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पुणे जमीन घोटाले की जांच रिपोर्ट में अजित पवार के बेटे पार्थ पवार का नाम नहीं

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मुंबई. महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार के बेटे पार्थ पवार की सह-मालिकाना हक वाली कंपनी से जुड़े 300 करोड़ रुपये के विवादास्पद भूमि सौदे की जांच रिपोर्ट ने बड़ा खुलासा किया है।

संयुक्त निरीक्षक महारजिस्ट्रार (IGR) की तीन सदस्यीय समिति ने अपनी रिपोर्ट में सब-रजिस्ट्रार रविंद्र तारू सहित तीन लोगों को दोषी ठहराया है, लेकिन पार्थ पवार का नाम कहीं नहीं लिया गया।

समिति ने कहा है कि सारे दस्तावेजों में पार्थ पवार का कहीं नाम नहीं है। रिपोर्ट मंगलवार को IGR रवींद्र बिनवाडे को सौंपी गई, जिसे आगे पुणे के विभागीय आयुक्त चंद्रकांत पुलकुंडवार को भेजा गया।

पार्थ पवार को लेकर समिति ने क्या कहा?

समिति के प्रमुख राजेंद्र मुठे ने साफ कहा कि पार्थ पवार का नाम किसी भी बिक्री दस्तावेज में नहीं होने की वजह से उन्हें जांच में दोषी नहीं ठहराया जा सकता।

दोषी ठहराए गए तीन लोग वही हैं, जिनके नाम पुलिस की FIR में भी हैं, निलंबित सब-रजिस्ट्रार रविंद्र तारू, पार्थ पवार के चचेरे भाई और बिजनेस पार्टनर दिग्विजय पाटिल और विक्रेताओं की ओर से पावर ऑफ अटॉर्नी रखने वाली शीतल तेजवानी हैं।

इस सौदे में पुणे के पॉश मुंधवा इलाके की 40 एकड़ सरकारी जमीन को निजी बताकर अमादिया एंटरप्राइजेज एलएलपी को बेच दिया गया था। पार्थ पवार इस कंपनी के पार्टनर हैं। सबसे बड़ा घपला यह था कि इस सौदे पर 21 करोड़ रुपये की स्टांप ड्यूटी माफ कर दी गई थी, जबकि जमीन सरकारी थी और बेची ही नहीं जा सकती।

आगे अभी तीन और जांच बाकी

मुठे कमेटी के अलावा राजस्व विभाग और सेटलमेंट कमिश्नर की जांच समितियां भी अपनी रिपोर्ट सौंपेंगी। ये सारी रिपोर्ट अतिरिक्त मुख्य सचिव (राजस्व) विकास खारगे की अगुवाई वाली छह सदस्यीय समिति को भेजी जाएंगी। इस बड़ी समिति का गठन खुद मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने किया था। सौदा रद्द होने के बाद अब सारी जांच एक साथ पूरी की जा रही है।

भविष्य में ऐसे घोटाले रोकने के सुझाव

रिपोर्ट में कई अहम सिफारिशें की गई हैं। अब स्टांप ड्यूटी माफी के हर मामले में कलेक्टर (स्टांप) की मंजूरी जरूरी होगी। रजिस्ट्रेशन एक्ट 1908 की धारा 18-के के तहत बिक्री के समय एक महीने से पुराना न हो, ऐसा 7/12 उतारा और मालिकाना हक के सारे दस्तावेज अनिवार्य होंगे।

20 अप्रैल 2025 के नए संशोधन के तहत सरकारी जमीन की खरीद-बिक्री के दस्तावेज रजिस्टर ही नहीं किए जा सकेंगे। लेकिन अभी यह नियम सिर्फ साफ-साफ सरकारी जमीन पर लागू है। समिति ने सिफारिश की है कि जिन मामलों में सरकारी मालिकाना हक, कब्जा या हित स्पष्ट न हो, उन पर भी यही पाबंदी लगे।

कंपनी को 42 करोड़ चुकाने का नोटिस

IGR कार्यालय ने अमादिया एंटरप्राइजेज को सौदा रद होने के बाद 42 करोड़ रुपये स्टांप ड्यूटी जमा करने का नोटिस भेजा है। कंपनी ने जवाब के लिए 15 दिन मांगे थे, लेकिन सिर्फ 7 दिन दिए गए हैं। अधिकारी ने कहा, “अब सात दिन में जवाब देना होगा।”

साभार : दैनिक जागरण

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