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नीलकंठ महादेव मामले की सुनवाई अब 31 जुलाई को

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बदायूं. भगवान नीलकंठ महादेव बनाम जामा मस्जिद मामले में एक नया मोड़ आ गया। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण मेरठ मंडल के अधीक्षण पुरातत्वविद द्वारा जो अपना पक्ष रखा गया। उसमें बताया है कि साल 1920 में केंद्रीय संरक्षित स्मारक घोषित किया जा चुका है जो आज भी उसी स्वरूप में है। सिविल बार की हड़ताल के चलते मामले में बहस नहीं हो सकी। अब इस मामले में अगली सुनवाई 31 जुलाई को होगी।भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण मेरठ मंडल के अधीक्षण पुरातत्वविद विनोद सिंह रावत ने अपना पक्ष मय शपथ पत्र जिला शासकीय अधिवक्ता सिविल के माध्यम से न्यायालय में रखा।

सिविल जज सीनियर डिवीजन के न्यायिक अधिकारी लीलू की कोर्ट में चल रहे भगवान नीलकंठ महादेव बनाम जामा मस्जिद के मुकदमे में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अधिकारी ने शपथ पत्र में यह भी उल्लेख किया कि वे सचिव संस्कृति मंत्रालय नई दिल्ली की ओर से अपना पक्ष कोर्ट में रख रहें हैं। पक्ष में लिखित रूप से उल्लेख किए गए की विवादित जगह 22 दिसंबर 1920 के द्वारा केंद्रीय संरक्षित स्मारक घोषित किया गया था, जो आज भी उसी स्वरूप में है। प्राचीन स्मारक संरक्षण अधिनियम का हवाला देते हुए विधिक बिंदु उल्लेख किया।

मंगलवार 30 मई को मामले में सुनवाई की तारीख थी। ऐसे में पुरातत्व विभाग ने भी अपनी रिपोर्ट अदालत को सौंप दी है। पुरातत्व विभाग की ओर से जवाब दाखिल हुआ है। उन्होंने यह केंद्र सरकार की संपत्ति होना माना है।

विवेक रेंडर, वादी पक्ष के अधिवक्ता

सिविल वार की हड़ताल के चलते सुनवाई नहीं हुई। सिविल जज सीनियर डिवीजन कोर्ट ने 31 जुलाई को सुनवाई की अगली तारीख दी है। कोर्ट में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण मेरठ मंडल की ओर से क्या जवाब दाखिल किया, इसकी जानकारी नहीं।

असरार अहमद, जामा मस्जिद पक्ष के अधिवक्ता

नीलकंठ महादेव पक्ष दावा

अखिल भारत हिंदू महासभा के प्रदेश संयोजक मुकेश पटेल आदि द्वारा अदालत में किए गए दावे के मुताबिक शहर में स्थित जामा मस्जिद पूर्व में राजा महीपाल का किला था। यहां नीलकंठ महादेव का मंदिर था। मस्जिद की मौजूदा संरचना नीलकंठ महादेव के प्राचीन मंदिर को ध्वस्त करके बनाई गई है। साल 1175 में पाल वंशीय राजपूत राजा अजयपाल ने इस मंदिर का जीर्णोद्धार कराया था। मुगल शासक शमसुद्दीन अल्तमश ने इसे ध्वस्त करके जामिया मस्जिद बना दिया। इसका नक्शा समेत सरकारी गजेटियर भी कोर्ट में पेश किया गया है।

मुस्लिम पक्ष का दावा

इंतजामिया कमेटी के सदस्य व अधिवक्ता असरार अहमद मुस्लिम पक्ष के वकील हैं। उनके मुताबिक जामा मस्जिद शम्सी लगभग 840 साल पुरानी है। मस्जिद का निर्माण शमसुद्दीन अल्तमश ने करवाया था। यहां मंदिर का कोई अस्तित्व नहीं है।

साभार : हिंदुस्तान

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