लखनऊ. उत्तर प्रदेश को ‘वन ट्रिलियनइकोनॉमी‘ बनाने की दिशा में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश की रीढ़ यानी एमएसएमई (MSME) सेक्टर पर बड़ा दांव खेला है। अनुपूरक बजट के माध्यम से सरकार ने न केवल वित्तीय सहायता सुनिश्चित की है, बल्कि एमएसएमई के प्रशासनिक तंत्र को भी आधुनिक बनाने के लिए ठोस बजटीय प्रावधान किए हैं। यह रणनीतिक निवेश प्रदेश में औद्योगिक क्रांति और रोजगार सृजन के नए द्वार खोलेगा।
प्रशासनिक सुदृढ़ीकरण: अब जमीन पर दिखेगा ‘ईज ऑफ डूइंगबिजनेस‘
मुख्यमंत्री का मानना है कि योजनाओं की सफलता उनके क्रियान्वयन पर टिकी होती है। इसी को ध्यान में रखते हुए कार्यालयी तंत्र को मजबूत करने के लिए विशेष आवंटन किया गया है:
उद्योग निदेशालय और जिला उद्योग केंद्र: इनके अधिष्ठान व्यय के लिए कुल ₹3 करोड़ (1.5 करोड़ प्रत्येक) का प्रावधान किया गया है।
उद्देश्य: जिलों में उद्यमियों को समय पर मार्गदर्शन, त्वरित स्वीकृति और सरकारी योजनाओं का लाभ बिना किसी बाधा के मिल सके।
वैश्विक बाजार से जुड़ाव: FDI और फॉर्च्यून-500 कंपनियों का साथ
प्रदेश के छोटे उद्योगों को वैश्विक सप्लाई चेन का हिस्सा बनाने के लिए फॉरेन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट (FDI) और फॉर्च्यून-500 निवेश प्रोत्साहन नीति-2023 के तहत ₹371.69 करोड़ की व्यवस्था की गई है।
विशेषज्ञों का मत: इस प्रावधान से यूपी के एमएसएमई को बड़ी कंपनियों के साथ वेंडर के रूप में जुड़ने और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निर्यात के अवसर प्राप्त होंगे।
“सुरक्षित वातावरण और अनुकूल नीतियां”
लघु उद्योग भारती, उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष रविन्द्र सिंह ने सरकार के इस कदम की सराहना करते हुए कहा, “योगी सरकार ने उद्यमियों को न केवल बजट दिया है, बल्कि एक सुरक्षित औद्योगिक वातावरण भी प्रदान किया है। प्रदेश में वर्तमान में लगभग 96 लाख एमएसएमई इकाइयां हैं, जो इस बजट से और अधिक प्रतिस्पर्धी बनेंगी।”
अनुपूरक बजट के ये प्रावधान स्पष्ट करते हैं कि उत्तर प्रदेश सरकार एमएसएमई को केवल छोटा उद्योग नहीं, बल्कि प्रदेश की प्रगति का मुख्य इंजन मानती है। आने वाले समय में यह सेक्टर लाखों युवाओं के लिए स्वरोजगार और नौकरी का सबसे बड़ा केंद्र बनकर उभरेगा।
साभार : दैनिक जागरण
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