लखनऊ. रामलला के मंदिर निर्माण में अब तक कुल 2,150 करोड़ रुपये व्यय हुए हैं। रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपतराय ने मणिरामदास जी की छावनी में तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की त्रैमासिक बैठक के बाद संवाददाताओं को यह जानकारी दी। चंपतराय ने तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट का लेखा-जोखा साझा करते हुए बताया कि पांच फरवरी, 2020 को गठन से लेकर इस वर्ष 28 फरवरी तक पांच वर्ष से अधिक की अवधि में ट्रस्ट के एकाउंट से सरकार की विभिन्न एजेंसियों को भी 396 करोड़ का भुगतान किया गया है।
इनमें 272 करोड़ का भुगतान अकेले जीएसटी के रूप में हुआ है। 39 करोड़ टीडीएस के रूप में, इंप्लाइज स्टेट इंश्योरेंस का 7.4 करोड़, अन्य इंश्योरेंस पालिसी का चार करोड़ भुगतान किया गया है। सरकार को भुगतान किए गए मद में राम मंदिर का मानचित्र स्वीकृत किए जाने के एवज में अयोध्या विकास प्राधिकरण को दिया गया पांच करोड़ का शुल्क, ट्रस्ट की ओर से भूमि क्रय के क्रम में स्टांप ड्यूटी एवं रजिस्ट्री फीस के रूप में 29 करोड़, बिजली के बिल के रूप में 10 करोड़ तथा मंदिर के लिए मंगाए गए पत्थर-गिट्टी की रायल्टी के रूप में विभिन्न राज्य सरकारों को 14.90 करोड़ का भुगतान किया गया है।
इस व्यय के साथ राम मंदिर का 96 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है। जबकि मंदिर के परकोटा का 70 प्रतिशत, राम मंदिर के ही पूरक मंदिरों के रूप में निर्मित हो रहे सप्त मंदिरों का निर्माण 96 प्रतिशत हो चुका है। शेषावतार मंदिर का 40 प्रतिशत कार्य पूरा हुआ है। ट्रस्ट के महासचिव ने बताया कि 25 जून तक राम मंदिर का निर्माण शत-प्रतिशत पूरा हो जाएगा। जबकि परकोटा का कार्य अक्टूबर तक, सप्त मंदिर का निर्माण मई तक तथा शेषावतार मंदिर का निर्माण अगस्त तक पूरा होने की उम्मीद है।
92 प्रतिशत शुद्ध पाई गई रामलला की चांदी
गत पांच वर्षों में रामलला को चढ़ी 944 किलो चांदी की शुद्धता केंद्र सरकार की अति प्रमाणिक संस्था मिंट से परीक्षित कराई गई। इस परीक्षण में रामलला को चढ़ी चांदी 92 प्रतिशत शुद्ध पाई गई। इस चांदी को 20-20 किलो की ईंट के रूप में ट्रस्ट ने बैंक के लाकर में रखवाया है।
अब कोई मुख्य पुजारी नहीं होगा
चंपतराय ने कहा कि अब कोई मुख्य पुजारी नहीं होगा। पद आचार्य सत्येंद्रदास के गत 12 फरवरी को साकेतवास के साथ समाप्त हो गया। अब कोई भी पुजारी उनकी आयु, विद्वता, सम्मान व रामलला के प्रति उनके समर्पण के बराबर नहीं है।
साभार : दैनिक जागरण
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