इस्लामाबाद. पाकिस्तान के कार्यवाहक प्रधानमंत्री अनवर उल हक काकर ने बुधवार को आरोप लगाया कि अमेरिका के द्वारा बनाए गए हथियारों का इस्तेमाल उनके देश के खिलाफ किया जा रहा है। इससे एक दिन पहले अमेरिका ने दावा किया था कि उनकी सेना ने अफगानिस्तान से वापसी के दौरान कोई भी उपकरण वहां नहीं छोड़ा था। जिओ न्यूज की रिपोर्ट में उनके हवाले से कहा गया कि अमेरिका के बनाए हुए हथियार काले बाजार में बेचे जा रहे हैं और उनका इस्तेमाल न केवल पाकिस्तान बल्कि क्षेत्र के साथ-साथ खाड़ी देशों में भी किया जा रहा है।
काकर की यह टिप्पणी अमेरिकी विदेश मंत्रालय के मुख्य उप प्रवक्ता वेदांत पटेल के मंगलवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान दिए गए एक बयान के जवाब में आई है। पाकिस्तान में हाल ही में 17 सैनिक मारे गए हैं और उसके वायु सेना के एक प्रशिक्षण अड्डे पर आतंकवादियों ने हमला किया था। पटेल इस पर ही अमेरिका की प्रतिक्रिया दे रहे थे। पटेल ने कहा, हम नवंबर में पाकिस्तानी सुरक्षा बलों और सुविधाओं पर कई हमलों की रिपोर्टों से अवगत हैं और हम पीड़ितों के परिवारों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करते हैं। लेकिन मैं इस बारे में बहुत स्पष्ट होना चाहता हूं कि अफगानिस्तान से वापसी के दौरान अमेरिकी बलों द्वारा कोई उपकरण नहीं छोड़ा गया था।
पटेल ने कहा, मैं आगे यह भी कहूंगा कि बड़े पैमाने पर सैन्य अनुदान सहायता निलंबित है। हमने कानून प्रवर्तन, कानून के शासन, मादक पदार्थों के खिलाफ प्रयासों और सुरक्षा के अन्य क्षेत्रों का समर्थन करने के लिए 40 से अधिक वर्षों से पाकिस्तान के साथ भागीदारी की है। हम अपने द्विपक्षीय संबंधों को महत्व देना जारी रखेंगे। काकर ने कहा कि पाकिस्तान में इस्तेमाल किए जा रहे अपने हथियारों की अमेरिका की अस्वीकृति अप्रासंगिक है, क्योंकि इस बात की पुष्टि करने वाले सबूत हैं कि ये हथियार काले बाजार में अपनी जगह बना रहे हैं और इनका इस्तेमाल भी किया जा रहा है। जियो न्यूज ने काकर के हवाले से खबर दी कि पाकिस्तान का रुख तथ्यों पर आधारित है न कि साजिश के सिद्धांतों पर।
खबर में उनके हवाले से कहा गया है कि प्रधानमंत्री ने महज दो दिनों के भीतर 1,50,000 सैनिकों वाली अफगान सेना के लापता होने के बारे में भी बात की और उनके हथियारों के बेहिसाब भविष्य पर सवाल खड़े किए। उन्होंने पूछा, उनके पास मौजूद छोटे हथियार और उपकरण कहां गए? कार्यवाहक प्रधानमंत्री काकर ने यह भी कहा कि अफगानिस्तान में तालिबान की सरकार आने के बाद से पाकिस्तान आतंकवादी हमलों में 60 फीसदी और आत्मघाती हमलों में 500 फीसदी की वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा कि पड़ोसी देश अपने अपने देश की मिट्टी से आतंकवाद को रोकने में विफल रहा है।
काकर ने इस्लामाबाद में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा, अगस्त 2021 में अंतरिम अफगान सरकार आने के बाद हमें उम्मीद थी कि अफगानिस्तान में दीर्घकालिक शांति आएगी और पाकिस्तान विरोधी समूहों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी, खासतौर पर तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी)। लेकिन, दुर्भाग्य से पाकिस्तान में आंतकवादी घटनाओं में 60 फीसदी और आत्मघाती हमलों में 500 फीसदी की वृद्धि हुई।
साभार : अमर उजाला
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