नई दिल्ली (मा.स.स.). केन्द्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी; पृथ्वी विज्ञान; कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, अंतरिक्ष और परमाणु ऊर्जा मंत्रालय और प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. जितेन्द्र सिंह ने आज वाशिंगटन में यूएस चैंबर ऑफ कॉमर्स मुख्यालय में 30 से अधिक प्रमुख अमेरिकी कंपनियों के सीईओ और प्रतिनिधियों के साथ बातचीत की और उन्हें भारत में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा निर्मित सक्षम व्यवसाय परिवेश का लाभ उठाने के लिए प्रोत्साहित किया। डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा, मोदी के नेतृत्व में भारत निवेश को प्रोत्साहित कर रहा है और उनसे पिछले 8 वर्षों में सरकार द्वारा किए गए व्यापार-समर्थक सुधारों के मद्देनजर संयुक्त उद्यम के अवसरों में भी शामिल होने का आह्वान किया।
भू-स्थानिक डेटा पर गूगल के मिरियम डैनियल और प्रिसिला बेक, नेक्स्टलर इनोवेशन के सीईओ स्टैफ़न अलेक्जेंडर, फेडएक्स के वरिष्ठ वकील एमिली बेलाइन, एचओटी टेक्नोलॉजीज के सीईओ रैंडी लिबरमैन, अर्थ ऑब्जर्वेशन टेक्नोलॉजीज के सीईओ टिमोथी पुकोरियस, साइएन्ट टेक्नोलॉजीज के ग्लेन ग्रैब, क्लाइमेट कंपास के सीईओ केविन जेम्स, नैनोरॉक्स स्पेस टेक्नोलॉजीज के अजीत इब्राहिम, आईटीग्लोब इंक के सीईओ रवनीश लूथरा, सिंटेल सैटेलाइट सर्विसेज इंक के सीईओ संजय सिंघल, कुछ प्रमुख व्यापारिक नेता थे, जिन्होंने डॉ. जितेन्द्र सिंह के नेतृत्व में भारतीय प्रतिनिधिमंडल के साथ विस्तार से बातचीत की।
प्रमुख उद्योगपतियों के अलावा, यूएसजी/स्पेस, डीसी गवर्नमेंट, नासा के प्रतिनिधियों, अमेरिकी थिंक टैंक और संघीय प्रतिनिधियों ने अमेरिका द्वारा आयोजित भू-स्थैतिक, अंतरिक्ष, पृथ्वी और महासागर विज्ञान, फार्मा और बायोटेक क्षेत्रों से जुड़े क्षेत्रों में राउंडटेबल में भाग लिया। इसका आयोजन वाशिंगटन, डीसी में यूएस चैंबर ऑफ कॉमर्स मुख्यालय में यूएस-इंडिया बिजनेस काउंसिल (यूएसआईबीसी) ने किया। यूएसआईबीसी व्यवसाय के अलावा अमेरिका, भारत और इंडो-पैसिफिक में सक्रिय शीर्ष वैश्विक कंपनियों का प्रतिनिधित्व करता है।
इससे पहले, डॉ. जितेन्द्र सिंह संयुक्त मंत्रिस्तरीय भारतीय प्रतिनिधिमंडल के प्रमुख के रूप में, कल शाम न्यूयॉर्क पहुंचे और 5 दिवसीय अमेरिकी यात्रा के पहले चरण में वाशिंगटन रवाना हुए, जिसमें पिट्सबर्ग, पेंसिल्वेनिया में 21 से 23 सितम्बर तक ग्लोबल क्लीन एनर्जी एक्शन फोरम में भाग लेना शामिल है। उनका प्रख्यात शिक्षाविदों के साथ-साथ प्रवासी भारतीयों के साथ बातचीत करने का भी कार्यक्रम है।
यूएसआईबीसी के अध्यक्ष अतुल केशप ने बिजनेस राउंडटेबल में डॉ. जितेन्द्र सिंह का स्वागत किया, जबकि वाशिंगटन, डीसी स्थित भारतीय दूतावास के उप प्रमुख प्रिया रंगनाथन, मिशन ने उद्योग के लिए गुणवत्तापूर्ण बातचीत तय की। भू-स्थैतिक, अंतरिक्ष, पृथ्वी और महासागर विज्ञान, फार्मा, बायोटेक और अन्य उभरते क्षेत्रों के सीईओ और प्रतिनिधियों ने “द कमर्शियल ओपोरच्यूनीटीज फॉर यूएस-इंडिया स्पेस कलेबोरेशन, “द पोटेन्शियल ऑफ जियोस्पेटियल”, “एक्सपेंसिव पोटेन्शिलय फॉर ग्रोथ इन सेटकॉम्स” और “कमर्शियल स्पेस: ब्राउन, ग्रीन एंड ब्ल्यू” जैसे विषयों में पर चर्चा की।
डॉ. जितेन्द्र सिंह ने उद्योगपतियों को बताया कि भारत और अमेरिका के बीच अंतरिक्ष विज्ञान और अन्वेषण में सफलतापूर्वक सहयोग स्थापित किया है और इसरो और नासा पृथ्वी के निरीक्षण के लिए एक संयुक्त रेडार उपग्रह निसार [नासा-इसरो सिंथेटिक एपर्चर रेडार] छोड़ने के लिए मिलकर काम कर रहे हैं। निसार मिशन जलवायु संकट से निपटने के लिए महत्वपूर्ण डेटा एकत्र करेगा। मंत्री ने यह भी बताया कि इसरो को अपने मिशनों जैसे चंद्रयान-1, मार्स ऑर्बिटर मिशन (एमओएम) और चंद्रयान-2 मिशन में नासा से डीप स्पेस नेटवर्क एंटीना सपोर्ट प्राप्त कर रहा है और हमारे चंद्रयान -3 मिशन के लिए समर्थन प्राप्त करना जारी रखेगा। उन्होंने कहा, भारत में अंतरिक्ष सुधारों को देखते हुए, भारत अंतरिक्ष प्रणाली और बुनियादी ढांचे की संरचना, निर्माण और संयुक्त विकास के लिए निजी क्षेत्रों के साथ जुड़ने का इंतजार कर रहा है।
भू-स्थैतिक इकोसिस्टम के विषय पर, डॉ. जितेन्द्र सिंह ने चर्चा में कहा कि हाल के नीति सुधार एक जीवंत और गतिशील डेटा-संचालित डिजिटल अर्थव्यवस्था बनाने के लिए शिक्षाविदों, उद्योग और अन्य हितधारकों के साथ काम करने के अवसर प्रदान करते हैं। उन्होंने कहा, निसार के अलावा अर्थ ऑब्जर्वेशन सैटेलाइट, दोनों पक्ष मौसम की भविष्यवाणी, ग्राउंड रेफरेंसिंग और पोजिशनिंग, नेविगेशन और टाइमिंग (पीएनटी) की जानकारी के लिए उपयोग में आने वाले संयुक्त रूप से विकसित जियो-स्टेशनल डेटा सेट में सहयोग का विस्तार कर सकते हैं।
“अर्थ साइंस एंड ऑब्जरवेशन’ के मुद्दे पर, डॉ. जितेन्द्र सिंह ने बताया कि संयुक्त वैज्ञानिक और तकनीकी कौशल और उपग्रह डेटा का उपयोग समाज के लाभ के लिए पृथ्वी का निरीक्षण बढ़ाने और सबसे प्रभावी जानकारी [हिंद महासागर परिवर्तनशीलता और मॉनसून] का उपयोग कर सकते हैं। मंत्री ने कहा, अरब सागर के महत्व को समझते हुए, भारत और अमेरिका के वैज्ञानिक दल एक सहयोगी भारत-यूएसए कार्यक्रम को परिभाषित करने के लिए एक साथ आए हैं, जिसे ईकेएएमएसएटी कहा जाता है, जहां वैज्ञानिक दल मॉनसून, चक्रवात और गंभीर मौसम प्रणालियों की बेहतर भविष्यवाणी के लिए भारत और अमेरिका के अनुसंधान जहाजों का उपयोग करते हुए अरब सागर के खुले पानी में संयुक्त वैज्ञानिक सहयोग में संलग्न होंगे।
स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकियों के पहलुओं पर ध्यान देते हुए, डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा, अमेरिकी ऊर्जा विभाग (डीओई) और भारत सरकार [विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के नेतृत्व में] ने 2021 में एक समझौते पर हस्ताक्षर किए ताकि भारत और अमेरिका के वैज्ञानिकों और इंजीनियरों की टीमों द्वारा सार्वजनिक-निजी संकाय मोड के वैज्ञानिकों और इंजीनियरों द्वारा स्वच्छ ऊर्जा नवाचार को बढ़ावा देने और पारस्परिक हित के पहचाने गए क्षेत्रों जैसे – स्वच्छ कोयला प्रौद्योगिकी, उन्नत सुपरक्रिटिकल कार्बन डाइऑक्साइड (एससीओ 2) चक्र और कार्बन कैप्चर उपयोग और भंडारण (सीसीयूएस) में अनुसंधान और विकास केन्द्र (जेसीईआरडीसी) स्थापित किया जा सके।
“स्वास्थ्य विज्ञान और प्रौद्योगिकी” के बारे में, डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा, भारत और अमेरिका के बीच स्वास्थ्य क्षेत्र में लंबे समय से सहयोग रहा है। दोनों देशों के वैज्ञानिक समुदाय और निजी क्षेत्र महत्वपूर्ण बीमारियों को समझने और नए चिकित्सीय, निदान और टीके विकसित करने के लिए कई कार्यक्रमों में एक साथ काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा, पिछले अक्टूबर, 2021 में नए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए थे, जो दोनों देशों के बीच स्वास्थ्य क्षेत्र में सहयोग और साझेदारी के विस्तार के लिए एक व्यापक समझौता ज्ञापन प्रदान करता है।
भारतीय मंत्री ने कहा, उन्हें यह जानकर खुशी हुई कि उभरती प्रौद्योगिकियों के क्षेत्र में, अमेरिका के डीएसटी और एनएसएफ (नेशनल साइंस फाउंडेशन) ने हाल ही में साझा हितों के व्यापक क्षेत्रों में संयुक्त परियोजनाएं शुरू कीं जैसे- कोबोटिक्स, कंप्यूटर विजन, रोबोटिक्स और ऑटोमेशन इंटरनेट ऑफ थिंग्स और इंटरनेट ऑफ एवरीथिंग के लिए टेक्नोलॉजीज, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग, डेटा एनालिटिक्स, सेंसर, और नेटवर्किंग और टेक्नोलॉजीज फॉर इंटरनेट ऑफ थिंग्स एंड इंटरनेट ऑफ एवरीथिंग। उन्होंने बताया कि द्विपक्षीय एस एंड टी सहयोग में मेगा साइंस जैसे लीगो [लेजर इंटरफेरोमीटर ग्रेविटेशनल ऑब्जर्वेटरी], टीएमटी [थर्टी मीटर टेलीस्कोप], और न्यूट्रिनो फिजिक्स से लेकर क्लीन एनर्जी टेक्नोलॉजीज, हेल्थ साइंस, अर्थ एंड ओशन साइंस, एग्रीकल्चरल साइंस और उभरती प्रौद्योगिकियों में हमारे सहयोग का हाल में विस्तार शामिल है।
भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था का संक्षिप्त विवरण देने के अलावा, डॉ. जितेन्द्र सिंह ने यह कहते हुए निष्कर्ष निकाला कि क्वांटम टेक्नोलॉजी, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, डीप ओशन एक्सप्लोरेशन, इलेक्ट्रिक वाहन, दूरसंचार के लिए उभरती प्रौद्योगिकियों और सेमीकंडक्टर रिसर्च एंड इनोवेशन, भू-स्थैतिक डेटा जैसे सामान्य प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में सहयोग के विस्तार की बहुत गुंजाइश है। हम विश्व के सामने मौजूद समस्याओं का समाधान निकालने के लिए दोनों देशों के वैज्ञानिक समुदायों को लगातार समर्थन जारी रखने और आपके साथ काम करने के लिए तत्पर रहेंगे।
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