रायपुर. जय कॉर्प लिमिटेड के निदेशक आनंद जयकुमार जैन से जुड़े 2 हजार 434 करोड़ की धोखाधड़ी, मनी लॉन्ड्रिंग केस में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने देशभर में छापेमारी की है। इनमें रायपुर, मुंबई, नासिक और बेंगलुरु समेत 30 से अधिक ठिकाने शामिल हैं। जांच एजेंसी दस्तावेजों और डिजिटल रिकॉर्ड की तलाशी ले रही है।
जानकारी के मुताबिक रायपुर में कारोबारी राकेश सरावगी के ठिकानों पर ED ने छापा मारा है। कचना स्थित आनंदम सिटी में स्थित उनके ऑफिस में ED की टीम पहुंची। राकेश सरावगी की फर्म गोल्डन ब्रिक्स इन्फ्रास्ट्रक्चर के नाम से संचालित होती है। 2 गाड़ियों में पहुंची ED की टीम में 5 अधिकारी और 5 सुरक्षाकर्मी शामिल हैं, जो ऑफिस में जांच के साथ-साथ कर्मचारियों से पूछताछ कर रहे हैं।
एजेंसी को शक है कि रियल एस्टेट इन्वेस्टमेंट के नाम पर जुटाया गया पैसा विदेशी कंपनियों को ट्रांसफर किया गया था। एजेंसी संदिग्ध ट्रांजेक्शन, ऑफशोर अकाउंट्स और शेल कंपनियों की कड़ियों को जोड़ने की कोशिश कर रही है। कई कंपनियों और बड़े कारोबारी समूह भी जांच के दायरे में आ सकते हैं।
जानिए क्या है पूरा मामला?
दरअसल, CBI ने आनंद जयकुमार जैन, उनकी कंपनी जय कॉर्प लिमिटेड, कारोबारी पराग शांतिलाल पारेख और कई अन्य कंपनियों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। आनंद जैन मशहूर गेमिंग कंपनी ड्रीम11 के को-फाउंडर हर्ष जैन के पिता हैं, जिससे यह मामला और भी हाई-प्रोफाइल हो गया है।
बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश से तेज हुई जांच
बॉम्बे हाईकोर्ट के निर्देश पर CBI ने इस केस में FIR दर्ज की। जांच के लिए एक स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (SIT) का गठन किया। इससे पहले मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (EOW) को दिसंबर 2021 और अप्रैल 2023 में इस मामले से जुड़ी शिकायतें मिली थीं।
FIR के अनुसार, मई 2006 से जून 2008 के बीच आनंद जैन और अन्य आरोपियों ने दो कंपनियां बनाईं। इन कंपनियों के जरिए मुंबई और अन्य शहरों में रियल एस्टेट डेवलपमेंट के नाम पर निवेशकों से करीब ₹2,434 करोड़ की राशि जुटाई गई।
बैंक कर्ज का दुरुपयोग
जांच में सामने आया है कि नवी मुंबई SEZ प्राइवेट लिमिटेड के नाम पर बैंकों से ₹3,252 करोड़ का कर्ज लिया गया। इससे पहले मुंबई SEZ लिमिटेड के लिए भी बैंकों से ₹686 करोड़ का लोन लिया जा चुका था। आरोप है कि इन कर्जों का इस्तेमाल घोषित उद्देश्यों के बजाय अन्य वित्तीय गतिविधियों में किया गया।
CBI का आरोप है कि आपराधिक साजिश के तहत निवेशकों और बैंकों का पैसा मॉरिशस और जर्सी (Channel Islands) में स्थित विदेशी कॉर्पोरेट कंपनियों में भेजा गया। आरोपियों पर यह भी आरोप है कि नवंबर 2007 के दौरान इस राशि का इस्तेमाल रिलायंस पैट्रोकैमिकल्स की फ्यूचर ट्रेडिंग में किया गया।
विदेशी मुद्रा कर्ज और फ्यूचर ट्रेडिंग
जांच एजेंसियों के अनुसार, बैंकों से लिए गए ₹98.83 करोड़ के विदेशी मुद्रा कर्ज को भी मॉरिशस में निवेश किया गया। इससे यह संदेह और गहरा गया है कि पूरे नेटवर्क के जरिए मनी लॉन्ड्रिंग की गई। ED और CBI दोनों एजेंसियां मनी ट्रेल, ऑफशोर कंपनियों और निवेशकों के पैसों की पूरी चेन खंगाल रही हैं।
जांच आगे बढ़ने के साथ नई गिरफ्तारियां, संपत्तियों की कुर्की और भी बड़े खुलासे होने की संभावना जताई जा रही है। यह मामला देश के सबसे बड़े कॉर्पोरेट और मनी लॉन्ड्रिंग मामलों में शामिल हो सकता है।
साभार : दैनिक भास्कर
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