तेल अवीव. इजरायल की बेंजामिन नेतन्याहू की सरकार ने उस फैसले को मंजूरी दे दी है, जिसमें भारत में रहने वाले यहूदी जनजातियों को वापस ले जाना है। रविवार को इस फैसले को मंजूरी दी गई है, जिसके तहत इजरायल ने 2030 तक बेनी मेनाशे समुदाय के करीब 5,800 सदस्यों को शामिल करने के प्लान को मंजूरी दे दी है। भारत के उत्तर-पूर्वी राज्यों मिजोरम और मणिपुर में रहने वाले ये यहूदी समुदाय के लोग सदियों से भारत में रह रहे हैं।
नेतन्याहू की सरकार ने इन्हें धीरे-धीरे उत्तरी इजरायल के गैलिली इलाके में बसाने को मंजूरी दी है। हालांकि ये क्षेत्र काफी संवेदनशील है और यह इलाका, लेबनान के हिज़्बुल्लाह मिलिटेंट ग्रुप के साथ लड़ाई से बहुत ज्यादा प्रभावित हुआ है। पिछले दो सालों से चल रही लड़ाई में इस इलाके में रहने वाले हजारों लोगों को अपना घर छोड़ना पड़ा है। प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने इस फैसले को “जरूरी और जायोनी” बताया और कहा कि इससे इजरायल का उत्तरी इलाका मजबूत होगा।
इजरायल जाएंगे भारत में रहने वाले यहूदी जनजाति के लोग
इजरायली सरकार की योजना के मुताबिक, पहला समूह 1,200 लोगों का होगा, जो अगले साल इजरायल जाएगा। इनके पुनर्वास और समायोजन की जिम्मेदारी इमिग्रेशन विभाग को दी गई है। इजरायल ले जाने के बाद इन्हें आर्थिक मदद दी जाएगी, इन्हें हिब्रू भाषा सीखने की ट्रेनिंग दी जाएगी, इनके लिए नौकरी की व्यवस्था की जाएगी और शुरूआत में इनके लिए घर भी बनाए जाएंगे। सरकार ने पहले चरण के लिए करीब 27 मिलियन डॉलर के फंड को मंजूरी दी है। रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले कुछ सालों में पहले ही इस समुदाय के करीब 4 हजार सदस्य इजरायल में बस चुके हैं। यह योजना भारत सरकार के साथ संयुक्त विचार-विमर्श के बाद तैयार की गई है।
साभार : नवभारत टाइम्स
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