पटना. बिहार में वोटर लिस्ट सुधारने के लिए हो रहे स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) से बवाल खड़ा हो गया है. टेंशन इसलिए भी ज्यादा क्योंकि चुनाव आयोग ने बता दिया है कि 56 लाख वोटर मिल ही नहीं रहे. यानी इनका नाम कटना तय है. तेजस्वी यादव, राहुल गांधी आरोप लगा रहे कि वोटों की चोरी की जा रही है. तेजस्वी ने तो एक कदम आगे बढ़ते हुए यहां तक कह दिया कि अगर ऐसी ही स्थिति रही तो चुनाव में हिस्सा लेने का क्या फायदा. उन्होंने चुनाव का बॉयकॉट करने तक का ऐलान कर दिया. ऐसे में सबसे बड़ा सवाल कि अगर महागठबंधन में शामिल सभी दल चुनाव का बॉयकॉट कर दें तो क्या इलेक्शन नहीं होगा? कानून क्या कहता है? क्या पहले भारत के किसी राज्य में ऐसा हुआ है?
सबसे पहली बात, अगर किसी राज्य में चुनाव होने हैं और सभी मुख्य विपक्षी पार्टियां चुनाव लड़ने से इनकार कर दें, तो यह स्थिति लोकतंत्र और संवैधानिक व्यवस्था के लिए एक जटिल चुनौती पैदा कर सकती है. लेकिन क्या चुनाव नहीं होगा? इसे समझने के लिए हमें संविधान देखना होगा. संविधान का अनुच्छेद 324 चुनाव आयोग को चुनाव कराने, उसकी प्रक्रिया तय करने, उसे कंट्रोल करने का अधिकार देता है. इस पर कोई रोक नहीं लगा सकता. चुनाव आयोग ही तय करता है कि इलेक्शन निष्पक्ष हो. प्रतिस्पर्धी हो यानी कि जो चाहे वह चुनाव लड़े और उसे बराबर का मौका मिले.
क्या होगा अगर विपक्ष चुनाव लड़ने से इनकार कर दे?
चुनाव आयोग का काम समय पर चुनाव कराना है. भले ही उसमें कोई दल हिस्सा लें या नहीं. अगर केवल सत्तारूढ़ दल यानी जो दल सरकार चला रहा है, वही चुनाव में अपने कैंडिडेट खड़े करता है, या कोई निर्दल कैंडिडेट भी होता है तो भी चुनाव कराना आयोग की जिम्मेदारी है. संविधान के तहत चुनाव रद्द करने का कोई प्रावधान नहीं है, जब तक कि कोई असाधारण परिस्थिति जैसे हिंसा या प्राकृतिक आपदा न हो. मतलब साफ है कि अगर पूरा महागठबंधन भी चुनावों का बॉयकॉट कर दे तो भी इलेक्शन होगा, इस पर कहीं कोई रोक नहीं लगाई जा सकती. अगर केवल सत्तारूढ़ दल के लोग खड़े होते हैं, और कोई कैंडिडेट नहीं होता तो वे सभी निर्विरोध जीत जाएंगे.
क्या सुप्रीम कोर्ट ऐसे चुनाव रोक सकता है?
विपक्ष यह कहते हुए सुप्रीम कोर्ट जा सकता है कि बिना कंपटीशन के चुनाव कराना असंवैधानिक है. वह जया बच्चन vs यूनियन ऑफ इंडिया केस का हवाला दे सकते हैं, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि पारदर्शिता बनाना और प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करना जरूरी है. लेकिन यहां भी चुनाव पर रोक वाली कोई बात नहीं हो सकती.1989 के मिजोरम विधानसभा चुनाव में ऐसी ही स्थिति आई थी और सुप्रीम कोर्ट ने साफ कह दिया कि इसकी वजह से चुनाव पर रोक नहीं लगाई जा सकती.
साभार : न्यूज18
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