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डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनते ही अमेरिका में टिकटॉक पर लग सकता है प्रतिबंध

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वाशिंगटन. अमेरिका में टिकटॉक पर प्रतिबंध लगना लगभग तय माना जा रहा है। अगर ऐसा होता है तो भारत के बाद एक और लोकतांत्रिक देश में यह वीडियो प्लेटफॉर्म बैन हो जाएगा। गौरतलब है कि भारत में जून 2020 से ही टिकटॉक को प्रतिबंधित कर दिया गया था। ऐसे में यह जानना अहम है कि आखिर टिकटॉक पर अमेरिका में क्यों संकट में आ गया? अमेरिका की तरफ से की जा रही कार्रवाई का भारत में लगे प्रतिबंध से क्या संबंध है? इसे लेकर क्या कानून लाया गया है? अमेरिका की न्यायालयों में टिकटॉक को लेकर क्या फैसला हुआ है? इस एप को लेकर अमेरिकी सरकारों का क्या रुख रहा है? और टिकटॉक को प्रतिबंध से बचाने का क्या चारा है?

आखिर टिकटॉक पर अमेरिका में क्यों संकट में आ गया?

भारत की तरफ से इस कार्रवाई के ठीक बाद अमेरिका में भी चीन के खतरे को लेकर चर्चाएं शुरू हो गईं। दरअसल, यह वह दौर था जब दुनियाभर में कोरोनावायरस के मामले तेजी से फैल रहे थे, जिसकी उत्पत्ति चीन के ही वुहान में होने से जुड़ी बातें सामने आ रही थीं। इससे दुनियाभर में चीन के खिलाफ माहौल भी तेजी से बनने लगा। दूसरी तरफ अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप शुरुआत से ही चीन को लेकर हमलावर रहे थे। ऐसे में टिकटॉक से राष्ट्रीय सुरक्षा पर खतरे की भारत की चिंताओं के बीच ट्रंप ने भी इसका मुद्दा उठाया। इसी कड़ी में ट्रंप ने टिकटॉक के मालिकाना हक वाली कंपनी- बाइडांस पर दबाव बनाया कि वह अमेरिका में अपना कारोबार बेच दे। हालांकि, इससे पहले कि ट्रंप बाइडांस पर कोई और कार्रवाई कर पाते, अमेरिका में नवंबर में राष्ट्रपति चुनाव का समय आ गया।

ट्रंप की तरफ से टिकटॉक को लेकर उठाई गई आवाज की गूंज बाइडन प्रशासन के दौरान भी जारी रही। अक्तूबर 2021 में फेसबुक के कुछ आंतरिक दस्तावेज लीक हुए थे, जिनके मुताबिक, कंपनी को इसकी जानकारी थी कि उसके प्लेटफॉर्म पर काफी ऐसी सामग्री है, जो समाज के लिए हानिकारक है, लेकिन इसके बावजूद लाभ को तवज्जो देने के चलते फेसबुक ने हानिकारक सामग्री को नहीं हटाया। इन खुलासों के बाद अमेरिकी संसद की समितियों ने फेसबुक, यूट्यूब से लेकर टिकटॉक तक पर दिखाई जाने वाली सामग्री को लेकर सवाल पूछने शुरू कर दिए। टिकटॉक पर तो इसका असर सबसे ज्यादा हुआ। दरअसल, इसकी पैरेंट कंपनी- बाइडांस का चीन से सीधा कनेक्शन है। ऐसे में अमेरिकी संसद में भी राष्ट्रीय सुरक्षा पर चीन के खतरे को लेकर चिंता जाहिर की जाने लगी। इसके अलावा टिकटॉक पर अमेरिकी यूजर्स का डाटा चीन भेजे जाने के आरोप लगने लगे। कंपनी ने इन सभी आरोपों को सिरे से खारिज किया और खुद को सिंगापुर में निवेशित कंपनी करार दिया।

लेकिन जून 2022 में एक मीडिया समूह ने टिकटॉक की आंतरिक बैठकों के हवाले से खुलासा किया कि इनमें चर्चा हुई कि कैसे चीन में बैठे बाइडांस के कर्मचारी विदेश में मौजूद डाटा तक पहुंच रखते हैं और कैसे एक मास्टर एडमिन सब कुछ देख सकता है। इन खुलासों के बाद अमेरिका की सीनेट (संसद के उच्च सदन) की खुफिया मामलों की समिति ने संघीय संचार आयोग (एफसीसी) से बाइडांस की जांच करने की मांग की और टिकटॉक की सच्चाई पता लगाने को कहा। इसके ठीक बाद टिकटॉक ने माना कि चीन में बैठे उसके कर्मचारियों की अमेरिकी यूजर्स के डाटा तक पहुंच हो सकती है। जून 2023 में टिकटॉक ने यह भी मान लिया कि कुछ अमेरिकी कंटेंट क्रिएटर्स की वित्तीय जानकारी चीन में भी स्टोर है।

टिकटॉक पर क्या प्रतिबंध लगाए गए?

अमेरिकी संसद के दोनों सदनों की तरफ से पास किए गए कानून के मुताबिक, टिकटॉक की पैरेंट कंपनी बाइडांस को दो रास्ते दिए गए। पहला- बाइडांस अमेरिका में टिकटॉक के बिजनेस को किसी और को बेच दे। दूसरा- कंपनी 19 जनवरी 2025 तक अमेरिका में अपने ऑपरेशन्स को बंद कर दे। अगर बाइडांस की तरफ से बिकवाली की प्रक्रिया जारी है, तो अमेरिका में उसके संचालन की अवधि को 100 दिन तक बढ़ाया जा सकता है। अमेरिकी संसद का कहना था कि बाइडांस को लेकर यह कानून जारी था, क्योंकि इसका नियंत्रण चीनी सरकार के पास है और इसकी क्षमता अमेरिकी नागरिकों की निजी जानकारी निकालने की है, जो कि एक राष्ट्रीय सुरक्षा का खतरा बन सकता है।

कानून को न्यायालय में चुनौती दी गई, वहां क्या हुआ?

बाइडांस की तरफ से दायर इस मामले की सुनवाई सबसे पहले फेडरल अपील्स कोर्ट में हुई। यहां टिकटॉक को असंवैधानिक करार दे दिया गया। तीन जजों के पैनल की तरफ से दिए गए इस फैसले को बाइडांस ने अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। कंपनी और अमेरिका के न्याय मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट से अपील की कि वह जनवरी में एप को लेकर दी गई डेडलाइन से पहले ही संसद की तरफ से पारित कानून की वैधता पर दिसंबर में ही फैसला सुना दे। हालांकि, अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई 10 जनवरी को की। सर्वोच्च न्यायालय ने इस मामले में सबसे पहले अलग-अलग पक्षों के मौखिक तर्क सुने। जजों के रवैये से ऐसा प्रतीत हुआ कि सुप्रीम कोर्ट बाइडांस के खिलाफ फैसला सुना सकता है।

दरअसल, ज्यादातर जज एक केंद्रीय बिंदु पर ठहर गए। यह था कि संसद की तरफ से बनाए गए कानून के तहत टिकटॉक अमेरिका में ऑपरेशन जारी रख सकता है, अगर वह बाइडांस की तरफ से बनाई गई एल्गोरिदम का इस्तेमाल बंद कर दूसरी तरह की एल्गोरिदम का प्रयोग शुरू कर दे। कोर्ट ने कहा कि चूंकि बाइडांस अमेरिका की नहीं, बल्कि चीन की कंपनी है, इसलिए वह कानून के खिलाफ पहले संविधान संशोधन (अभिव्यक्ति की आजादी का अधिकार) के तहत अधिकार नहीं रखती।

बाइडांस के लिए अब आगे क्या?

माना जा रहा है कि अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट अब किसी भी दिन टिकटॉक और संसद की तरफ से लाए गए कानून की वैधता को लेकर फैसला सुना सकता है। जानकारों की मानें तो जजों ने अब तक ऐसा कोई संकेत नहीं दिया है कि वह निचली अदालत के फैसले को पलटेंगे और सरकार की तरफ से लाए कानून को अवैध करार देगे। बताया जा रहा है कि बाइडांस को भी इसका अंदाजा है। इसलिए कंपनी की एक हालिया बैठक में टिकटॉक के अमेरिकी बिजनेस को बेचने पर चर्चा हुई है।

बाइडांस की बैठक में टिकटॉक को मस्क को बेचने की चर्चा क्यों?

रिपोर्ट्स के अनुसार, बाइडांस की हालिया बैठक में टिकटॉक को अमेरिका में बंद होने से बचाने के मुद्दे पर चर्चा हुई। इसी बैठक में टिकटॉक का अमेरिका से जुड़ा पूरा कारोबार और अधिकार एलन मस्क को बेचने पर भी चर्चा हुई। माना जा रहा है कि चीन के शासन की तरफ से भी इसकी मंजूरी मिल सकती है।

साभार : अमर उजाला

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