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भारत के खिलाफ मदद करने के लिए तुर्की ने अपने खुफिया प्रमुख और सेना के कमांडर को पाकिस्तान भेजा

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इस्लामाबाद. भारत के साथ जंग की आशंका के बीच तुर्की का मिलिट्री डेलिगेशन लेफ्टिनेंट जनरल यासर कादिओग्लू के नेतृत्व में इस्लामाबाद पहुंचा है। तुर्की के सैन्य अधिकारियों का पाकिस्तान दौरा ऐसे वक्त में हुआ है, जब पाकिस्तान दावे कर रहा है कि अगले 24 से 36 घंटों के अंदर भारत हमला करने वाला है। तुर्की डिफेंस एजेंसी ने एक एक्स पोस्ट में कहा है कि “तुर्की जनरल स्टाफ के खुफिया प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल यासर कादियोग्लू के नेतृत्व में एक तुर्की सैन्य प्रतिनिधिमंडल ने पाकिस्तान वायु सेना मुख्यालय (इस्लामाबाद) का दौरा किया।” रिपोर्ट्स के मुताबिक भारत के आक्रमण के आशंका के बीच तुर्की ने इस्लामाबाद के साथ अपनी सैन्य भागीदारी बढ़ा दी है। लेफ्टिनेंट जनरल यासर कादिओग्लू की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय तुर्की सैन्य और खुफिया प्रतिनिधिमंडल ने रणनीतिक स्तर की वार्ता के लिए इस्लामाबाद में पाकिस्तान वायु सेना मुख्यालय का दौरा किया है।

लेकिन उनका दौरा ऐसे समय में हो रहा है जब नई दिल्ली, पाकिस्तान के खिलाफ कार्रवाई के विकल्पों पर तेजी से विचार कर राह है। लिहाजा माना जा रहा है कि तुर्की, पाकिस्तान के साथ सैन्य सहयोग को गहरा करने की कोशिश कर सकता है। सूत्रों का कहना है कि इस यात्रा के एजेंडे में क्षेत्रीय सुरक्षा, सैन्य प्रशिक्षण सहयोग और खुफिया जानकारी साझा करना शामिल है। इससे पहले रिपोर्ट आई थी कि तुर्की ने कम से कम 6 सैन्य विमानों में पाकिस्तान को हथियार पहुंचाए हैं। हालांकि तुर्की की सरकार ने दावे को खारिज किया है, लेकिन फिर भी संभावनाओं से इनकार नहीं किया जा सकता है।

पाकिस्तान को भारत के खिलाफ मदद देगा तुर्की?

पाकिस्तान को हथियार भेजने की रिपोर्ट का खंडन करते हुए तुर्की ने बयान जारी करते हुए कहा था कि हथियारों की डिलीवरी की रिपोर्ट झूठी है। उसने कहा था कि तुर्की का विमान सिर्फ कराची में ईंधन भरने उतरा था, इसके अलावा मिलिट्री ट्रांसफर की सारी रिपोर्ट्स झूठी है। तु्र्की का ये दावा इसलिए भी सच मालूम होता है, क्योंकि कराची से उड़ान भरने के बाद तुर्की का विमान भारत के एयरस्पेस का इस्तेमाल करते हुए मलेशिया पहुंचा था। ऐसे में अगर वाकई हथियार पहुंचाने का मकसद होता, तो तुर्की का विमान कम से कम भारतीय एयरस्पेस का इस्तेमाल नहीं करता है। फिर ही क्या हकीकत है, उसकी पुष्टि हम नहीं कर सकते हैं। लेकिन तुर्की के सैन्य अधिकारियों का इस्लामाबाद पहुंचना थोड़ा चौंकाता है। कई एक्सपर्ट्स मान रहे हैं कि युद्ध की स्थिति में तुर्की, पाकिस्तान को समर्थन दे सकता है। तुर्की पहले भी कश्मीर को लेकर पाकिस्तान के हक में बाद करता रहा है।

हालांकि भारत की तरफ से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी गई है। लेकिन डिप्लोमेटिक ऑब्जर्वर्स का चेतावनी दे रहे हैं कि तुर्की अगर पाकिस्तान को मदद देता है, तो भारत को इन परिस्थितियों को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। जबकि कुछ एक्सपर्ट्स कह रहे हैं कि भारत सरकार के सैन्य अधिकारी जरूर पाकिस्तान में तुर्की के सैन्य अधिकारी की गतिविधि और संभावित मदद पर नजर रख रहे होंगे, भले ही सरकार की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गई हो। आपको बता दें कि तुर्की और पाकिस्तान के बीच 1950 के दशक से ही सैन्य संबंध रहे हैं और दोनों देश, इस्लामिक विचारधारा को जुड़ाव का आधार मानते हैं। दोनों देशों की वायुसेना अकसर सैन्य अभ्यास करती रहती हैं। तुर्की हमेशा से पाकिस्तान को ‘इस्लामिक ब्रदर’ कंट्री मानता है, खासकर सैन्य समर्थन के मामले में। पाकिस्तानी एयरफोर्स के पायलट्स को तुर्की में लड़ाकू विमान उड़ाने की ट्रेनिंग दी जाती है। इसके अलावा तुर्की और पाकिस्तान मिलकर ड्रोन टेक्नोलॉजी, इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर सिस्टम और स्मार्ट वेपन पर काम कर रहे हैं।

साभार : नवभारत टाइम्स

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