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सीसीपीए ने भ्रामक विज्ञापन और अनुचित व्यापार प्रथाओं के लिए डिजिटल एज रिटेल प्राइवेट लिमिटेड पर 2 लाख रुपए का लगाया जुर्माना

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केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (सीसीपीए) ने मेसर्स डिजिटल एज रिटेल प्राइवेट लिमिटेड (फर्स्टक्राई) पर गलत और भ्रामक मूल्य निर्धारण के लिए 2,00,000/- रुपए का जुर्माना लगाया है। यह आदेश उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 की धारा 10, 20 और 21 के तहत पारित किया गया है 

सीसीपीए ने मेसर्स डिजिटल एज रिटेल प्राइवेट लिमिटेड (फर्स्टक्राई) के खिलाफ अपने ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म ( www.firstcry.com ) पर भ्रामक विज्ञापन प्रकाशित करने और अनुचित व्यापार व्यवहार में लिप्त होने के आरोप में आदेश जारी किया है। यह मामला एक उपभोक्ता की शिकायत से उत्पन्न हुआ था कि फर्स्टक्राई ने उत्पादों पर “सभी करों सहित अधिकतम खुदरा मूल्य” दर्शाया था, जबकि चेक आउट के समय, छूट वाले मूल्य पर अतिरिक्त जीएसटी लगाया गया था। इससे अधिक छूट का भ्रामक प्रभाव पड़ा और उपभोक्ताओं को अंतिम देय राशि के बारे में गुमराह किया गया।

राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन (एनसीएच) के आंकड़ों द्वारा समर्थित जांच से पता चला है कि एमआरपी पर छूट का विज्ञापन करने, लेकिन रियायती मूल्य पर अलग से जीएसटी वसूलने की प्रथा उपभोक्ताओं को मिलने वाले लाभ को काफी कम कर देती है। उदाहरण के लिए, 27% छूट के साथ विज्ञापित उत्पाद, जीएसटी लागू होने के बाद प्रभावी रूप से केवल 18.2% छूट पर बेचे गए। इस तरह के प्रतिनिधित्व को उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 की धारा 2(28) के तहत भ्रामक मूल्य निर्धारण, भ्रामक विज्ञापन और धारा 2(47) के तहत अनुचित व्यापार व्यवहार के रूप में पाया गया।

यह देखा गया कि “अतिरिक्त शुल्क लागू हो सकते हैं” या “रियायती मूल्य पर जीएसटी और अतिरिक्त शुल्क लागू हो सकते हैं” जैसे अस्वीकरण वैधानिक आवश्यकता को ओवर राइड नहीं करते हैं कि एमआरपी में सभी करों को शामिल करना चाहिए। मूल्य को कर-समावेशी के रूप में दर्शाकर और फिर चेक आउट पर जीएसटी लगाकर, कंपनी “ड्रिप प्राइसिंग” में लगी हुई थी, जो कि डार्क पैटर्न की रोकथाम और विनियमन, 2023 के के तहत एक डार्क पैटर्न है, जिसने उपभोक्ताओं को अंतिम देय राशि के बारे में गुमराह किया और निर्णय लेने को कमजोर किया। इस तरह की प्रथा ने उपभोक्ता संरक्षण (ई-कॉमर्स) नियम, 2020 के नियम 7(1)(ई) का भी उल्लंघन किया, जिसमें सभी शुल्कों और करों सहित कुल मूल्य को अग्रिम रूप से प्रदर्शित करने की आवश्यकता होती है। इसलिए सीसीपीए ने कंपनी को इस प्रथा को सुधारने और यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया

कंपनी के व्यापक संचालन और भारत एवं एशिया में मातृत्व, शिशु एवं बच्चों के उत्पादों के सबसे बड़े ऑनलाइन खुदरा विक्रेताओं में से एक के रूप में इसकी प्रतिष्ठा को देखते हुए, इस विवादित प्रथा का उपभोक्ताओं पर महत्वपूर्ण और व्यापक प्रभाव देखा गया। इसलिए, सीसीपीए ने कंपनी को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि मूल और रियायती दोनों कीमतों में हमेशा सभी कर शामिल हों, और शिपिंग या सुविधा शुल्क जैसे किसी भी अतिरिक्त शुल्क का स्पष्ट रूप से खुलासा किया जाए। यह भी निर्देश दिया है कि यह भ्रामक प्रथा, जो अभी बंद कर दी गई है, भविष्य में कभी नहीं अपनाई जानी चाहिए।

सीसीपीए के हस्तक्षेप के बाद, कंपनी ने अपनी वेबसाइट और मोबाइल एप्लिकेशन पर कीमतों के प्रदर्शन में अधिक पारदर्शिता लाने के लिए अपने प्लेटफ़ॉर्म में सुधार किया है। साथ ही, कंपनी की वेबसाइट और मोबाइल एप्लिकेशन के सभी पृष्ठों पर ‘सभी करों सहित मूल्य’ का अस्वीकरण प्रमुखता से प्रदर्शित किया गया है। ये बदलाव कंपनी के प्लेटफ़ॉर्म पर लागू हैं और स्पष्ट रूप से दर्शाते हैं कि रियायती मूल्य पर कोई जीएसटी नहीं लिया जाएगा और सभी पृष्ठों पर छूट के बाद प्रदर्शित मूल्य ही सभी करों सहित उत्पाद का अंतिम मूल्य है।

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