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अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा समारोह वाले दिन भक्तों का उत्साह देखने लायक था : वीरेंद्रजीत सिंह

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कानपुर. हिन्दुओं का इतना धैर्यपूर्ण साहस और विश्वास था कि वे अपनी भावसत्ता के सर्वोच्च प्रतीक के लिये 500 वर्षों तक जूझते रहे। हमारे पुरखों ने इस लौ को कायम रखा क्योंकि भारतीयों के मन में एक भरोसा, एक बल , एक आस-विश्वास और हृदय में राम कायम रहे। प्राण प्रतिष्ठा वाले दिन हमारी गाड़ियों को काफी दूर खड़ा किये जाने की व्यवस्था थी। उस दिन परिसर में भले ही 7000 लोग थे, लेकिन समारोह स्थल के बाहर कई किलोमीटर दूर तक भक्तों की लम्बी लाइन लगी थी। उन सभी का उत्साह देखने लायक था। यह बात राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के क्षेत्र संघचालक वीरेंद्रजीत सिंह ने श्रीमद्भगवदगीता जयन्ती आयोजन समिति, कानपुर प्रांत के द्वारा आयोजित श्रीरामलला जी की प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव में भागीदार कर वापस लौटे विशिष्टजनों के अनुभूति कथन व उनसे मिलन समारोह को संबोधित करते हुए होटल मंदाकिनी रायल, कानपुर में कहा।

समारोह के मुख्य अतिथि कानपुर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 विनय पाठक जी ने कहा कि प्राण प्रतिष्ठा के माध्यम से मॉ भारती का वास्तविक उद्भव हुआ है क्योकि हमारी मूल सनातनी परम्पराओं को सदियों से दबाया गया है, इससे शान्ति, धर्म और सद्भाव की स्थापना होगी तथा एक नये युग की शुरूआत होगी। समारोह को संबोधित करते हुए राजीव महाना ने कहा कि अयोध्याधाम में श्रीरामलला जी की पुर्न प्राण प्रतिष्ठा ने भारतवासियों की आस्था, विश्वास एवं परम्परा को संघर्ष के माध्यम से नया मुकाम दिया। उन्होने कहा कि पूरे अयोध्या में स्वर्ग की अनुभूति हो रही थी।

समित के संरक्षक डा0 उमेश पालीवाल जी ने अपनी अनुभूति को साझा करते हुये बताया कि प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम का निमंत्रण मिलने पर धन्य हो गये ऐसा ईश्वर की कृपा एवं पुरखों एवं अपने शुभेच्छुजनों के आशीर्वाद द्वारा हुआ। उन्होने कहा कि हमारी पीढ़ी बहुत ही सौभाग्यशाली है कि हम इस ऐतिहासिक क्षण के साक्षी बनें। पूरे अयोध्या में ऐसा लगा कि पुनः भगवान राम की वापसी पर अयोध्यावासियों का प्रेमभाव उमड़ पड़ा हो, प्रभु बालकराम के अद्भुत मुस्कान लिये हुये बाल विग्रह का दर्शन कर निहाल हो गये। पूरा मन्दिर परिसर बेहतरीन नक्काशी के साथ सुन्दर फूलों द्वारा सजा खूबसूरती बिखेर रहा था। प्रभु रामलला का अद्भुत दिव्य श्रंगार देखकर अभिभूत हो गये और पुनः दर्शन की अभिलाषा से देर शाम तक दीपोत्सव के साथ तीन बार दर्शन का सौभाग्य मिला।

इस अवसर पर अयोध्या से वापस लौट कर आये राम भक्तों ने कहा कि हमें भारत की प्राचीनता पर गर्व है भारत ने कई उत्थान -पतन देखे हैं, परन्तु अब भारतवर्ष अपने महान आदर्शों के माध्यम से सम्पूर्ण विश्व को प्रेरणा प्रदान करने की भूमिका में आ गया है, लेकिन इस भूमिका के निर्वहन हेतु हमे अपनी वर्तमान कमियों पर भी ध्यान देना होगा और अपनी अच्छाइयों को और निखारना होगा, जो हम चिरकाल से अपनाते चले आ रहे है। हमारे भारत का भविष्य वैसा ही महान होगा जैसा कि उसका पुरातन अतीत गरिमामयी विश्वगुरू के रूप में रहा है। उन्होने विस्तार से श्रेष्ठ भारत के निमार्ण का मार्ग बताया। प्रभु श्री रामलला प्राण प्रतिष्ठा समारोह के समय पूरे मन्दिर परिसर में सभी आमंत्रित विशिष्ट एवं श्रेष्ठजन एक आम नागरिक की तरह सम भाव में सभी से एकाकार हो रहे थे वहाँ कोई भेदभाव नही था तथा सभी भगवान की भक्ति में लीन थे तथा प्राण प्रतिष्ठा होते ही कई लोग नाचने लगे और कई लोगों की आखें खुशी से अश्रुपुरित हो गयी।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुये राजेश कुकरेजा ने बताया कि सभी लोग इस अभूतपूर्व कार्यक्रम के सुनहरे पलों को पूरी तरह से जी लेना चाह रहे थे, और उन्होने कहा कि प्राण प्रतिष्ठा का समारोह 140 करोड़ भारतीयों की जीजिविशा, अध्यात्मिकता, को नयी दिशा दे गया अब हम सब की जिम्मेदारी है समाज के सभी वर्ग बिना भेदभाव के राष्ट्र निमार्ण में लग जायें। समारोह में प्रमुख रूप से प्रो. एस.सी. वर्मा, अरुण चैतन्यपुरी महाराज, अमरनाथ, डॉ. रोचना विश्नोई व संजय कटियार आदि उपस्थित रहे। अंत में सभी को अयोध्या से आये प्रसाद के अंश रूप को वितरित किया गया। कार्यक्रम का संचालन तुषमुल मिश्रा ने किया।

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