कोलकाता. पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद ज़िले में हुई हालिया हिंसा को लेकर राष्ट्रीय महिला आयोग की प्रमुख विजया रहाटकर ने राज्य सरकार से तुरंत और मानवीय तरीके से पीड़ितों की समस्याओं को सुलझाने की अपील की है। रहाटकर ने कहा कि उन्होंने पीड़ित महिलाओं और उनके परिवारों से मुलाकात की और जो कुछ उन्होंने देखा और सुना, वह कल्पना से परे और बेहद दर्दनाक था। रविवार को कोलकाता के एक होटल में पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने कहा, ‘पिछले दो दिनों में हम कई महिलाओं, बच्चों और उनके परिवारों से मिले। उनके साथ जो अत्याचार हुआ, वह शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता। उनके मन पर गहरे घाव हैं, जिन्हें भरना बहुत जरूरी है।’
पीड़ितों की सुरक्षा की मांग
एनसीडब्ल्यू प्रमुख ने कहा कि कई महिलाओं ने उनसे क्षेत्र में सीमा सुरक्षा बल की तैनाती की मांग की ताकि उन्हें सुरक्षा और भरोसा मिल सके। उन्होंने कहा, ‘वहां डर और असुरक्षा का माहौल है। हम इन मांगों को अपनी रिपोर्ट में शामिल करेंगे।’ रिपोर्ट जल्द ही केंद्र सरकार, राज्य के पुलिस महानिदेशक और मुख्य सचिव को सौंपी जाएगी।
दर्दनाक अनुभवों की झलक
एनसीडब्ल्यू प्रमुख ने कहा, ‘एक मां 4 दिन के बच्चे को लेकर जान बचाते हुए भाग रही थी। कहीं नवविवाहिता का पूरा घर लूट लिया गया। महिलाएं घरों से निकाली गईं, गांव छोड़ने पर मजबूर हुईं। वे पूछ रही थीं- हमारी गलती क्या थी?’ उन्होंने सवाल उठाया कि राज्य महिला आयोग अभी तक घटनास्थल पर क्यों नहीं गया। उन्होंने अपील की, टकम से कम उस मां से मिलिए जिसने अपने पति और बेटे को खो दिया। कुछ सहानुभूति दिखाइए।’
NCW टीम ने राहत कैंपों का किया दौरा
शनिवार को विजया रहाटकर ने मुर्शिदाबाद के बेटबाड़ी, धूलियन, जफराबाद और अन्य हिंसा प्रभावित इलाकों का दौरा किया। शुक्रवार को उन्होंने मालदा जिले के बैष्णवनगर में बनाए गए राहत कैंपों में विस्थापित लोगों से मुलाकात की। उन्होंने कहा, ‘गांवों में महिलाएं हाथ में पोस्टर लेकर खड़ी थीं, जिन पर लिखा था ‘हमें लक्ष्मी भंडार नहीं, बीएसएफ कैंप चाहिए’, ‘हमें सुरक्षा चाहिए’। ये बातें बहुत कुछ कहती हैं।’
राजनीतिक आरोपों पर जवाब
जब तृणमूल कांग्रेस नेताओं ने आरोप लगाया कि महिला आयोग केंद्र की भाजपा सरकार के इशारे पर काम कर रहा है और भाजपा-शासित राज्यों में नहीं जाता, तो रहाटकर ने कहा, ‘मैं राजनीति करने नहीं आई, मैं सिर्फ पीड़ित बहनों के साथ खड़ी हूं।’ उन्होंने कहा, ‘जो लोग ऐसे आरोप लगा रहे हैं, क्या उन्होंने जाकर इन महिलाओं से बात की? उनकी पीड़ा को महसूस किया?’
साभार : अमर उजाला
भारत : 1885 से 1950 (इतिहास पर एक दृष्टि) व/या भारत : 1857 से 1957 (इतिहास पर एक दृष्टि) पुस्तक अपने घर/कार्यालय पर मंगाने के लिए आप निम्न लिंक पर क्लिक कर सकते हैं