लखनऊ. संभल की शाही जामा मस्जिद की सर्वे रिपोर्ट सोमवार तक यहां एक अदालत में पेश की जानी थी, लेकिन वह फिर फाइल नहीं हो सकी. जिस संभल जामा मस्जिद के सर्वे को लेकर पूरा बवाल हुआ, हिंसा हुई.. उसी की सर्वे रिपोर्ट अदालत में पेश होने के लिए बार-बार तारीख का इंतजार कर रही है. ऐसा पहली बार नहीं हुआ है, बल्कि ये दूसरी बार है जब सर्वेक्षण रिपोर्ट अदालत के सामने दाखिल नहीं की जा सकी. आज की सुनवाई में ऐसा क्या हुआ, जो फिर से अगली डेट लग गई. आइये जानते हैं..
दरअसल, आज की सुनवाई में भी एडवोकेट कमिश्नर रमेश सिंह राघव ने अपने खराब स्वास्थ्य का हवाला देते हुए 15 दिन की मोहलत मांगने के लिए एक एप्लीकेशन दायर की. उनके अनुसार, सिविल कोर्ट (सीनियर डिवीजन) द्वारा शाम चार बजे आवेदन पर फैसला लिए जाने की उम्मीद है. लोकल कोर्ट ने 19 नवंबर को हिंदू पक्ष की उस याचिका पर गौर करने के बाद एडवोकेट कमिश्नर द्वारा मस्जिद का सर्वे कराए जाने के लिए एकपक्षीय आदेश पारित किया था, जिसमें दावा किया गया था कि मस्जिद का निर्माण मुगल बादशाह बाबर ने 1526 में एक मंदिर को ध्वस्त करके किया था. 24 नवंबर को दूसरे दौर के सर्वे के दौरान हिंसा हुई, जिसमें चार लोगों की मौत हो गई और दर्जनों लोग घायल हो गए थे
एडवोकेट कमिश्नर ने कहा “आज मैंने अदालत में न्यायनिर्णयन आवेदन (Adjudication Application) दायर किया है. सर्वेक्षण की अंतिम रिपोर्ट तैयार है और अंतिम चरण में है. राघव ने कहा, “यह रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में पेश की जाएगी, लेकिन स्वास्थ्य कारणों से मैंने अदालत से 15 दिन का समय मांगा है.” उन्होंने कहा “मुझे 3-4 दिन से बुखार था. मैं अभी तक रिपोर्ट का विश्लेषण नहीं कर पाया हूं. दूसरा पक्ष अपनी आपत्ति दर्ज कराएगा. आपत्ति सुनने के बाद अदालत शाम करीब चार बजे अपना फैसला सुनाएगी.”
इस बीच, मुस्लिम पक्ष के वकील जफर अली ने कहा कि सर्वेक्षण रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में पेश की जाएगी. अली ने कहा, “अगली कार्यवाही हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद शुरू होगी. उससे पहले कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी.” वह सुप्रीम कोर्ट के 29 नवंबर के आदेश का जिक्र कर रहे थे, जिसमें उसने संभल की सुनवाई अदालत से मुगलकालीन शाही जामा मस्जिद और उसके सर्वेक्षण से जुड़े मामले की कार्यवाही रोकने को कहा था और उप्र सरकार को हिंसा प्रभावित शहर में शांति और सद्भाव बनाए रखने का निर्देश दिया था.
साभार : न्यूज18
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