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भारत में कोरोना के सक्रिय मामले 6400 से अधिक हुए

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नई दिल्ली. पिछले करीब 20 दिनों से भारत में कोरोना की एक नई लहर देखी जा रही है। हर दिन के साथ संक्रमण के मामलों में इजाफा हो रहा है। 22 मई को जहां कुल एक्टिव मामले 257 थे, वो 9 जून (सोमवार) को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के कोविड डैशबोर्ड पर साझा किए गए रिपोर्ट के अनुसार बढ़कर 6491 हो गए हैं। पिछले 24 घंटे में ही संक्रमण के 358 नए मामले सामने आए हैं, वहीं 624 लोग संक्रमण से ठीक हो चुके हैं। देश में मुख्यरूप से ओमिक्रॉन और इसके सब-वैरिएंट्स NB.1.8.1 को प्रमुख माना जा रहा है। इसके अलावा कई स्थानों पर XFG वैरिएंट के भी केस रिपोर्ट किए जा रहे हैं। हालिया आंकड़ों के मुताबिक देश में नए उभरते कोविड-19 वैरिएंट XFG के अब तक 163 मामले पाए गए हैं।

XFG के सबसे ज्यादा मामले महाराष्ट्र में

इंडियन सार्स-सीओवी-2 जीनोमिक्स कंसोर्टियम (INSACOG) द्वारा साझा किए गए आंकड़ों के मुताबिक देश में इस नए कोविड वैरिएंट के 163 से मामले सामने आ चुके हैं। इसके सबसे अधिक 89 केस महाराष्ट्र में, उसके बाद तमिलनाडु (16), केरल (15), गुजरात (11) और आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश और पश्चिम बंगाल (छह-छह) केस सामने आए हैं। द लैंसेट जर्नल में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, रीकॉम्बिनेंट XFG वैरिएंट में चार नए म्यूटेशन हैं, जो इसे तेजी से फैलने और लोगों को संक्रमित करने में मदद कर रहे हैं। सबसे पहले कनाडा में इसकी शुरुआती पहचान की गई थी तब से ये तेजी से वैश्विक स्तर पर फैल रहा है।

बढ़ रहे हैं नए वैरिएंट के मामले

इससे पहले मई में इस वैरिएंट के कुल 159 केस सामने आए थे, जबकि अप्रैल में दो केस देखे गए थे। अब तक जून में भी दो सैंपल में इस वैरिएंट की पुष्टि की गई है। सोमवार को जारी केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, भारत में सक्रिय कोविड मामलों की संख्या करीब 6500 होने वाली है, जिसे देखते हुए स्वास्थ्य विशेषज्ञ सभी लोगों को सतर्क रहने और कोरोना से बचाव को लेकर गंभीरता से ध्यान देने की सलाह दे रहे हैं।

XFG वैरिएंट कितना खतरनाक?

इस नए और उभरते  XFG वैरिएंट को लेकर प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार ये वैरिएंट LF.7 और LP.8.1.2 से उत्पन्न हुआ है और इसमें चार प्रमुख स्पाइक म्यूटेशन (His445Arg, Asn487Asp, Gln493Glu, और Thr572Ile) हैं। ये म्यूटेशंस ही इसे सबसे तेजी से बढ़ने वाले वैरिएंट में से एक बनाते हैं। फिलहाल इसे भी ओमिक्रॉन के अन्य सब-वैरिएंट्स की तरह ज्यादा गंभीर या फिर चिंताजनक रोग कारक नहीं माना जा रहा है। इसकी प्रकृति अति संक्रामकता वाली जरूर है इसलिए बचाव को लेकर अलर्ट रहना जरूरी है।

साभार : अमर उजाला

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