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रानीतिक और व्यक्तिगत लाभ के ल‍िए लद्धाख में भड़काई गई थी ह‍िंसा

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लेह. शहर सहित लद्दाख में बुधवार को हुई हिंसा में सरकार को बड़ी जानकारी मिली है. लेह और आस-पास के इलाकों में उपद्रव और आगजनी की घटनाओं को लेकर गृहमंत्रालय ने बकायदा स्‍टेटमेंट जारी क‍िया है. सरकार का कहना है क‍ि यह सब स्थानीय एक्टिविस्ट सोनम वांगचुक के उकसावे का नतीजा है. वांगचुक ने अरब स्प्रिंग और नेपाल के जेन-जेड आंदोलन की तर्ज पर माहौल बनाने की कोशिश की, जिससे हालात बिगड़े. प्रदर्शनकारियों ने न सिर्फ सरकारी दफ्तर को निशाना बनाया बल्कि एक राजनीतिक दल के कार्यालय में आगजनी भी की. पुलिस की कार्रवाई के दौरान फायरिंग में कुछ लोगों के मारे जाने की भी खबर है. 30 से ज़्यादा पुलिसकर्मियों और अर्धसैनिक सुरक्षाबलों को चोट आई है. संविधान के दायरे में रहते हुए कानून तोड़ने वालों के खिलाफ सख्‍त कार्रवाई की तैयारी है.

घटनाओं की जड़ में 10 सितंबर 2025 से शुरू हुई सोनम वांगचुक की भूख हड़ताल बताई जा रही है. उन्होंने लद्दाख को छठी अनुसूची के तहत विशेष दर्जा और राज्य का दर्जा देने की मांग उठाई थी. सरकार का कहना है कि उनकी मांगें पहले से ही उच्चाधिकार प्राप्त समिति (HPC) के एजेंडे में शामिल हैं और उस पर लगातार बातचीत हो रही है.

गृह मंत्रालय ने सोनम वांगचुक के एनजीओ का एफसीआरए प्रमाणपत्र रद्द किया

गृह मंत्रालय ने सोनम वांगचुक के एनजीओ का एफसीआरए प्रमाणपत्र रद्द कर दिया है। सूत्रों के अनुसार सोनम वांगचुक ने वर्ष 2021-22 में विदेशी अंशदान (विनियमन) अधिनियम का उल्लंघन करते हुए संस्था के एफसीआरए खाते में साढे तीन लाख रुपये जमा किए थे। एनजीओ को प्रवासन, जलवायु परिवर्तन, खाद्य सुरक्षा और संप्रभुता जैसे मुद्दों पर शैक्षिक कार्यक्रमों के लिए स्वीडन के एक दानकर्ता से चार लाख 93 हजार 205 रुपये भी मिले थे। गृह मंत्रालय ने कहा कि राष्ट्र की संप्रभुता पर अध्ययन के लिए विदेशी अंशदान स्वीकार नहीं किया जा सकता और यह कृत्य देश के राष्ट्रीय हित के विरुद्ध है। एफसीआरए की विभिन्‍न धाराओ के तहत पंजीकरण की शर्तों के उल्लंघन के कारण एनजीओ के एफसीआरए पंजीकरण प्रमाणपत्र को तत्काल प्रभाव से रद्द किया गया है।

युवाओं के हक में कई फैसले

सरकारी आंकड़ों के अनुसार, HPC की बैठकों से अब तक कई ऐतिहासिक फैसले लिए जा चुके हैं. इनमें अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षण को 45% से बढ़ाकर 84% करना, परिषदों में महिलाओं को एक-तिहाई आरक्षण देना और भोटी व पुर्गी भाषाओं को आधिकारिक भाषा घोषित करना शामिल है. इतना ही नहीं, लद्दाख में 1800 पदों पर भर्ती प्रक्रिया भी शुरू की गई है.

संवाद की कोशिशें और राजनीति

सरकार का तर्क है कि वह लेह और कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस से लगातार संवाद में है. 6 अक्टूबर को HPC की अगली बैठक प्रस्तावित है, जबकि 25 और 26 सितंबर को लद्दाखी नेताओं से विशेष चर्चा भी तय की गई थी. लेकिन, कुछ राजनीतिक हित साधने वाले लोग इस संवाद प्रक्रिया को विफल करने की कोशिश में लगे हुए थे. यही वजह रही कि वांगचुक ने भूख हड़ताल के दौरान अरब स्प्रिंग और नेपाल की जेन-जेड राजनीति का हवाला देते हुए स्थानीय युवाओं को भड़काने की कोशिश की. इस तरह के बयान पूरी तरह भ्रामक थे और इन्हीं से हिंसा का माहौल बना. आज हुई लद्दाख की हिंसा में 30 से ज़्यादा पुलिसकर्मियों और अर्धसैनिक सुरक्षाबलों को चोट आई है.
सरकार का दावा है कि सुबह हुई दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं के बाद शाम तक हालात काबू में आ गए. हालांकि, शुरुआती घंटों में उपद्रवकारियों ने दफ्तरों और संपत्तियों को भारी नुकसान पहुंचाया. इसी बीच सोनम वांगचुक ने अपनी भूख हड़ताल खत्म करने का ऐलान भी कर दिया. सरकारी सूत्रों ने साफ किया है कि संवैधानिक ढांचे के भीतर रहते हुए लद्दाख की आकांक्षाओं को पूरा करने की दिशा में कदम उठाए जा रहे हैं. मगर हिंसा, आगजनी और कानून तोड़ने जैसी हरकतों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.

लद्दाख के उपराज्यपाल कविंद्र गुप्ता ने लद्दाख में एक उच्च स्तरीय सुरक्षा समीक्षा बैठक की

लेह में कल हुई हिंसक घटनाओं और विरोध प्रदर्शनों के बाद, आज स्थिति सामान्य और नियंत्रण में रही। सुरक्षा कारणों से लेह में व्यावसायिक प्रतिष्ठान और सभी शैक्षणिक संस्थान बंद रहे। करगिल ज़िले में भी कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए प्रतिबंध लगाए गए। दुकानें, बाज़ार, परिवहन और व्यावसायिक प्रतिष्ठान बंद रहे। लद्दाख के उपराज्यपाल कविंद्र गुप्ता ने लद्दाख में स्थिति का आकलन करने के लिए एक उच्च स्तरीय सुरक्षा समीक्षा बैठक की। बैठक में केंद्र शासित प्रदेश में शांति, सुरक्षा और सार्वजनिक व्यवस्था बनाए रखने के लिए कड़ी सतर्कता, निर्बाध अंतर-एजेंसी समन्वय और सक्रिय उपायों की आवश्यकता पर बल दिया गया।

साभार : न्यूज18, SHABD

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