नई दिल्ली (मा.स.स.). भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) ने आज उन दस ट्रेलर ओनर एसोसिएशनों (टीओए) के खिलाफ एक अंतिम आदेश जारी किया, जो प्रतिस्पर्धा-विरोधी समझौतों को प्रतिबंधित करने वाले प्रतिस्पर्धा अधिनियम, 2002 (‘अधिनियम’) की धारा 3 (1) के साथ पठित धारा 3(3)(ए) और 3(3)(बी) के प्रावधानों का उल्लंघन करते पाए गए थे।
इन टीओए पर यह आरोप लगाया गया था कि उन्होंने ट्रेलरों के लिए टैरिफ के निर्धारण में हस्तक्षेप किया और नेशनल एसोसिएशन ऑफ कंटेनर फ्रेट स्टेशन (एनएसीएफएस / सूचनादाता) के सदस्यों एवं उनके सहयोगी प्रतिष्ठानों पर अपने स्वयं के ट्रेलरों को चलाने के संबंध में प्रतिबंध लगा दिया। एनएसीएफएस / सूचनादाता ने यह आरोप लगाया कि ये निर्णय व्यापार संघ की बैठकों में लिए गए थे, जहां हड़ताल की कथित धमकी देकर सूचनादाता के सदस्यों को इन शर्तों पर सहमति देने के लिए मजबूर किया गया था।
आयोग ने पाया कि किसी भी टीओए ने उन बैठकों में भाग लेने से इनकार नहीं किया जहां प्रतिस्पर्धा-विरोधी प्रकृति के ऐसे निर्णय हुए थे। इस प्रकार, अधिनियम की धारा 3(3)(ए) और (बी) के तहत उनके बीच ऐसे समझौते/समझदारी/व्यवस्था का अस्तित्व होना साबित हुआ जिनका प्रतिस्पर्धा पर उल्लेखनीय प्रतिकूल प्रभाव (एएईसी) माना जाता है। आयोग ने अधिनियम के तहत व्यापार संघों की भूमिका एवं उनके द्वारा की गई कार्रवाइयों की वैधता की जांच की और यह पाया कि वर्तमान मामले में इन टीओए ने अपने कानूनी ढांचे का उल्लंघन किया है और अपने तत्वावधान में सेवाओं की कीमतों के निर्धारण की अनुमति देकर तथा प्रावधान को प्रतिबंधित करके मिलीभगत वाले निर्णय लेने की सुविधा प्रदान की है। आयोग ने कहा कि ये टीओए, जिनमें से कई सुनवाई के दौरान आयोग के सामने पेश नहीं हुए, उक्त धारणा का खंडन करने में सक्षम साबित नहीं हुए। इन टीओए ने उपरोक्त सामूहिक मिलीभगत कार्रवाई के माध्यम से बाजार की शक्तियों को प्रभावित किया और प्रतिस्पर्धा के दायरे को सीमित कर दिया।
रिकॉर्ड में मौजूद सबूतों के आधार पर, सीसीआई ने पाया कि दस टीओए ने अधिनियम की धारा 3(1) के साथ पठित धारा 3(3)(ए) और 3(3)(बी) के प्रावधानों का उल्लंघन किया है। तदनुसार, आयोग ने इन टीओए को अधिनियम की धारा 3 के प्रावधानों के उल्लंघन में पाई जाने वाली गतिविधियों को रोकने और बंद करने का निर्देश दिया।