नई दिल्ली. लोकगायिका और एक्टिविस्ट नेहा सिंह राठौर को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है. सोमवार को शीर्ष अदालत ने उनके खिलाफ दर्ज FIR रद्द करने से इनकार करते हुए साफ कहा, “जाओ और ट्रायल फेस करो.” कोर्ट ने कहा कि वह इस वक्त किसी भी तरह का हस्तक्षेप नहीं करेगी और न ही केस के मेरिट पर कोई राय दे रही है. जस्टिस जे.के. महेश्वरी और कुलदीप बिश्नोई की बेंच ने सुनवाई के दौरान स्पष्ट किया कि यह मामला देश की संप्रभुता, एकता और अखंडता को खतरे में डालने के आरोप से जुड़ा है, इसलिए इस स्तर पर कोई राहत नहीं दी जा सकती. सुप्रीम कोर्ट ने नेहा को यह छूट जरूर दी कि वह आरोप तय होने के समय अपनी दलीलें पेश कर सकती हैं.
क्वाशिंग रिजेक्शन मात्र, अब ट्रायल का सामना करो: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने साफ कहा, “यह सिर्फ एफआईआर क्वाश करने से इनकार है, अब ट्रायल फेस करो.” अदालत ने यह भी कहा कि अगर नेहा के खिलाफ लगाए गए आरोपों में दम नहीं है, तो वह निचली अदालत में अपनी सफाई पेश कर सकती हैं. यह मामला दरअसल इलाहाबाद हाई कोर्ट के 19 सितंबर के आदेश से जुड़ा है, जिसमें हाई कोर्ट ने भी एफआईआर को रद्द करने से मना कर दिया था.
क्या है मामला- ‘पहलगाम पोस्ट’ से मचा था बवाल
नेहा सिंह राठौर पर आरोप है कि उन्होंने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट शेयर की थी जो पहलगाम आतंकी हमले से जुड़ी थी. एफआईआर में कहा गया है कि इस पोस्ट के जरिए उन्होंने एक खास धार्मिक समुदाय को निशाना बनाया और देश की एकता को खतरे में डाला. यह एफआईआर हजरतगंज पुलिस स्टेशन में अप्रैल के आखिरी हफ्ते में अभय प्रताप सिंह नाम के व्यक्ति की शिकायत पर दर्ज की गई थी.
झूठे आरोपों में फंसाया गया: नेहा की दलील
नेहा ने सुप्रीम कोर्ट में दायर अपनी याचिका में कहा कि उन्हें गलत तरीके से फंसाया गया है. उनके खिलाफ दर्ज केस में भारतीय न्याय संहिता (Bharatiya Nyaya Sanhita) की कई धाराएं लगाई गई हैं. जिनमें सांप्रदायिक वैमनस्य फैलाने, सार्वजनिक शांति भंग करने और देश की संप्रभुता व अखंडता को खतरे में डालने के आरोप शामिल हैं उन पर आईटी एक्ट की धाराएं भी लगाई गई हैं. नेहा ने कहा कि उनका मकसद किसी समुदाय को भड़काना नहीं, बल्कि एक सामाजिक संदेश देना था.
अब आगे क्या?
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अब नेहा को ट्रायल कोर्ट में पेश होकर अपनी दलीलें रखनी होंगी. कानूनी जानकारों का कहना है कि अगर कोर्ट को लगता है कि पोस्ट में भड़काऊ या सांप्रदायिक मंशा थी, तो मुकदमा आगे बढ़ेगा. अन्यथा, शुरुआती चरण में ही उन्हें राहत मिल सकती है.
साभार : न्यूज18
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