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पश्चिम बंगाल के डॉक्टरों ने हड़ताल से वापस लौटने से किया इनकार

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कोलकाता. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज-अस्पताल में गतिरोध खत्म होता नहीं दिख रहा है। सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने कार्रवाई की चेतावनी देते हुए जूनियर डॉक्टरों से काम पर वापस लौटने की बात कही। अदालत ने जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल के कारण बुरी तरह चरमराई स्वास्थ्य व्यवस्था का संज्ञान लेते हुए कहा कि 31 वर्षीय महिला डॉक्टर के साथ हुई दरिंदगी के मामले में केंद्रीय जांच एजेंसी (CBI) की जांच हो रही है। इसके मद्देनजर वारदात से आक्रोशित जूनियर डॉक्टरों को काम पर लौटना चाहिए। हालांकि, सोमवार देर शाम डॉक्टरों ने काम पर लौटने से साफ इनकार कर दिया।

‘स्वास्थ्य सचिव और डीएचई इस्तीफा दें’

हड़ताल कर रहे प्रदर्शनकारी चिकित्सकों ने पश्चिम बंगाल के स्वास्थ्य सचिव और स्वास्थ्य शिक्षा निदेशक (डीएचई) के इस्तीफे की मांग की है। उन्होंने मंगलवार दोपहर सॉल्ट लेक स्थित स्वास्थ्य विभाग मुख्यालय तक एक रैली निकालने का एलान भी किया है। शासी निकाय की एक बैठक के बाद एक प्रदर्शनकारी चिकित्सक ने कहा, हमारी मांगें पूरी नहीं हुई हैं और मृतका को न्याय नहीं मिला है। हम अपना आंदोलन जारी रखेंगे और काम पर नहीं लौटेंगे। हम चाहते हैं कि स्वास्थ्य सचिव और डीएचई इस्तीफा दें।  गौरतलब है कि जूनियर डॉक्टर पिछले करीब एक महीने से काम पर नहीं लौटे हैं।

मृतका की मां का आरोप- झूठ बोल रही हैं सीएम ममता बनर्जी

एक तरफ जहां मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पीड़ित परिवार को पैसे का ऑफर दिए जाने से साफ इनकार कर दिया है तो दूसरी तरफ 31 वर्षीय मृतका की मां ने कहा, ‘सीएम ममता बनर्जी झूठ बोल रही हैं। मेरी बेटी दोबारा जिंदा नहीं होने वाली, क्या मैं उसके नाम पर झूठ बोल रही हूं?’ पीड़िता की मां के मुताबिक मुख्यमंत्री ने उन्हें आश्वासन दिया था कि सरकार पैसे देगी, अपनी बेटी की याद में कुछ काम करें। मृतका की मां के मुताबिक जब उनकी बेटी को इंसाफ मिलेगा तब मुख्यमंत्री कार्यालय आकर पैसे ले लेंगी।

मुख्यमंत्री आंदोलन का गला घोंटने की कोशिश कर रही हैं

मृतका की मां ने आगामी शारदीय नवरात्र के समय होने वाली दुर्गा पूजा का जिक्र कर कहा, ‘अगर पूरे देश के लोग महोत्सव में जाना चाहते हैं तो जा सकते हैं। लेकिन वे मेरी बेटी को अपना परिवार मानते हैं। अगर इसके बावजूद वे महोत्सव में जा सकते हैं तो उन्हें कुछ नहीं कहना।’ 31 वर्षीय महिला डॉक्टर के साथ हुई दरिंदगी की रौंगटे खड़ी करने वाली वारदात को लेकर पीड़िता की मां ने कहा, ‘मेरे घर में भी दुर्गा पूजा होती थी, मेरी बेटी खुद ही करती थी। लेकिन अब मेरे घर में कभी भी दुर्गा पूजा नहीं मनाई जाएगी। मेरे कमरे की लाइट बंद है। मैं लोगों से कैसे कहूं कि वे महोत्सव में जाएं? उन्होंने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री आंदोलन का गला घोंटने की कोशिश कर रही हैं। ठीक उसी तरह जैसे मेरी बेटी का गला घोंटा गया, सबूत मिटा दिए गए। विरोध-प्रदर्शन जारी रखने की चेतावनी देते हुए उन्होंने कहा, हम सड़क पर तब तक आंदोलन करते रहेंगे जब तक हमें न्याय नहीं मिल जाता।’

सीबीआई को जांच के लिए एक और सप्ताह मिला

सोमवार को मुकदमे की सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने डॉक्टरों को समाज के प्रति जवाबदेही की याद दिलाते हुए कहा कि सीबीआई को इस मामले में जांच के लिए एक और हफ्ता चाहिए। ऐसे मेंअदालत वक्त देने पर सहमत है और मामले की सुनवाई 17 सितंबर तक स्थगित की जाती है। सुप्रीम कोर्ट ने याद दिलाया कि उसने डॉक्टरों के काम पर लौटने के बाद उनके खिलाफ कोई कार्रवाई न करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने टिप्पणी की है कि अब भी अगर वे काम पर नहीं लौटते हैं तो हम राज्य सरकार को कार्रवाई करने से नहीं रोक सकते हैं।

ड्यूटी ज्वाइन करने पर परेस नहीं, हड़ताल जारी रही तो….

सीजेआई की पीठ ने जब ऐसी टिप्पणी की तो इस पर वरिष्ठ अधिवक्ता गीता लूथरा ने कहा, डॉक्टरों को धमकाया जा रहा है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि डॉक्टरों से कल शाम 5 बजे तक काम पर लौटने को कहा। कोर्ट ने आश्वासन दिया कि उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी। हालांकि, शीर्ष अदालत ने चेतावनी दी कि अगर काम से लगातार दूर रहना जारी रहा तो उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जा सकती है।

साभार : अमर उजाला

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