नई दिल्ली. भारतीय कुश्ती महासंघ के निवर्तमान अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ यौन उत्पीड़न के मामले में 17 साल की नाबालिग पहलवान के पिता ने यू-टर्न ले लिया है। उन्होंने कहा है कि WFI ने उनकी बेटी के साथ कथित तौर पर भेदभाव किया था, जिसके बाद उन्होंने गुस्से में आकर भाजपा सांसद के खिलाफ ऐसे गंभीर आरोप लगा दिए। एक न्यूज़ चैनल को दिए इंटरव्यू में नाबालिग पहलवान के पिता ने स्पष्ट रूप से कहा कि उन्होंने कोर्ट में बयान बदला है, पर केस वापस नहीं लिया है।
पिता ने कहा, ‘जिस समय पहलवानों ने धरना शुरू किया था और बताया कि बृजभूषण पहलवानों के साथ छेड़छाड़, दुर्व्यवहार करते हैं तो मैंने भी सोचा कि मेरी बेटी के साथ भेदभाव हुआ था। कुश्ती फेडरेशन ने भेदभाव किया था इसलिए गुस्से के कारण हमने 2-3 चीजें जोड़ दी थीं… अब मैंने किसी डर या दबाव में बयान नहीं बदला है।’ बृजभूषण के खिलाफ छेड़छाड़ के आरोपों से नाबालिग पहलवान के पिता पूरी तरह से पलट गए हैं। उन्होंने कहा, ‘बृजभूषण शरण पर अब छेड़छाड़ के आरोप नहीं हैं।’
सीआरपीसी की धारा 164 के तहत कोर्ट में बयान दर्ज कराया गया है। इससे पहले मीडिया रिपोर्टों में दावा किया जा रहा था कि जिस नाबालिग पहलवान के पिता के बयान के आधार पर बृजभूषण के खिलाफ पॉक्सो केस दर्ज हुआ था, उन्होंने शिकायत वापस ले ली है। इस बीच, पहलवानों ने खेल मंत्री अनुराग ठाकुर के साथ बैठक कर लंबी चर्चा की है। सरकार ने आंदोलन कर रहे पहलवानों से भाजपा सांसद के खिलाफ पुलिस जांच 15 जून तक पूरी होने तक इंतजार करने को कहा है। इसके बाद पहलवान एक हफ्ते के लिए विरोध प्रदर्शन स्थगित करने पर राजी हो गए। पहलवानों ने खेल मंत्री अनुराग ठाकुर के साथ बुधवार को करीब पांच घंटे तक बैठक की। इसके बाद पहलवानों ने कहा कि सरकार ने उन्हें आश्वासन दिया है कि पुलिस उनके खिलाफ दर्ज FIR भी वापस लेगी।
दिल्ली पुलिस ने पहलवानों को 28 मई को नए संसद भवन के उद्घाटन के मौके पर महिला महापंचायत के आयोजन के लिए बढ़ने की कोशिश के बाद हिरासत में ले लिया था। उन्हें धरना स्थल से भी हटा दिया गया। खेल मंत्री के साथ बैठक में ओलंपिक पदक विजेता बजरंग पूनिया, साक्षी मलिक और उनके पति सत्यव्रत कादियान और जितेंद्र किन्हा मौजूद थे। पहलवानों का समर्थन कर रहे भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत बैठक में नहीं थे। साक्षी मलिक ने पत्रकारों से कहा, ‘हमें बताया गया कि पुलिस जांच 15 जून तक पूरी हो जाएगी। तब तक हमें इंतजार करने और विरोध स्थगित करने के लिए कहा गया है।’
साभार : नवभारत टाइम्स
भारत : 1857 से 1957 (इतिहास पर एक दृष्टि) पुस्तक अपने घर/कार्यालय पर मंगाने के लिए आप निम्न लिंक पर क्लिक कर सकते हैं