– प्रहलाद सबनानी भारतीय संस्कृति के अनुसार ही भारतीय आर्थिक दर्शन में भी सृष्टि की समस्त इकाईयों, अर्थात व्यक्ति, परिवार, समाज, राष्ट्र एवं समष्टि को एक माला की कड़ी के रूप में देखा गया है। एकता की इस कड़ी को ही पंडित दीनदयाल जी उपाध्याय ने ‘एकात्म मानववाद’ बताया है। …
Read More »राष्ट्र के पिता नहीं, राष्ट्र के तो लाल होते हैं
नई दिल्ली. अभिनेत्री व सांसद कंगना रनौत ने लाल बहादुर शास्त्री की जयंती पर पोस्ट किया कि ‘देश के पिता नहीं, देश के तो लाल होते हैं। धन्य है भारत माता का यह लाल।’ उनके इस सोशल मीडिया पोस्ट पर विवाद हो गया। संविधान में कहीं भी गांधीजी को राष्ट्रपिता …
Read More »जातिगत जनगणना, इंदिरा-राजीव के सिद्धांतों का अपमान : कांग्रेस नेता आनंद शर्मा
नई दिल्ली. कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को चिट्ठी लिखी है। इसमें लिखा कि जाति जनगणना कराने से न तो बेरोजगारी की समस्या हल होगी और न ही समाज में असमानता खत्म होगी। इसे इंदिरा जी और राजीव जी की विरासत का अपमान माना जाएगा। आनंद …
Read More »