नई दिल्ली (मा.स.स.). कोयला मंत्रालय खुली वैश्विक निविदा के माध्यम से जाने-माने खनन डेवलपर्स सह ऑपरेटरों को नियुक्त करना, घरेलू कोयले के उत्पादन को बढ़ाना तथा आयात पर निर्भरता को कम करना चाहता है। संविदा नियुक्ति की अवधि 25 वर्ष या खदान का जीवन, जो भी कम हो, के लिए है। सार्वजनिक स्वामित्व की कोयला खनन कंपनी एमडीओ के माध्यम से कार्यान्वयन के लिए कुल 15 ग्रीनफील्ड परियोजनाओं पर नजर रख रही है। इसमें लगभग 20,600 करोड़ रुपये का निवेश होगा, जो मुख्य रूप से भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और पुर्नस्थापन से जुड़े है और कुछ मामलों में रेलवे साइडिंग पर है।
169 मिलियन टन (एमटी) की कुल रेटेड क्षमता वाली ग्यारह ओपनकास्ट और चार भूमिगत खदानें हैं। ओपनकास्ट परियोजनाओं की क्षमता 165 मीट्रिक टन है, भूमिगत परियोजनाएं शेष को जोड़ती हैं। एमडीओ स्वीकृत खनन योजना के अनुसार कोयला कंपनियों को कोयले की खुदाई और वितरण करेंगे। एमडीओ पारस्परिक रूप से लाभकारी प्रौद्योगिकी निवेश, आर्थिक रूप से व्यावहारिक संचालन और उत्पादन में वृद्धि को एक साथ लाएंगे। उन्हें दिए गए अनुबंध दीर्घकालिक आधार पर हैं, इसलिए खदान परियोजनाओं में संबंधित बुनियादी ढांचे को भी निजी कंपनियों द्वारा विकसित किया जाएगा। वे अनुंसंधान और विकास, भूमि अधिग्रहण, हरित मंजूरी तथा राज्य और केंद्रीय प्रदूषण बोर्डों के साथ समन्वय की सुविधा देंगे।
कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) ने खदान डेवलपर्स कम ऑपरेटर मोड के माध्यम से नौ कोयला परियोजनाओं के लिए स्वीकृति पत्र जारी किए हैं। संचयी रूप से, इन परियोजनाओं की उत्पादन क्षमता प्रतिवर्ष लगभग 127 मिलियन टन है। शेष छह परियोजनाएं निविदा के विभिन्न चरणों में हैं।
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