पटना (मा.स.स.). भारतीय मजदूर संघ के 20वें अखिल भारतीय अधिवेशन के दूसरे दिन शनिवार को महिलाओं का विशेष सत्र आयोजित किया गया. सत्र की मुख्य अतिथि रांची नगर निगम की महापौर आशा लकड़ा थी. महापौर आशा लकड़ा ने कहा कि महिला जब-जब किसी क्षेत्र में खड़ी होती है, तो एक पहचान बना लेती है. शिक्षा, विज्ञान, कला, खेल, राजनीति आदि क्षेत्रों में महिलाओं ने स्वयं को स्थापित किया है.
उन्होंने कहा कि नारी के बिना सृष्टि की कल्पना ही बेमानी है. आज नारी की ताकत का एहसास समाज को हो चुका है. नारी फूल भी होती है, तो चिंगारी भी. उन्होंने महिलाओं को प्रोत्साहित करने की वकालत की और कहा कि आप ‘नारी’ की चिंता कीजिये, तभी ‘नारी’ वर्चस्व में होगी. असंगठित क्षेत्र की महिलाओं को संगठन से जोड़िए, कार्यक्रम कीजिये, ताकि महिलाओं को संगठित किया जा सके.
विशिष्ट अतिथि वी.वी. गिरि राष्ट्रीय श्रमिक संस्थान की सलाहकार प्रज्ञा परांडे ने कहा कि यह सच है कि हिंसा के खिलाफ महिलाएं आवाज उठा नहीं पाती हैं, आवश्यक है अपनी आवाज को मुखर करना. इसके लिए यदि आवश्यकता हो, तो हमें कानून का सहारा लेना होगा. कानून हमें संरक्षण प्रदान करता है.
स्वागताध्यक्ष पटना नगर निगम की महापौर सीता साहू ने कहा कि महिलाओं की इतनी अच्छी भागीदारी देखकर इस बात को बल मिल रहा है कि महिलाएं अब जागरूक हो रही हैं. रीता एक्का एवं तृप्ति अल्टी ने महिलाओं को संगठन से जोड़ने पर अपने विचार रखे. समारोह की अध्यक्षता भारतीय मजदूर संघ की उपाध्यक्ष नीता चौबे ने की, जबकि संचालन मंत्री नीलिमा चिमोते ने किया. भारतीय मजदूर संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष हिरण्मय पंड्या, महामंत्री रवींद्र हिमते आदि उपस्थित रहे.
भारत : 1857 से 1957 (इतिहास पर एक दृष्टि) पुस्तक अपने घर/कार्यालय पर मंगाने के लिए आप निम्न लिंक पर क्लिक कर सकते हैं