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ईडी ने वसई-विरार घोटाला मामले में पूर्व कमिश्नर अनिल पवार सहित 4 को किया गिरफ्तार

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मुंबई. प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने वसई विरार नगर पालिका के पूर्व कमिश्नर अनिल पवार, नगर योजना विभाग के वाई.एस. रेड्डी, और दो बिल्डरों सीताराम गुप्ता व अरुण गुप्ता को मनी लॉन्ड्रिंग के गंभीर आरोपों में गिरफ्तार कर लिया है. कल सभी को ईडी कोर्ट में पेश किया जाएगा और ईडी रिमांड लेंगी. यह कार्रवाई 41 अवैध इमारतों से जुड़े भ्रष्टाचार के एक बड़े नेटवर्क का हिस्सा मानी जा रही है. ED ने अपनी छापेमारी में पिछले 15 दिनों में अनुमानित 1.33 करोड़ नकद जब्त किया जो पवार के निकट संबंधियों के ठिकानों से बरामद हुआ. साथ ही कई अरबों में संपत्तियों के दस्तावेज और डिजिटल सबूत भी कब्जे में लिए गए हैं. जांच में यह भी सामने आया कि अनिल पवार ने एक भ्रष्टाचार का कार्टेल गठित किया था जिसमें नगर योजना के अधिकारी, जूनियर इंजीनियर, आर्किटेक्ट, चार्टर्ड अकाउंटेंट और लायजनर्स शामिल थे.

2025 प्रति स्क्वायर फीट रिश्वत लेने का मामला

इस नेटवर्क ने बिल्डरों से भारी रिश्वत वसूली. रिपोर्टों के अनुसार 2025 प्रति वर्ग फुट तक का रेट निर्धारित था (पवार के हिस्से के लिए), जबकि रेड्डी 10 प्रति वर्ग फुट लेता था. यानी अनुमान के हिसाब से अगर वसई विरार महानगरपालिका के अंतर्गत हर महीने औसतन अगर लिया जाए कि 10 स्क्वायर फिट का काम हो रहा था तो अनिल पवार को महीने में 2 से 2.5 करोड़ और रेड्डी जो नगर रचना विभाग के चीफ थे उन्हें 1 करोड़ तक कि इनकम हो रही थी. हालांकि आंकड़ा बहुत कम अनुमानित किया गया है. असल रकम और वसई विरार में निर्माण इससे कही ज्यादा हुआ है. अवैध निर्माण 60 एकड़ आरक्षित भूमि (प्रदूषण उपचार संयंत्र व कूड़ा डंपिंग ग्राउंड) पर किया गया था. इन 41 इमारतों को बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश पर फरवरी 2025 में गिरा दिया गया. जिससे लगभग 2,500 परिवार बेघर हो गए. पहले मई में भी ED ने रेड्डी के हैदराबाद घर से 8.6 करोड़ नकद, 23 करोड़ से ज्यादा आभूषण, बुलियन, और अन्य संपत्तियां जब्त की थीं. रेड्डी पर आगे चलकर 31.48 करोड़ के अनुपातहीन संपत्ति का मामला भी दर्ज किया गया. सीताराम गुप्ता के घर से 45 लाख नकद एक लकड़ी के पैनल के पीछे छिपा हुआ बरामद हुआ, जो भ्रष्टाचार की भारी गहराई को दर्शाता है.

साभार : टीवी9 भारतवर्ष

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