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तिरुपुर कुमारन

कुमारन को तिरुपुर कुमारन भी कहा जाता है (04 अक्टूबर 1904 – 11 जनवरी 1932) एक भारतीय क्रांतिकारी थे जिन्हों ने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लिया था। कुमारन का जन्म भारत मद्रास प्रेसिडेंसी, चेन्नई (तमिलनाडु में वर्तमान ईरोड जिला) में चेननिमालाई में हुआ था। उन्होंने देश बंधु युवा संघ …

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सुभाष चन्द्र बोस

स्वतंत्रता पूर्व कांग्रेस के अधिवेशनों में अध्यक्ष का चुनाव होता था। ऐसे ही अधिवेशनों में कुछ गरम दल के लोग भी अध्यक्ष बने, जिनमें 1920 में विशेष सत्र में लाला लाजपत राय थे, जिन्हें इसी वर्ष हटाकर दूसरा अध्यक्ष चुन लिया गया। 1938 में सुभाष चन्द्र बोस कांग्रेस के अध्यक्ष …

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गणेश शंकर विद्यार्थी

गणेश शंकर विद्यार्थी एक महान पत्रकार और स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे। क्रांतिकारी विचारों से ओत-प्रोत होने के कारण उनकी संघर्ष गाथा, विशेष रूप से उनकी हत्या की चर्चा बहुत कम होती है। भारत का पहला दंगा मोपला, केरल में 1921 में हुआ था। इस दंगे में 2000 हिन्दुओं की हत्या …

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स्वामी श्रद्धानंद सरस्वती

देश में ऐसे अनगिनत स्वतंत्रता संग्राम सेनानी हुये जो पहले कांग्रेस के साथ जुड़े या उसे अपना समर्थन दिया लेकिन बाद में वैचारिक मतभेद होने के कारण एक अलग राह बना ली। इनमें सुभाष चंद्र बोस, भगत सिंह व डॉ. केशवराव बलिराम हेडगेवार जैसे अनेक नाम शामिल हैं। तो कुछ …

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एनी बेसेंट

कांग्रेस में गांधीजी के आने के बाद भी बाल गंगाधर तिलक की 1920 में मृत्यु तक गरम दल के लोगों का प्रभाव अधिक था। इस कारण बाल-लाल-पाल की तिकड़ी कई मुखर होकर कार्य करने वालों को कांग्रेस में प्रवेश कराने में सफल हुई। इन्हीं में से एक नाम था एनी …

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वासुदेव बलवंत फड़के

जैसा कि हम पहले भी यह बता चुके हैं कि समय-समय पर देश के अलग-अलग भागों में अंग्रेजों के विरुद्ध सशस्त्र संघर्ष होते रहे। ऐसा ही एक मुक्ति संग्राम महाराष्ट्र में वासुदेव बलवंत फड़के के नेतृत्व में चलाया गया था। वासुदेव का जन्म 4 नवंबर 1845 को हुआ था। वो …

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राव उमरावसिंह

राव उमरावसिंह उत्तर प्रदेश के दादरी भटनेर साम्राज्य के राजा थे। उनके पूरे परिवार ने 1857 की स्वतंत्रता में महत्वपूर्ण योगदान दिया। राव उमरावसिंह का सहयोग उनके पिता किशनसिंह के भाई राव रोशनसिंह और उनके बेटे राव बिशनसिंह ने दिया। 1857 के विद्रोह से प्रेरणा लेकर इस परिवार ने आस-पास …

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कोतवाल धन सिंह

8 अप्रैल को मंगल पाण्डेय को फांसी दी जा चुकी थी। इससे अंग्रेजों की मुश्किल कम होने की जगह बढ़ती चली गई। बैरकपुर से शुरू हुई यह क्रांति सबसे पहले आस-पास के क्षेत्रों में फैली। धन सिंह उस समय मेरठ की सदर कोतवाली के प्रमुख थे। मेरठ से कोतवाल धन …

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राव कदम सिंह

मेरठ से क्रांति के अग्रिम ध्वज वाहक मंगल पाण्डेय थे। भले ही उनके विद्रोह के समय उन्हें पर्याप्त समर्थन नहीं मिला, जिसके कारण उनका बलिदान हो गया, किन्तु इस चिंगारी ने इसी शहर के एक और क्रांतिकारी राव कदम सिंह को और अधिक क्रियाशील बना दिया। राव का प्रमुख प्रभाव …

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मंगल पाण्डेय

अंग्रेज जिस प्रकार भारतीय राजाओं से सत्ता छीन रहे थे। कहीं उत्तराधिकारी विवाद को पैदा कर, तो कहीं कोई अन्य कारण बता कर। इस कारण इन सभी में अंग्रेजों के खिलाफ भारी असंतोष था। कुछ स्थानों पर संघर्ष भी देखने को मिला। अभी तक हमने जिन भी स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों …

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