नई दिल्ली. वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के पारस्परिक टैरिफ लागू कर देने के बाद अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने एक कार्यक्रम में कहा कि हम अमेरिका द्वारा लगाए गए पारस्परिक टैरिफ के प्रभाव का विश्लेषण कर रहे हैं। पीटीआई की खबर के मुताबिक, उन्होंने यह भी कहा कि अगर डोनाल्ड ट्रम्प के लिए अमेरिका पहले हैं तो हमारी पीएम मोदी के लिए भी भारत पहले है। दरअसल, अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने न्यूनतम 10% टैरिफ लागू करने की घोषणा आज कर दी। इसमें व्हाइट हाउस द्वारा सबसे खराब अपराधी के रूप में चिह्नित देशों के लिए कठोर टैरिफ रेट शामिल हैं। नए टैरिफ करीब 100 देशों को प्रभावित करते हैं। इनमें से 60 को ज्यादा आयात शुल्क का सामना करना पड़ता है। ट्रम्प ने ब्रिटेन पर 10%, यूरोपीय संघ पर 20% और भारत पर 26% शुल्क लागू करने का ऐलान किया है।
भारत पर इसके प्रभाव के बारे में पूछे जाने पर वित्त राज्य मंत्री ने कहा कि इसका आकलन जारी है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन का मानना है कि अमेरिकी वस्तुओं पर भारत उच्च आयात शुल्क वसूलता है, ऐसे में अब देश के व्यापार घाटे को कम करने और विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए यह कदम उठाना जरूरी था। इस कदम से अमेरिका को भारत के निर्यात पर असर पड़ने के आसार हैं। हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि भारत अपने प्रतिद्वंद्वियों की तुलना में बेहतर स्थिति में है, जिन्हें हमसे अधिक शुल्क का सामना करना पड़ेगा।
वाणिज्य मंत्रालय कर रहा विश्लेषण
वाणिज्य मंत्रालय अमेरिका द्वारा भारत से आयात पर लगाए गए 26 प्रतिशत के जवाबी शुल्क क्या असर हो सकता है, इसका विश्लेषण कर रहा है। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया कि अमेरिका में सभी आयातित सामानों पर एक समान 10 प्रतिशत का शुल्क 5 अप्रैल से और बाकी 16 प्रतिशत शुल्क 10 अप्रैल से लागू होगा। अधिकारी ने कहा कि मंत्रालय इन शुल्कों के प्रभाव का विश्लेषण कर रहा है। अधिकारी ने कहा कि एक प्रावधान है कि अगर कोई देश अमेरिका की चिंताओं का समाधान करता है, तो डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन उस देश के खिलाफ शुल्क कम करने पर विचार कर सकता है। आपको बता दें, भारत पहले से ही अमेरिका के साथ द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर बातचीत कर रहा है। दोनों देश इस साल सितंबर-अक्टूबर तक समझौते के पहले फेज को आखिरी रूप देने का लक्ष्य लेकर चल रहे हैं। अधिकारी ने कहा कि यह भारत के लिए एक झटका नहीं, बल्कि मिला-जुला नतीजा है।
भारत पर हो सकता है इसका असर
विशेषज्ञों का कहना है कि अमेरिका के भारतीय उत्पादों पर जवाबी शुल्क लगाने से कृषि, बहुमूल्य पत्थर, रसायन, औषधि, चिकित्सकीय उपकरण, इलेक्ट्रिकल व मशीनरी सहित क्षेत्रों के सामान प्रभावित हो सकते हैं। इन क्षेत्रों में हाई टैरिफ अंतर के चलते अमेरिकी प्रशासन से अतिरिक्त सीमा शुल्क का सामना करना पड़ सकता है। हाई टैरिफ का अंतर, किसी उत्पाद पर अमेरिका और भारत द्वारा लगाए गए आयात शुल्कों के बीच का अंतर है। व्यापक क्षेत्र स्तर पर, भारत और अमेरिका के बीच संभावित शुल्क अंतर विभिन्न क्षेत्रों में अलग-अलग है।
कितने का है हाई टैरिफ अंतर
रसायनों तथा औषधि पर यह अंतर 8.6 प्रतिशत; प्लास्टिक पर 5.6 प्रतिशत, वस्त्र और परिधान पर 1.4 प्रतिशत; हीरे, सोने तथा आभूषणों पर 13.3 प्रतिशत; लोहा, इस्पात व आधार धातुओं पर 2.5 प्रतिशत; मशीनरी व कंप्यूटर पर 5.3 प्रतिशत; इलेक्ट्रॉनिक पर 7.2 प्रतिशत और वाहन तथा उसके घटकों पर 23.1 प्रतिशत है।
साभार : इंडिया टीवी
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