपराधिक कानूनों पर एक व्यापक गाइड के रूप में ‘एनसीआरबी संकलन ऑफ क्रिमिनल लॉज़’ नामक एक मोबाइल ऐप भी लॉन्च किया है। यह मोबाइल ऐप एंड्रॉइड और आईओएस प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध है।

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएनएस), 2023 की धारा 254 (सुरक्षा के लिए साक्ष्य), धारा 265 (अभियोजन पक्ष के लिए साक्ष्य) और धारा 266 (बचाव पक्ष के लिए साक्ष्य) साक्ष्य को रिकॉर्ड करने और गवाहों की जांच के लिए ऑडियो-वीडियो इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों के उपयोग का प्रावधान करती हैं। इसके अलावा, बीएनएसएस की धारा 530 यह प्रावधान करती है कि बीएनएसएस के तहत सभी मुकदमे, जांच और कार्यवाही इलेक्ट्रॉनिक मॉड में, इलेक्ट्रॉनिक संचार के उपयोग से या ऑडियो-वीडियो इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों के उपयोग से आयोजित की जा सकती हैं।

केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री श्री बंदी संजय कुमार ने यह जानकारी लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी।

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