नई दिल्ली. सरकार ने वक्फ संशोधन विधेयक के लिए संयुक्त संसदीय समिति (JPC) का गठन कर दिया है. समिति में कुल 31 सदस्यों को शामिल किया है. इसमें लोकसभा से 21 सदस्यों और राज्यसभा से 10 सदस्यों को शामिल किया गया है. यह समिति अब वक्फ बिल पर मंथन करेगी और अगले संसद सत्र के पहले हफ्ते के आखिरी दिन तक सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपेगी. समिति ने लोकसभा से जिन सदस्यों को शामिल किया गया है उसमें जगदंबिका पाल, निशिकांत दुबे, तेजस्वी सूर्या दिलीप सैकिया, गौरव गोगोई, इमरान मसूद, कृष्ण देवरयालु, मोहम्मद जावेद, कल्याण बनर्जी, ए राजा, दिलेश्वर कामैत, अरविंद सावंत, नरेश मस्के, अरुण भारती और एआईएमआईएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी शामिल हैं.
विपक्ष ने बिल का किया विरोध
सरकार ने एक दिन पहले यानी 8 अगस्त को इस बिल को लोकसभा में पेश किया. अल्पसंख्यक मंत्री किरेन रिजिजू ने जैसे ही बिल को सदन के पटल पर रखा विपक्षी दल के नेता हंगामा करने लगे. कांग्रेस के साथ-साथ इंडिया गठबंधन में शामिल दल बिल को मुसलमान विरोधी बताते हुए हंगामा करने लगे. कांग्रेस सांसद केसी वेणुगोपाल ने बिल को संविधान पर हमला बताया. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश से अयोध्या मंदिर बोर्ड का गठन किया गया. क्या कोई गैर हिंदू इसका सदस्य हो सकता है. फिर वक्फ बोर्ड में गैर मुस्लिम सदस्य की बात क्यों की जा रही है. उन्होंने कहा कि यह सीधे-सीधे मुस्लिमों पर हमला है. इसके बाद फिर ईसाई पर करेंगे, उसके बाद जैन पर करेंगे.
अखिलेश ने मुस्लिमों के साथ अन्याय बताया
वहीं, समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने आरोप लगाया कि सरकार प्रस्तावित वक्फ अधिनियम में संशोधन की आड़ के जरिए वक्फ की जमीन बेचने की योजना बना रही है. उन्होंने सरकार को रियल एस्टेट कंपनी की तरह काम करने का आरोप लगाया. पार्टी नेता मोहिबुल्लाह नदवी ने पूछा कि मुस्लिमों के साथ यह अन्याय क्यों किया जा रहा है?
सरकार बोली- किसी के धार्मिक स्वतमंत्रता में हस्तक्षेप नहीं
विपक्षी नेताओं के विरोध के बाद अल्पसंख्यक मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि वक्फ अधिनियम 1995 अपने उद्देश्य की पूर्ति करने में सफल नहीं रहा है. ये संशोधन उन कामों को पूरा करने के लिए लाया गया है आपकी सरकार नहीं कर सकी थी. यह किसी के धार्मिक स्वतंत्रता में हस्तक्षेप नहीं किया जा रहा है और यह संविधान के किसी भी अनुच्छेद का उल्लंघन भी नहीं किया गया है.
साभार : टीवी9 भारतवर्ष
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