नई दिल्ली. 26/11 मुंबई आतंकी हमले के मुख्य आरोपी तहव्वुर राणा से राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) लगातार पूछताछ कर रही है. एजेंसी राणा के वॉयस सैंपल और हैंडराइटिंग सैंपल लेने की तैयारी कर रही है, ताकि यह साबित किया जा सके कि फोन पर बातचीत करने वाला शख्स वही था. जरूरत पड़ने पर राणा का वैज्ञानिक परीक्षण भी करवाया जा सकता है. यह परीक्षण एजेंसी की जांच को मजबूती देगा. यदि तहव्वुर राणा वॉयस सैंपल देने से इनकार करता है तो NIA कोर्ट में आवेदन दाखिल कर सकती है. वॉइस सैंपल आरोपी की रजामंदी से ही लिया जाता है, लेकिन अगर वह मना करता है तो एजेंसी कोर्ट को बता सकती है कि जांच के लिए यह सैंपल जरूरी है. यह इनकार राणा के खिलाफ चार्जशीट में भारी पड़ सकता है. NIA हेडक्वार्टर में ही राणा के वॉयस सैंपल लिए जा सकते हैं, जिसके लिए बकायदा गृह मंत्रालय की CFSL के एक्सपर्ट की मदद ली जाएगी.
जांच में अधिकारियों राणा का गोलमोल जवाब
मुंबई हमलों के मास्टरमाइंड तहव्वुर राणा से अधिकारियों को शुरुआती दौर की पूछताछ से संतोषजनक जानकारी नहीं मिल पाई है. बताया जा रहा है कि राणा से करीब तीन घंटे तक पूछताछ की गई, जिसमें वह बार-बार “याद नहीं” और “पता नहीं” जैसे जवाब देता रहा. पूछताछ के दौरान जांच अधिकारियों ने राणा से उसके परिवार, दोस्तों और संपर्कों के बारे में जानकारी लेनी चाही, लेकिन वह टालमटोल करता रहा. एजेंसियों का मानना है कि राणा जानबूझकर सहयोग नहीं कर रहा है और समय खींचने की कोशिश कर रहा है. भारत की जांच एजेंसियों के लिए राणा एक अहम कड़ी है, क्योंकि माना जाता है कि वह पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा और आईएसआई के साथ मिलकर मुंबई हमलों की साजिश में शामिल रहा है.
18 दिन को लिए हिरासत में राणा
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने राणा के अमेरिका से भारत प्रत्यर्पण के बाद गुरुवार को नई दिल्ली के पालम हवाई अड्डे पर पहुंचते ही उसे हिरासत में ले लिया. इसके बाद राणा को पटियाला हाउस स्थित एनआईए की विशेष अदालत में पेश किया गया, जहां से उसे 18 दिन की हिरासत में भेज दिया गया. एनआईए अब राणा से 2008 के मुंबई हमलों की साजिश के बारे में विस्तार से पूछताछ करेगी, जिसमें 166 लोग मारे गए थे और 238 से अधिक घायल हुए थे. कोर्ट में पेशी के दौरान एनआईए ने कहा कि राणा से पूछताछ के जरिए हमले से जुड़े अन्य लोगों और साजिश के पूरे नेटवर्क का पता लगाया जाएगा. जांच एजेंसी का कहना है कि यह प्रत्यर्पण आतंकवाद के खिलाफ भारत की लड़ाई में बड़ी कामयाबी है.
साभार : एबीपी न्यूज
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