कैनबरा. ऑस्ट्रेलिया को परमाणु पनडुब्बी देने में आनाकानी कर रहे अमेरिका को ताइवान के मुद्दे पर बड़ा झटका लगा है। ऑस्ट्रेलिया ने ताइवान को लेकर अगर कोई युद्ध चीन और अमेरिका में होता है तो इसमें वॉशिंगटन की मदद के लिए सेना भेजने से इंकार कर दिया है। ऑस्ट्रेलिया के रक्षामंत्री पैट कोनरोय ने कहा है कि वह अग्रिम में कोई वादा नहीं करेंगे। चीन का मुकाबला करने के लिए अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया के बीच परमाणु सबमरीन को लेकर ऑकस डील हुई थी। इस डील में लगातार देरी हो रही है और अमेरिका न्यूक्लियर सबमरीन देने में हीलाहवाली कर रहा है। चीन के दौरे पर पहुंचे ऑस्ट्रेलिया के पीएम एंथनी अल्बानीज ने अमेरिका के सेना भेजने के किसी अनुरोध पर भरोसा देने से किनारा कर लिया है। अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया दोनों ही क्वॉड के सदस्य हैं जिसे चीन के खिलाफ बनाया गया है।
ऑस्ट्रेलिया के पीएम ने अमेरिका के दुविधा पर ही उल्टा निशाना साध दिया जिसमें कहा जा रहा है कि अगर चीन ताइवान पर हमला करता है तो अमेरिका अपनी सेना को भेजेगा या नहीं। एंथनी ने कहा कि ऑस्ट्रेलिया चाहता है कि इस इलाके में ‘शांति और सुरक्षा’ बनी रहे। ऐसे कई खबरें आई हैं जिसमें कहा जा रहा है कि अमेरिका के रक्षा मंत्रालय ने ऑस्ट्रेलिया और अन्य सहयोगी देशों से गारंटी मांगी है कि हिंद महासागर में अगर लड़ाई छिड़ती है तो वे अपनी सेना को मदद के लिए भेजेंगे। ऑस्ट्रेलियाई रक्षा मंत्री ने कहा कि यह फैसला ऑस्ट्रेलिया की तत्कालीन सरकार करेगी।
ट्रंप बनाम चीन में फंसे ऑस्ट्रेलियाई पीएम
फाइनेंशियल टाइम्स ने शनिवार को खुलासा किया था कि अमेरिका ने ऑस्ट्रेलिया के अलावा जापान से भी सुरक्षा गारंटी मांगी है। अमेरिका के रक्षा मंत्रालय में अधिकारी एल्ब्रिज ने ताइवान युद्ध पर आस्ट्रेलिया और जापान से यह आश्वासन मांगा था। एल्ब्रिज ही ऑकस डील को भी देख रहे हैं। आस्ट्रेलियाई पीएम इस समय बड़ी दुविधा में फंसे हुए हैं। एक तरफ ट्रंप का अमेरिका है जो लगातार अपने दोस्तों पर ही टैरिफ लगा रहा है, वहीं दूसरी तरफ चीन है जो भीषण हमले करने की ताकत से लैस है। चीन ऑस्ट्रेलिया का सबसे बड़ा व्यापारिक साझीदार भी है।
अमेरिका का कहना है कि वह चाहता है कि उसके सहयोगी देश सैन्य खर्च को बढ़ाएं ताकि सामूहिक सुरक्षा को सुनिश्चित किया जा सके। आस्ट्रेलिया के पीएम इस समय 6 दिन की चीन यात्रा पर हैं। इसमें वह चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और पीएम ली किआंग से मुलाकात करेंगे। एंथनी सरकार ने कहा है कि यह यात्रा आस्ट्रेलिया के सुरक्षा और आर्थिक हितों को आगे बढ़ाने को लेकर हो रही है। ऑस्ट्रेलिया के इस कदम से क्वॉड को लेकर भी संकट पैदा हो रहा है। कई विश्लेषक यह भी कह रहे हैं कि इससे क्वॉड आगे चलकर खत्म हो जाएगा।
साभार : नवभारत टाइम्स
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