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हरियाणा हिंसा से डरे गांव वालों ने चिपकाया मुस्लिम-ईसाई के बहिष्कार का पोस्टर

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भोपाल. हरियाणा के नूंह-मेवात में हुई हिंसा के बारे में तो आपने सुना ही होगा। सब जानते हैं कि वहां क्या हुआ था। इससे सबक लेकर हमने गांव आने वाले मुस्लिम और ईसाई व्यापारियों के बहिष्कार का निर्णय लिया है। अब पंचायत में जो भी आएगा, उसे आधार कार्ड साथ लेकर आना होगा, वरना गांव में एंट्री नहीं मिलेगी।’

यह कहना है अशोकनगर जिले की ग्राम पंचायत धौरा के सरपंच का। उन्होंने हरियाणा के मेवात में हुई घटना को लेकर गांव में चौपाल पर एक बैठक बुलाई, जिसमें कहा कि गांव में चूड़ी, साड़ी समेत अन्य सामान बेचने आने वाले दिन में रैकी करते हैं। रात में चोरियां करते हैं। गांववालों ने सहमति जताई, तो एक बैनर बनवा लिया गया। जिसमें लिखा- ‘मुस्लिम और ईसाई व्यापारियों का गांव में प्रवेश करना निषेध (प्रतिबंधित) है। कृपया व्यापारी गांव में आधार लेकर ही प्रवेश करें।’ हालांकि, पोस्टर सामने आने के बाद प्रशासन ने उसे हटवाकर गांव वालों को ऐसा नहीं करने की हिदायत दी है।

गांव की चौपाल पर हुई बैठक में लिया था निर्णय

मामला अशोकनगर जिला मुख्यालय से 9 किलोमीटर दूर स्थित ग्राम पंचायत धौरा का है। यहां के गांव धतूरिया में रविवार को सरपंच बबलू यादव (चंद्रजीत) ने बैठक बुलाई। सरपंच के बुलावे पर गांव के लोग एक चबूतरे पर एकत्रित हुए। यहां उन्होंने हरियाणा के नूंह-मेवात की घटना का जिक्र करते हुए प्रस्ताव रखा कि गांव में फेरीवाले, रजाई, कंबल, खाट सहित कबाड़ा खरीदने वाले लोग आते रहते हैं। ये लोग दूसरे प्रदेशों से हमारे क्षेत्र में चोरी डकैती व महिलाओं को बहला-फुसलाकर भगाकर ले जाते हैं।

सरपंच की बात पर ग्रामीणों ने कहा- गांव में एक बैनर लगाया जाना चाहिए, जिसमें लिखेंगे कि गांव में ईसाई और मुस्लिम व्यापारी का आना प्रतिबंधित है। साथ ही, गांव के लोगों को जागरूक किया जाएगा। इसके बाद रात में ही बैनर तैयार करवा लिया गया। सोमवार को जहां बैठक हुई, उसी के पास एक मकान की दीवार पर टांग बैनर टांग दिया गया, ताकि शहर की ओर से आने वाले लोगों को स्पष्ट दिखे।

सरपंच ने शेयर किया पोस्टर, पहुंच गई पुलिस

पोस्टर बनकर तैयार हुआ, तो बबलू यादव ने उसकी एक फोटो फेसबुक अकाउंट पर शेयर कर दी। अगले दिन किसी ने प्रशासन को इसकी जानकारी दे दी। मंगलवार सुबह नायब तहसीलदार, देहात थाना प्रभारी सत्येंद्र कुशवाहा व पुलिस टीम ने गांव पहुंचकर दीवार पर लगे बैनर को हटवा दिया। साथ ही, उन्होंने गांव के लोगों को आश्वासन दिया कि इस प्रकार की अगर कोई घटना होती है, तो पुलिस प्रशासन कार्रवाई के लिए तैयार है। आपको चिंतित होने की जरूरत नहीं है।

गांव में एक भी ईसाई-मुस्लिम परिवार नहीं

अशोकनगर जनपद क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले ग्राम पंचायत धौरा के धतूरिया गांव में 100 घरों की बस्ती है। इस पंचायत में गौरा एवं मारूप गांव भी आते हैं। यहां धतूरिया गांव के एक हजार वोटर हैं। इस गांव में हिंदू समाज के लोग ही रहते हैं। गांव में कोई भी मुस्लिम या ईसाई परिवार निवासरत नहीं है। ज्यादातर लोग संपन्न किसान हैं। खेती किसानी का ही काम करते हैं। गांव के सरपंच बबलू भारतीय जनता पार्टी किसान मोर्चा के जिला अध्यक्ष हैं।

सरपंच बोले- हिंदू समाज को कमजोर कर रहे फेरीवाले

सरपंच बबलू यादव ने कहा कि ये लोग दिन में रैकी करते हैं। इसके बाद रात में चोरी करते हैं। इनके तार बाहर से जुड़े हैं। ये चूड़ी, साड़ी वगैरह बेचने के नाम पर गांव में आते हैं। महिलाओं से नंबर लेकर जाते हैं। वे अपना नंबर भी देते हैं। कहते हैं कि कभी किसी चीज की जरूरत पड़े, तो हमें कॉल करना। यह हिंदू समाज को कमजोर करने का प्री प्लान है। इसी मकसद से ये लोग गांव-गांव जाते हैं।

देश-दुनिया में इस तरह की कई घटनाएं सामने आ रही हैं। ऐहतियातन हमने जनजागरण अभियान चलाने का निर्णय लिया है। हम गांव के लोगों को जागरूक कर रहे हैं। अभी शुरूआत है। धीरे-धीरे लोग जागरूक होंगे। हमने बैनर लगाया था। जिसे प्रशासन ने हटवा दिया है। कोई बात नहीं। अब हम घर-घर जाकर जागरूक करेंगे। गांव में पंचायत बुलाएंगे, जिसमें मुस्लिम और ईसाई व्यापारियों के बहिष्कार का निर्णय लेंगे। यह एक जागरुकता अभियान है, जो हमारी पंचायत से शुरू हुआ है। आगे दूसरी पंचायत के सरपंचों से संपर्क करेंगे। उन्हें भी कहेंगे कि वे अपनी पंचायत में भी ऐसा निर्णय लें।

उन्होंने आगे कहा कि हिंदू समाज के लोग किसी पर भी आसानी से विश्वास कर लेते हैं। ईसाई मिशनरी के लोगों को देखा होगा। वे गरीब बस्ती में जाकर पहले टॉफी, किताबें और ड्रेस बांटते हैं। बच्चों का उनकी स्कूल में एडमिशन कराकर धर्म परिवर्तन कराने की कोशिश करते हैं। ये बोलते हैं कि महाकाल की सवारी निकालकर दिखाएं। हनुमान जयंती पर पत्थर फेंके जाते हैं। क्या आपने कभी हिंदू समाज के लोगों को पत्थर फेंकते देखा है? हम तो हमेशा स्वागत ही करते हैं। हरियाणा के नूंह-मेवात में हाल ही में एक घटना हुई थी। जिसमें धार्मिक यात्रा पर पत्थर फेंके गए थे। सांप्रदायिक हिंसा में 6 लोगों की जान चली गई थी।

यही वजह है कि हमने अपने गांव में महिलाओं को जागरूक करने का काम शुरू किया है। जिसके तहत ग्रामीणों से मिले सुझाव के आधार पर एक पोस्टर बनवाया था। साथ ही, गांव के कुछ लोगों को कहा था कि अगर गांव में अनजान शख्स आता दिखे, तो उसे गांव के बाहर ही रोक लें। उससे आधार और समग्र आईडी चेक करें। कुछ लोगों को यह गैर कानूनी लगता होगा, लेकिन हमारी संस्कृति को बचाने के लिए हमें गैरकानूनी काम भी करना पड़े, तो हम तैयार हैं।

समझाइश दी गई कि ऐसे पोस्टर ना लगाएं: थाना प्रभारी

देहात थाना प्रभारी सत्येंद्र कुशवाहा ने बताया कि इस प्रकार की जानकारी लगी थी कि गांव में पोस्टर लगे हैं। यहां अन्य समुदाय के लोगों का आना मना है। उनके आधार चेक किए जाएंगे। मैंने नायब तहसीलदार के साथ जाकर निरीक्षण किया। लोगों को समझाइश दी गई। नायब तहसीलदार ने पोस्टर हटाकर पंचनामा बनाया। लोगों को समझाइश दी गई कि इस तरह के पोस्टर ना लगाएं, जिससे समाज में वैमनस्यता पैदा हो। अगर इस तरह के मामले आते हैं, तो कार्रवाई की जाएगी।

साभार : दैनिक भास्कर

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