नई दिल्ली (मा.स.स.). विश्व आईपी (बौद्धिक संपदा) दिवस के अवसर पर, जी20 के स्टार्टअप 20 के अध्यक्ष डॉ. चिंतन वैष्णव ने पंडित जसराज सांस्कृतिक फाउंडेशन की संस्थापक सुदुर्गा जसराज के साथ नई दिल्ली के नीति आयोग में ‘‘यूपीएजे : कला में नवोन्मेषणों का उत्सव” लांच किया। यह आयोजन पैटेंट, डिजाइन, ट्रेडमार्क महानियंत्रक कार्यालय द्वारा आयोजित वृहद विश्व आईपी दिवस समारोहों का एक भाग था। इसका उद्घाटन जी20 शेरपा अमिताभ कांत द्वारा एक वीडियो संदेश के माध्यम से श्रोताओं को संबोधित करने के साथ आरंभ हुआ जिन्होंने कहा कि यह कार्य आईपी के महत्व एवं भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के लिए कॉपीराइट के बारे में जागरुकता पैदा करेगा। ‘‘
इसके साथ ही, अटल इनोवेशन मिशन, नीति आयोग ने प्रदर्शन कला में नवोन्मेषण की सुरक्षा के महत्व एवं की चुनौतियों पर पैनल चर्चा का आयोजन किया। इस विषय से संबंधित विभिन्न क्षेत्रों में काम कर रहे हितधारकों ने चर्चा में भाग लिया जिनमें कलाकार, नवोन्मेषक, बौद्धिक संपदा अधिकार विशेषज्ञ, इकोसिस्टम निर्माता एवं नीति निर्धारक शामिल थे। परिचर्चा का संचालन डॉ. चिंतन वैष्णव ने किया जिसके सहभागियों में : पंडित जसराज सांस्कृतिक फाउंडेशन की संस्थापक सुदुर्गा जसराज, पंडित जसराज सांस्कृतिक फाउंडेशन के संस्थापक नीरज जेटली, सितार एवं जिटार संगीतकार उस्ताद निलाद्री कुमार, पैटेंट एवं डिजाइन के उप नियंत्रक तथा कार्यालय (तकनीकी) प्रमुख डॉ. दिनेश पाटिल, ट्रेडमार्क एवं जीआई की उप पंजीयक तथा दिल्ली के कॉपीराइट कार्यालय की प्रमुख डॉ. पृथपाल कौर, संरचना फाउंडेशन के कार्यकारी निदेशक प्रो. अमोघ देव राय और लॉहाइव एसोसिए्टस के संस्थापक और मैनेजिंग पार्टनर एडवोकेट सवीना बेदी सच्चर शामिल थे।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए डॉ. चिंतन ने कहा कि जब कला और संस्कृति की बात आती है तो भारत एक महाशक्ति है। आज हमने जिस मंच को लांच किया है, वह कलात्मक अभिव्यक्ति का समारोह मनाने और उन लोगों की सहायता करने के प्रयोजन से शुरु किया गया है जो कला के क्षेत्र में कुछ नये प्रयोग कर रहे हैं। उत्सव के विषय में बताते हुए उन्होंने उस विरोधाभास की ओर भी इशारा किया जहां ” कला के अस्तित्व के लिए मौलिकता और रचनात्मकता को होना जरुरी है, वहीं दूसरी तरफ हम कला रूपों को महत्व देने के लिए हम शुद्धता और प्रामाणिकता को भी महत्व देते है। ‘‘उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में भी समय और प्रायोगिकता के साथ विकास हो रहा है और दूसरे क्षेत्रों की ही तरह कला में भी तकनीकी विकास द्वारा बदलाव आ रहे है। इस तरह का एक फोरम उन लोगों को सम्मानित करने की उम्मीद करता है जो अपने नवोन्मेषणों के साथ इस क्षेत्र को आगे बढ़ा रहे हैं।
पैनल चर्चा को संबोधित करते हुए सुदुर्गा जसराज ने व्यक्त किया कि किस प्रकार ‘‘नवोन्मेषण कला के साथ कदम मिला कर चलता है। ऐसा तकनीक के कारण ही संभव हुआ है कि देशभर के कलाकार अपनी पहचान बनाने में सक्षम हुए हैं। इसके अतिरिक्त, डिजिटल फोरम कला को आम लोगों तक ले जाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।” उस्ताद निलाद्री कुमार, जिनकी कल्पना ने जिटार को जन्म दिया, ने भी अपने विचार साझा किए और कहा कि, ‘‘बौद्धिक संपदा अधिकार न केवल यह सुनिश्चित करते हैं कि कलाकारों की कलाकृतियों की मौलिकता को स्वीकृति मिले, बल्कि यह हम कलाकारों को सुरक्षा प्रदान करने एवं हमारे कार्य से लाभ उठाने के लिए एक कानूनी ढांचा उपलब्ध कराने के द्वारा उद्योग में नवोन्मेषण को प्रोत्साहित भी करता है।”
बौद्धिक संपदा के दृष्टिकोण पर चर्चा करते हुए पैटेंट एवं डिजाइन के उप नियंत्रक डॉ. दिनेश पाटिल ने कहा कि कला का संबंध सीधे ही कॉपीराइट से है अगर कोई कलाकार कला की सुरक्षा करना चाहता है, और इसे अधिकतम सुरक्षा प्रदान करने वाले कई कानून हैं। यूपीएजे उत्सव की योजना जुलाई के पहले सप्ताह के लिए बनाई गई है जब जी20 स्टार्ट-अप 20 बैठक भी आयोजित किए जाने की योजना है।
अटल इनोवेशन मिशन ( एआईएम ) के बारे में :
एआईएम नवोन्मेषण और उद्यमशीलता की संस्कृति को बढ़ावा देने की भारत सरकार की कोशिश है। इसका उद्देश्य विश्व स्तरीय नवोन्मेषण हबों, बड़ी चुनौतियों, स्टार्ट-अप व्यवसायों और विशेष रूप से प्रौद्योगिकी संचालित क्षेत्रों में अन्य स्व रोजगार कार्यकलापों को बढ़ावा देने के लिए एक प्लेटफॉर्म के रूप में कार्य करना है।
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