नई दिल्ली. रूस पिछले दो सालों से लगातार भारत को अपने पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान Su-57 बेचने की कोशिश कर रहा है। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन जब इस महीने दिल्ली दौरे पर आए थे तो बातें की जा रही थी कि भारत और रूस में एसयू-57 को लेकर समझौता हो सकता है। लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। अब द हिन्दू की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत, रूसी पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमाम Su-57 खरीदने में दिलचस्पी नहीं रखता है। द हिंदू के मुताबिक, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की हाल की भारत यात्रा के बाद भी नई दिल्ली सुखोई Su-57 के लिए डील को फाइनल करने के करीब नहीं है, जैसा कि मार्च में था। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत शायद इस पांचवीं पीढ़ी के फाइटर में कम दिलचस्पी ले रहा है, भले ही रूस ने को-प्रोडक्शन डील की पेशकश की हो।
जबकि इस साल मार्च के भारत में हुए एयर शो के ठीक बाद नई दिल्ली में रूस के राजदूत डेनिस अलीपोव ने कहा था कि “हम अपना खुद का पांचवीं पीढ़ी का फाइटर पेश कर रहे हैं। हमारे पास सबसे अच्छी मशीन, सुखोई-57 है। हमने इसे अभी-अभी दिखाया, इसे एयरो इंडिया में डिस्प्ले किया।” उन्होंने आगे कहा था कि “हम न सिर्फ बेचने की पेशकश कर रहे हैं, बल्कि को-प्रोड्यूस करने की भी। हम टेक्नोलॉजी शेयरिंग की पेशकश करते हैं। हम प्रोडक्शन के लिए जरूरी इंडस्ट्रियल फैसिलिटी बनाने के साथ इंडस्ट्री की पेशकश करते हैं।”
भारत नहीं खरीदेगा Su-57 लड़ाकू विमान!
पुतिन के दिल्ली दौरे का मकसद भारत के साथ आर्थिक और रक्षा समझौता करना था। लेकिन डिफेंस डील को लेकर दिल्ली की तरफ से चुप्पी देखी गई है। इसकी वजह बताते हुए द हिंदू ने एक भारतीय अधिकारी के हवाले से कहा है कि “भारत ने रूस की तरफ से पेश किए गये इक्विपमेंट में ज्यादा दिलचस्पी नहीं दिखाई।” रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि “रूसी इस दौरे के दौरान बड़ी डील होने की उम्मीद कर रहे थे और अभी भी उन प्रपोजल पर काम कर रहे हैं। हम स्वदेशी प्रोडक्ट के डेवलपमेंट पर बहुत ज्यादा ध्यान दे रहे हैं।” यानि भारत का ध्यान स्वदेशी AMCA यानि एडवांस मीडिया कॉम्बैट एयरक्राफ्ट के निर्माण पर ज्यादा है और वो रूसी पांचवीं पीढ़ी का लड़ाकू विमान खरीदकर अपना ध्यान भटकाना नहीं चाहता है।
हालांकि इसका मतलब ये नहीं है कि भारत, रूस के डिफेंस कार्यक्रम से अलग हो जाएगा। भारत को अभी भी रूस से एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम चाहिए। भारत अभी भी T-90 बैटल टैंक (MBT) का एक वेरिएंट रूस के साथ मिलकर बनाएगा। लेकिन Su-57 की कहानी अलग है। डिफेंस एक्सपर्ट्स का मानना है कि यूक्रेन युद्ध के दौरान रूसी हथियार प्रणालियों के प्रदर्शन ने कई देशों को दोबारा सोचने पर मजबूर किया है। Su-57 भले ही एयर शो में शानदार करतब दिखाता हो, लेकिन इसका वास्तविक युद्ध अनुभव और सीमित उत्पादन भारत जैसे देश के लिए भरोसेमंद विकल्प नहीं माना जा रहा।
भारत की प्रतिक्रिया से रूस में उदासी
पुतिन की यात्रा से पहले, रूसी समाचार एजेंसी TASS और क्रेमलिन की तरफ से कंट्रोल किए जाने वाले कई रूसी न्यूज आउटलेट ने दावा किया था कि Su-57 के लिए डील लगभग फाइनल हो गई है। क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने पुतिन के भारत दौरे से पहले एक प्रेस बयान में कहा था कि “यह एजेंडा (Su-57) में सबसे ऊपर है, और इस पर चर्चा हो सकती है। हमारा मिलिट्री इंडस्ट्री काफी अच्छा काम कर रहा है। भारतीय सेना में 36 प्रतिशत रूसी हथियार हैं और उम्मीद है कि यह जारी रहेगा।” पेस्कोव ने आगे कहा था कि “रूस को उम्मीद है कि भारत द्वारा Su-57 पांचवीं पीढ़ी के स्टील्थ फाइटर खरीदने की संभावना पर भी चर्चा होगी।” उन्होंने कहा था कि “Su-57 दुनिया का सबसे अच्छा प्लेन है। Su-57 एजेंडा में होगा।” लेकिन ऐसा नहीं हुआ। जिससे रूस में एक उदासी है।
साभार : नवभारत टाइम्स
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