-प्रो.रसाल सिंह जिसको न निज गौरव तथा निज देश का अभिमान हैI वह नर नहीं, नर-पशु निरा है और मृतक समान हैII कविवर माखनलाल चतुर्वेदी की ‘आत्माभिमान’ शीर्षक कविता की ये पंक्तियाँ स्वतंत्रता और राष्ट्रीयता की भावना की नींव हैंI ‘स्वतंत्रता’ एक शब्द नहीं तन-मन में बिजली …
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