रविवार, दिसंबर 22 2024 | 05:08:13 PM
Breaking News
Home / राज्य / अन्य-राज्य / भविष्य की चुनौतियों का कर रहे लगातार समाधान : नरेंद्र मोदी

भविष्य की चुनौतियों का कर रहे लगातार समाधान : नरेंद्र मोदी

Follow us on:

पणजी (मा.स.स.). गोवा में हर घर जल उत्सव में प्रधानमंत्री को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत, केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत जी, गोवा सरकार के अन्य मंत्री, अन्य महानुभाव, देवियों और सज्जनों, आज के एक बहुत ही महत्वपूर्ण और पवित्र दिवस है। देश भर में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की धूम है। सभी देशवासियों को, दुनियाभर में फैले भगवान श्रीकृष्ण के भक्तों को बहुत-बहुत बधाई। जय श्री कृष्ण।

आज का ये कार्यक्रम गोवा में हो रहा है। लेकिन आज मैं सभी देशवासियों के साथ देश की तीन बड़ी उपलब्धियों को साझा करना चाहता हूं। और ये बात मैं पुरे देश के लिए कहना चाहता हूं। भारत की इन उपलब्धियों के बारे में जब मेरे देशवासी जानेंगे, मुझे पक्का विश्वास है उनको बहुत गर्व होगा, और विशेषकर हमारी माताओं और बहनों को बहुत गर्व होगा। अमृतकाल में भारत जिन विशाल लक्ष्यों पर काम कर रहा है, उससे जुड़े तीन अहम पड़ाव हमने आज पार किए हैं। पहला पड़ाव – आज देश के 10 करोड़ ग्रामीण परिवार पाइप से स्वच्छ पानी की सुविधा से जुड़ चुके हैं। ये घर जल पहुंचाने की सरकार के अभियान की एक बहुत बड़ी सफलता है। ये सबका प्रयास का एक बेहतरीन उदाहरण भी है। मैं इस उपलब्धि के लिए हर देशवासी को और विशेषकर माताओं और बहनों को बधाई देता हूं।

देश ने और विशेषकर गोवा ने आज एक उपलब्धि हासिल की है। आज गोवा देश का पहला राज्य बना है, जिसे हर घर जल सर्टिफाई किया गया है। दादरा नगर हवेली एवं दमन और दीव भी, हर घर जल सर्टिफाइड केंद्र शासित प्रदेश बन गए हैं। बीते कुछ वर्षों में देश के हर बड़े मिशन में गोवा अग्रणी भूमिका निभाता जा रहा है। मैं गोवा की जनता को, प्रमोद जी और उनकी टीम को, गोवा की सरकार को, स्थानीय स्वराज की संस्थाओं को, हर किसी को बहुत बहुत शुभकामनाएं देता हूं। आपने जिस प्रकार हर घर जल मिशन को आगे बढ़ाया है, वह पूरे देश को प्रेरित करने वाला है। मुझे खुशी है कि आने वाले महीनों में कई और राज्य इस सूची में जुड़ने वाले हैं।

देश की तीसरी उपलब्धि स्वच्छ भारत अभियान से जुड़ी है। कुछ साल पहले सभी देशवासियों के प्रयासों से, देश खुले में शौच से मुक्त घोषित हुआ था। इसके बाद हमने संकल्प लिया था कि गांवों को ODF प्लस बनाएंगे। यानि कम्यूनिटी टॉयलेट्स, प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट, ग्रे वॉटर मैनेजमेंट, गोबरधन प्रोजेक्ट्स, ऐसी सुविधाएं विकसित की जाएंगी। इसको लेकर भी देश ने अहम माइलस्टोन हासिल किया है। अब देश के अलग-अलग राज्यों के एक लाख से ज्यादा गांव ODF प्लस हो चुके हैं। इन तीनों अहम पड़ाव को पार करने वाले सभी राज्यों को, सभी गांवों को बहुत-बहुत बधाई।

आज दुनिया की बड़ी-बड़ी संस्थाएं कह रही हैं कि 21वीं सदी की सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक चुनातियों में से एक चुनौती water security की होगी। पानी का अभाव, विकसित भारत के संकल्प की सिद्धि में भी बहुत बड़ा अवरोध बन सकता है। बिना पानी सामान्य मानवी, गरीब, मध्यम वर्ग, किसान और उद्योग-धंधों, सबको नुकसान होता है। इस बड़ी चुनौती से निपटने के लिए सेवा भाव से, कर्तव्य भाव से चौबीसे घंटे काम करने की जरूरत है। हमारी सरकार बीते आठ वर्षों से इसी भावना के साथ water security- जल सुरक्षा के कार्यों को पूरा करने में जुटी है। ये सही है कि सरकार बनाने के लिए उतनी मेहनत नहीं करनी पड़ती, लेकिन देश बनाने के लिए कड़ी मेहनत करनी होती है। और सबके प्रयास से होती है। हम सभी ने देश बनाने का रास्ता चुना है, इसलिए देश की वर्तमान और भविष्य की चुनौतियों का लगातार समाधान कर रहे हैं। जिन्हें देश की परवाह नहीं होती, उन्हें देश का वर्तमान बिगड़े या भविष्य, कोई फर्क नहीं पड़ता। ऐसे लोग पानी के लिए बड़ी-बड़ी बातें जरूर कर सकते हैं, लेकिन कभी पानी के लिए एक बड़े विजन के साथ काम नहीं कर सकते।

आजादी के अमृतकाल में water security- जल सुरक्षा, भारत की प्रगति के सामने चुनौती ना बने, इसके लिए बीते 8 वर्षों से जल सुरक्षा पर विशेष बल दिया गया है। कैच द रेन हो, अटल भूजल योजना हो, देश के हर जिले में 75 अमृत सरोवरों का निर्माण हो, नदियों को जोड़ना हो, या फिर जल जीवन मिशन, इन सबका लक्ष्य है – देश के जन-जन को जल सुरक्षा। कुछ दिन पहले ही एक खबर आई है कि भारत में अब रामसर साइट्स यानि wetlands की संख्या भी बढ़कर 75 हो गई है। इनमें से भी 50 साइट्स पिछले 8 वर्षों में ही जोड़ी गई हैं। यानि water security के लिए भारत चौतरफा प्रयास कर रहा है और इसके हर दिशा में नतीजे भी मिल रहे हैं।

पानी और पर्यावरण के प्रति यही प्रतिबद्धता जल जीवन मिशन के 10 करोड़ के पड़ाव में भी झलकती है। अमृतकाल की इससे बेहतर शुरुआत नहीं हो सकती है। सिर्फ 3 साल के भीतर जल जीवन मिशन के तहत 7 करोड़ ग्रामीण परिवारों को पाइप के पानी की सुविधा से जोड़ा गया है। ये कोई सामान्य उपलब्धि नहीं है। आज़ादी के 7 दशकों में देश के सिर्फ 3 करोड़ ग्रामीण परिवारों के पास ही पाइप से पानी की सुविधा उपलब्ध थी। देश में लगभग 16 करोड़ ग्रामीण परिवार ऐसे थे, जिनको पानी के लिए बाहर के स्रोतों पर निर्भर रहना पड़ता था। गांव की इतनी बड़ी आबादी को हम इस मूल आवश्यकता के लिए संघर्ष करते नहीं छोड़ सकते थे। इसलिए 3 साल पहले मैंने लाल किले से घोषणा की थी कि हर घर पाइप से जल पहुंचाया जाएगा।

नई सरकार बनने के बाद हमने जल शक्ति, अलग मंत्रालय बना दिया। इस अभियान पर 3 लाख 60 हजार करोड़ रुपए खर्च किए जा रहे हैं। 100 साल की सबसे बड़ी महामारी की वजह से जो रुकावटें आईं, उसके बावजूद इस अभियान की गति कम नहीं पड़ी। इसी निरंतर प्रयास का परिणाम है कि 7 दशकों में जितना काम हुआ था, उससे दोगुने से अधिक काम देश ने पिछले 3 साल में ही कर दिखाया है। ये उसी मानव केंद्रित विकास का उदाहरण है, जिसकी बात मैंने इस बार लाल किले से की है। हर घर जल जब पहुंचता है, तो सबसे अधिक लाभ हमारी बहनों को होता है, भावी पीढ़ी को होता है, कुपोषण के विरुद्ध हमारी लड़ाई मज़बूत होती है। पानी से जुड़ी हर समस्या की सबसे अधिक भुगतभोगी भी हमारी माताएं-बहनें होती हैं, इसलिए इस मिशन के केंद्र में भी हमारी बहनें-बेटियां ही हैं। जिन घरों में शुद्ध पेयजल पहुंचा है, वहां अब बहनों का समय बच रहा है। परिवार के बच्चों को दूषित जल की वजह से होने वाली बीमारियां भी कम हो रही हैं।

जल जीवन मिशन, सच्चे लोकतंत्र का, पूज्य बापू ने जिस ग्राम स्वराज का सपना देखा था, उसका भी उत्तम उदाहरण है। मुझे याद है, जब मैं गुजरात में था तो कच्छ जिले में माताओं-बहनों को पानी से जुड़े विकास कार्यों का दायित्व सौंपा गया था। ये प्रयोग इतना सफल रहा था कि इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अवार्ड भी मिला था। आज यही प्रयोग जल जीवन मिशन की भी अहम प्रेरणा है। जल जीवन अभियान सिर्फ सरकारी स्कीम नहीं है, बल्कि ये समुदाय द्वारा, समुदाय के लिए चलाई जा रही योजना है। जल जीवन मिशन की सफलता की वजह उसके चार मजबूत स्तंभ हैं। पहला- जनभागीदारी, People’s Participation, दूसरा- साझेदारी, हर स्टेकहोल्डर की Partnership, तीसरा- राजनीतिक इच्छाशक्ति, Political Will, और चौथा- संसाधनों का पूरा इस्तेमाल- Optimum utilisation of Resources.

जलजीवन मिशन में जिस तरह पंचायतों को, ग्राम सभाओं को, गांव के स्थानीय लोगों को शामिल किया गया है, जिस तरह उन्हें अनेक जिम्मेदारियां सौंपी गई हैं, ये अपने आप में वो अभूतपूर्व है। हर घर पाइप से जल पहुंचाने के लिए जो कार्य होते हैं, उसमें गांव के लोगों का सहयोग लिया जाता है। गांव के लोग ही अपने गांव में जल सुरक्षा के लिए विलेज एक्शन प्लान बना रहे हैं। पानी का जो मूल्य लिया जाना है, वो भी गांव के लोग ही तय कर रहे है। पानी की टेस्टिंग में भी गांव के लोग जुड़े हैं, 10 लाख से ज्यादा महिलाओं को इसकी ट्रेनिंग दी गई है। पानी समिति में भी कम से कम 50 प्रतिशत महिलाओं को जगह दी गई है। जो जनजातीय इलाके हैं, वहां तेजी से काम हो, इसे प्राथमिकता दी जा रही है। जल जीवन मिशन का दूसरा स्तंभ, साझेदारी है। राज्य सरकारें हों, पंचायतें हों, स्वयं सेवी संस्थाएं हों, शिक्षण संस्थाएं हों, सरकार के विभिन्न विभाग और मंत्रालय में सभी मिलकर काम कर रहे हैं। इसका जमीनी स्तर पर बहुत बड़ा फायदा मिल रहा है।

जल जीवन मिशन की सफलता का तीसरा मुख्य स्तंभ है राजनीतिक इच्छाशक्ति। जो पिछले 70 साल में हासिल किया जा सका, उससे कई गुना ज्यादा काम 7 साल से भी कम समय में किया जाना है। कठिन लक्ष्य है, लेकिन ऐसा कोई लक्ष्य नहीं जो भारत के लोग ठान लें औऱ उसे प्राप्त ना कर सकें। केंद्र सरकार, राज्य सरकारें, पंचायतें, सभी इस अभियान को तेजी से पूरा करने में जुटी हैं। जल जीवन मिशन, संसाधनों के सही इस्तेमाल पर, Optimum utilisation of Resources पर भी उतना ही बल दे रहा है। मनरेगा जैसी योजनाओं के वो कार्य, जो जल जीवन मिशन को गति देते हैं, उनसे भी मदद ली जा रही है। इस मिशन के तहत जो कार्य हो रहा है, उससे गांवों में बड़े पैमाने पर रोजगार के नए अवसर भी बन रहे हैं। इस मिशन का एक लाभ ये भी होगा कि जब हर घर में पाइप से जल पहुंचने लगेगा, सैचुरेशन की स्थिति आ जाएगी, तो पक्षपात और भेदभाव की गुंजाइश भी उतनी ही समाप्त हो जाएगी।

इस अभियान के दौरान जो पानी के नए स्रोत बन रहे हैं, टैंक बन रहे हैं, वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट बन रहे हैं, पंप हाउस बन रहे हैं, सभी की जीओ-टैगिंग भी हो रही है। पानी की आपूर्ति और गुणवत्ता की मॉनीटरिंग के लिए आधुनिक टेक्नॉलॉजी यानि Internet of things solutions का उपयोग करने की भी शुरुआत हुई है। यानि जनशक्ति, नारीशक्ति और टेक्नोलॉजी की शक्ति, मिलकर जल जीवन मिशन की शक्ति बढ़ा रहे हैं। मुझे पूरा विश्वास है कि जिस प्रकार पूरा देश मेहनत कर रहा है, उससे हर घर जल का लक्ष्य हम अवश्य प्राप्त करेंगे।

मैं देशवासियों को भी विश्वास दिलाता हूं की तीन साल पहले लाल किले से जो सपना देखा था, ग्राम पंचायत से लेकर के सभी संस्थानों की मदद से सफल होते देख रहे हैं।

मित्रों,
मातृभूमि समाचार का उद्देश्य मीडिया जगत का ऐसा उपकरण बनाना है, जिसके माध्यम से हम व्यवसायिक मीडिया जगत और पत्रकारिता के सिद्धांतों में समन्वय स्थापित कर सकें। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए हमें आपका सहयोग चाहिए है। कृपया इस हेतु हमें दान देकर सहयोग प्रदान करने की कृपा करें। हमें दान करने के लिए निम्न लिंक पर क्लिक करें -- Click Here


* 1 माह के लिए Rs 1000.00 / 1 वर्ष के लिए Rs 10,000.00

Contact us

Check Also

फिर खोला गया जगन्नाथ मंदिर का रत्न भंडार, 6 बक्सों में निकल चुका है खजाना

पुरी. जगन्नाथ मंदिर के चारों तरफ पुख्ता सुरक्षा व्यवस्था, जगह-जगह बैरिकेडिंग, मंदिर प्रांगण में भक्तों …