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ईद के बाद संसद में पेश हो सकता है वक्फ संशोधन बिल

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नई दिल्ली. केंद्र सरकार ईद के बाद संसद में वक्फ संशोधन विधेयक पेश करेगी. इससे पहले हंगामा बरपा हुआ है. विपक्ष और मुस्लिम संगठन सरकार पर हमले कर रहे हैं. एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने एनडीए के घटक दलों को चेतावनी दे रहे हैं कि अगर वो इस विधेयक का समर्थन करेंगे तो मुसलमान उन्हें कभी माफ नहीं करेंगे. इन सब बातों के बीच आइए जानते हैं अभी वक्फ बोर्ड के पास कितनी पावर है. साथ ही किन बड़ी प्रॉपर्टी पर वक्फ की ओर से दावा किया गया है.

सबसे पहले बात करें जमीन के विवादों की तो 2022 में तमिलनाडु वक्फ बोर्ड ने हैरान कर देने वाला दावा किया था. बोर्ड ने हिंदुओं के बसाए पूरे एक एरिया पर जिसका नाम था थिरु चेंगई गांव है, उस पर वक्फ होने का दावा ठोंक दिया. ऐसे ही बेंगलुरु का जो ईदगाह मैदान है वहां पर भी 1950 से वक्फ संपत्ति होने का दावा किया गया. ऐसे ही गुजरात के सूरत में नगर निगम को वक्फ संपत्ति होने का दावा किया गया.

इसके पीछे तर्क ये था कि मुगल काल में सराय के रूप में इसका इस्तेमाल किया जाता था. तो ये स्थिति थी तो ऐसे कोई भी दावे ना किए जा सके जो बड़े अप्रत्याशित हों और अप्रत्याशित होने की स्थिति में क्या होता है? सामने वाला परेशान होगा जो वाकई में गुनहगार नहीं है वो परेशान होगा. सिर्फ ऐसा नहीं है कि गुजरात या बीजेपी शासित राज्यों में ऐसा हुआ है.

वक्फ संपत्ति के दावे

कोलकाता के टॉलीगंज क्लब और बेंगलुरू में आईटीसी विन्सर होटल को लेकर भी विवाद है. इस पर भी वक्फ संपत्ति होने का दावा किया गया. इस तरह की संपत्ति होने का जब दावा किया जाएगा तो जाहिर सी बात है कि सरकार को रोज-रोज के इन विवादों से बचने के लिए और संतुलन कायम करने के लिए एक ऐसी व्यवस्था कायम करनी होगी जो सही सिर्फ हो नहीं दिखती भी हो क्योंकि जो डीएम है वो पद के लिए जिम्मेदार है.

ऐसा नहीं कह सकते आप कि वो बोर्ड में बोर्ड की निगरानी करते हुए अगर कोई सत्यापन करेगा तो गलत कर देगा. ऐसा नहीं कहा जा सकता क्योंकि उसकी जिम्मेदारी है कल को उसका पद भी जा सकता है उसके खिलाफ सरकार एक्शन भी ले सकती है. तो ये एक संतुलन कायम करने की स्थिति है और इसमें ऐसा भी नहीं है कि सरकार बिल ले आई और उसको रैंडमली पास कर दिया गया. जेपीसी के पास जब ये गया बिल तो उसमें कुछ जो है संशोधन की मांग भी की गई. संशोधन की राय भी दी गई और उन पर कंसल्टेशन चल रहा है.

कासिम रसूल इलियास का दावा

मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रवक्ता सैय्यद कासिम रसूल इलियास ने बताया कि जेपीसी को करीब 5 करोड़ मुसलमानों ने ईमेल के माध्यम से अपनी राय बताई लेकिन सब कुछ नजर नजरअंदाज कर दिया गया. ऐसा उनका आरोप है. मसला ये है कि देश में कानून कौन बनाएगा? देश में कानून तो वही बनाएंगे ना जो चुनकर के संसद तक पहुंचे हैं. अब उस कानून का अगर कोई विरोध कर रहा है 5 करोड़ की आप बात कर रहे हैं.

कुल कितने वक्फ बोर्ड

मुस्लिम आबादी कितनी होगी देश भर में? करीब-करीब 28 करोड़ के आसपास. अगर उसमें से 5 करोड़ लोग विरोध कर रहे हैं तो जाहिर सी बात है कि सरकार भी उनका ख्याल रखेगी. देखेगी कि आखिर विरोध क्यों हो रहा है और विरोध अगर एक पक्षीय है तो फिर उस विरोध को जाहिर सी बात है कि मान्यता नहीं दी जा सकती. वक्फ बोर्ड के पास पूरे देश में 8 लाख एकड़ से ज्यादा जमीन है. साल 2009 में ये जमीन 4 लाख एकड़ थी. इनमें अधिकांश मस्जिद, मदरसा और कब्रिस्तान थे. वक्फ बोर्ड की अनुमानित संपत्ति 1.2 लाख करोड़ रुपये की है. देश में उत्तर प्रदेश और बिहार में दो शिया वक्फ बोर्ड हैं. कुल 32 वक्फ बोर्ड हैं.

साभार : टीवी9 भारतवर्ष

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