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कम है भारत और चीन के लोगों की बौद्धिक क्षमता : मिखाइलो पोडल्यक

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कीव. यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की के एडवाइजर मिखाइलो पोडल्यक ने भारत-चीन के लोगों की बौद्धिक क्षमता पर सवाल उठाए। पोडल्यक का बयान रूसी मीडिया स्पुतनिक के एक आर्टिकल में छपा था। इसके मुताबिक, जेलेंस्की के एडवाइजर ने कहा- भारत और चीन के लोग की बौद्धिक क्षमता कम है और वो ये बात नहीं समझ पाते हैं कि उनके एक्शन का क्या परिणाम होगा।

पोडल्यक ने आगे कहा- ये देश साइंस में इन्वेस्ट करते हैं। भारत चंद्रयान-3 मिशन से चांद तक पहुंचा, जो अब चंद्रमा की सतह पर ट्रेकिंग कर रहा है। लेकिन इसका ये मतलब नहीं है कि ये देश इस बात को समझ पा रहे हैं कि आधुनिक दुनिया क्या है। भारत और चीन ये तय नहीं कर पा रहे हैं कि यूक्रेन पर रूस के हमले को लेकर उनका क्या रुख है।

चीन के विदेश मंत्रालय ने जवाब मांगा
पोडल्यक के इस बयान पर चीन के विदेश मंत्रालय ने सवाल उठाए। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि यूक्रेनी अधिकारी को साफ करना होगा कि इस बयान से उनका क्या मतलब था। उन्हें जंग के संदर्भ में चीन के रुख को सही तरह से समझने की जरूरत है। बयान पर विवाद होने के बाद पोडल्यक ने इस पर सफाई भी दी है

जेलेंस्की के एडवाइजर पर विवाद होने के बाद उन्होंने इस पर सफाई भी दी। उन्होंने कहा- भारत, चीन और तुर्किये दुनिया के विकास में बड़ी भूमिका निभा रहे हैं। ये देश एतिहासिक, आर्थिक, वैज्ञानिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक तौर पर अहम हैं। इन क्षेत्रों में भारत-चीन की भूमिका रूस मुद्दे की तुलना में कहीं ज्यादा अहम है।

G20 घोषणा पत्र पर यूक्रेन ने कहा था- ये गर्व की बात नहीं
इससे पहले G20 समिट के दौरान घोषणा पत्र पर सहमित बनने के बाद, जब पूरी दुनिया भारत की तारीफ कर रही थी, तब भी यूक्रेन ने विवादित बयान दिया था। यूक्रेन के विदेश मंत्रालय ने कहा- इसमें कुछ गर्व की बात नहीं है। अगर हम समिट में शामिल होते तो लोगों को हालात के बारे में सही जानकारी मिल पाती।

दरअसल, नवंबर 2022 में इंडोनेशिया समिट में जारी घोषणा पत्र में रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर सदस्य देशों के बीच सहमति नहीं बन पाई थी। तब रूस और चीन ने अपने आप को युद्ध के बारे में की गई टिप्पणियों से अलग कर लिया था। तब घोषणा पत्र के साथ ही इन देशों की लिखित असहमति शामिल की गई थी।

रूस-यूक्रेन जंग में भारत नहीं दे रहा किसी एक का साथ
रूस-यूक्रेन जंग को लेकर भारत ने अपना रुख हमेशा से साफ रखा है। जंग की शुरुआत से भारत ने किसी एक पक्ष का साथ न देकर दोनों देशों से डिप्लोमेसी के लेवल पर विवाद सुलझाने की अपील की है। भारत UN और उससे जुड़ी दूसरी एजेंसियों में जंग को लेकर लाए गए रिजॉल्यूशन पर वोटिंग से दूर रहा है। वहीं चीन ने भी लगातार रूस-यूक्रेन जंग में किसी एक का साथ न देने की बात कही है। फरवरी में जंग के एक साल पूरे होने पर उन्होंने अपना पीस प्लान भी शेयर किया था।

साभार : दैनिक भास्कर

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