गुरुवार, दिसंबर 19 2024 | 04:50:44 AM
Breaking News
Home / राष्ट्रीय / हमारे सामने 2047 के स्पष्ट लक्ष्य हैं : नरेंद्र मोदी

हमारे सामने 2047 के स्पष्ट लक्ष्य हैं : नरेंद्र मोदी

Follow us on:

नई दिल्ली (मा.स.स.). कार्यक्रम में उपस्थित कैबिनेट में मेरे वरिष्ठ सहयोगी राजनाथ सिंह, डॉ. जितेंद्र सिंह, साइन्स और टेक्नोल़ॉजी कम्यूनिटी के सभी सम्मानित सदस्य, और मेरे युवा साथियों! आज 11 मई का ये दिन, भारत के इतिहास के सबसे गौरवमयी दिनों में से एक है। आज भारत के वैज्ञानिकों ने पोखरण में वो उपलब्धि हासिल की थी, जिसने मां भारती की हर संतान का सिर गर्व से ऊंचा कर दिया था। मैं वो दिन कभी भूल नहीं सकता, जब अटल जी ने भारत के सफल परमाणु परीक्षण की घोषणा की थी। पोखरण परमाणु परीक्षण के जरिए भारत ने ना केवल अपने वैज्ञानिक सामर्थ्य को साबित किया, बल्कि भारत के वैश्विक कद को एक नई ऊंचाई भी दी थी। अटल जी के शब्दों में ही कहूं तो- “अपनी ध्येय-यात्रा में,  हम कभी रुके नहीं हैं। किसी चुनौती के समक्ष, कभी झुके नहीं हैं”। मैं सभी देशवासियों को आज के दिन की, National Technology Day की बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं।

आज इस अवसर पर कई futuristic initiatives का लोकार्पण और शिलान्यास भी हुआ है। मुंबई में National Hadron Beam Therapy Facility और Radiological Research Centre हो, विशाखापट्टनम के BARC कैंपस में Rare Earth Permanent Magnet Plant हो, मुंबई की Fission Moly-99 production facility हो, या विभिन्न शहरों के कैंसर हॉस्पिटल हो, ये सभी संस्थान, न्यूक्लियर टेक्नोल़ॉजी की मदद से, मानवता की और भारत की प्रगति को गति देंगे। आज Tata Institute of Fundamental Research, और ‘Laser Interferometer Gravitational- Wave Observatory- India (LIGO-India), का शिलान्यास भी हुआ है। ‘LIGO’  21वीं सदी के सबसे बेहतरीन Science and technology initiative में से एक है। दुनिया में गिने-चुने देशों के पास ही इस तरह की Observatory आज है। भारत के Students और Scientists के लिए ये Observatory,  आधुनिक रिसर्च के नए अवसर लेकर आ रही है। मैं इन प्रोजेक्ट्स के लिए भी देश के वैज्ञानिक समुदाय को,  सभी देशवासियों को बधाई देता हूं।

इस समय हम आज़ादी के अमृतकाल के शुरुआती महीनों में हैं। हमारे सामने 2047 के स्पष्ट लक्ष्य हैं। हमें देश को विकसित बनाना है, हमें देश को आत्मनिर्भर बनाना है। भारत की economic growth हो, sustainable development goals हो,  या फिर, innovation के लिए एक inclusive ecosystem का निर्माण करना हो, टेक्नोलॉजी कदम-कदम पर हमारे लिए जरूरी है। औऱ इसलिए आज भारत, एक नई सोच के साथ, 360° holistic approach के साथ इस क्षेत्र में आगे बढ़ रहा है। भारत Technology पर अपना दबदबा कायम करने का माध्यम नहीं बल्कि देश की प्रगति को गति देने का एक टूल मानता है। और मुझे ये देखकर बहुत अच्छा लगा कि इस बार की थीम ‘School to Startups- Igniting Young Minds to Innovate’ ये रखा गया है। आजादी के इस अमृतकाल में भारत का भविष्य, हमारी आज की युवा पीढ़ी, हमारे आज के Students ही तय करेंगे। आज की इस युवा पीढ़ी के पास नए सपने हैं, नए संकल्प हैं। उनकी ऊर्जा, उनका जोश,  उनका उत्साह, ये भारत की बहुत बड़ी ताकत है।

हमारे देश के महान वैज्ञानिक और पूर्व राष्ट्रपति डॉक्टर कलाम कहा करते थे- Knowledge with action, converts adversity into prosperity. आज जब भारत एक knowledge society के तौर पर सशक्त हो रहा है तो उतनी ही तेजी से Action भी ले रहा है। भारत के young minds को Innovation की तरफ प्रेरित करने के लिए,  बीते 9 वर्षों में देश में एक मजबूत बुनियाद बन चुकी है। कुछ साल पहले शुरू की गई अटल टिंकरिंग लैब्स- ATL, आज देश की इनोवेशन नर्सरी बन रही हैं। आज देश के 35 राज्यों में, 700 जिलों में 10 हजार से ज्यादा अटल टिंकरिंग लैब्स बनाई जा चुकी हैं। और ऐसा नहीं है कि साइन्स, टेक्नोलॉजी, इनोवेशन और incubation का ये मिशन केवल बड़े शहरों तक सीमित है। करीब 60 प्रतिशत अटल टिंकरिंग लैब्स सरकारी और ग्रामीण स्कूलों में खुली हैं। आप कल्पना कर सकते हैं, कितनी बड़ी संख्या में बच्चों के लिए पढ़ाई के मायने बदल रहे हैं, वो Innovation की तरफ प्रेरित हो रहे हैं। आपको ये जानकर खुशी होगी कि आज अटल टिंकरिंग लैब्स में 75 लाख से ज्यादा स्टूडेंट्स 12 लाख से ज्यादा इनोवेशन प्रोजेक्ट्स पर जी-जान से जुटे हुए हैं, काम कर रहे हैं। यानि आने वाले समय में लाखों junior scientists, स्कूलों से निकलकर देश के कोने-कोने में पहुंचने वाले हैं। इनकी hand-holding करना, हर तरह से मदद करना,  इनके ideas को implement करने में सहायता देना, ये हम सभी का बहुत बड़ा दायित्व है। आज सैकड़ों की संख्या में स्टार्टअप्स ऐसे हैं, जिनका incubation अटल इनोवेशन सेंटर्स में हुआ है। अटल टिंकरिंग लैब्स की ही तरह अटल इनोवेशन सेंटर्स- AIC’s भी न्यू इंडिया की लैबोरेटरी बनकर उभर रहे हैं। आप देखिएगा, भारत के ये Tinker-preneurs, entrepreneurs हम देखते थे ये Tinker-preneurs है। कल ये लीडिंग entrepreneurs बनने वाले हैं।

महर्षि पतंजलि का एक सूत्र है- परमाणु परम महत्त्व अन्त: अस्य वशीकारः।। यानि जब हम किसी लक्ष्य के लिए पूरी तरह समर्पित हो जाते हैं,  तो परमाणु से लेकर ब्रह्मांड तक सब कुछ वश में आ जाता है। 2014 के बाद से भारत ने जिस तरह साइंस और टेक्नोलॉजी पर जोर देना शुरू किया है, वो बड़े बदलावों का कारण बना है। हमने जो स्टार्टअप इंडिया अभियान शुरू किया, जो डिजिटल इंडिया अभियान शुरू किया,  जो नेशनल एजुकेशन पॉलिसी बनाई, उसने भी टेक्नोलॉजी क्षेत्र में भारत की सफलता को नई ऊंचाई दी है। पहले जो साइन्स केवल किताबों तक सीमित थी, वो अब experiments से आगे बढ़कर ज्यादा से ज्यादा patents में बदल रही है। भारत में 10 साल पहले, एक वर्ष में 4 हजार के आसपास पेटेंट ग्रांट होते थे। आज इसकी संख्या सालाना 30 हजार से भी ज्यादा हो गई है। भारत में 10 साल पहले सालाना 10 हजार डिजाइन रजिस्टर होते थे। आज भारत में सालाना 15 हजार से ज्यादा डिजाइन रजिस्टर हो रहे हैं। भारत में 10 साल पहले, सालाना 70 हजार से भी कम ट्रेड मार्क रजिस्टर होते थे। आज भारत में सालाना ढाई लाख से ज्यादा ट्रेड मार्क रजिस्टर हो रहे हैं।

आज भारत हर उस दिशा में आगे बढ़ रहा है जो एक tech leader country के लिए जरूरी होता है। आपमें से कई साथी जानते हैं, 2014 में हमारे देश में करीब डेढ़ सौ के आसपास ही incubation centres थे। आज भारत में incubation centres की संख्या 650 भी पार कर चुकी है। आज भारत ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स में 81वें नंबर पर था वहां से ऊपर उठकर के 40वें स्थान पर पहुँच चुका है। आज देश के युवा, हमारे स्टूडेंट्स अपने डिजिटल वेंचर्स खड़े कर रहे हैं, स्टार्टअप्स शुरू कर रहे हैं। 2014 में हमारे यहां स्टार्ट-अप्स की संख्या भी कुछ सौ के आस-पास ही थी। आज हमारे देश में recognized स्टार्ट-अप्स की संख्या भी करीब-करीब 1 लाख पहुंच चुकी है। आज भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्ट-अप ecosystem है। और ये ग्रोथ उस समय में है जब दुनिया आर्थिक अनिश्चितताओं के दौर से गुजर रही है। ये भारत का सामर्थ्य दिखाता है, भारत का talent दिखाता है। और इसलिए मैं फिर कहूंगा, Policy Makers के लिए, हमारे वैज्ञानिक समुदाय के लिए,  देश भर में फैली हमारी हजारों रिसर्च लैब्स के लिए, हमारे प्राइवेट सेक्टर के लिए, ये टाइम बहुत ही महत्वपूर्ण है। ‘School to Startups की यात्रा हमारे Students करेंगे, लेकिन आपको उन्हें निरंतर गाइड करना होगा, प्रोत्साहित करना होगा। और इसमें मेरा आप सभी को पूरा सपोर्ट रहेगा।

जब हम Technology के सामाजिक संदर्भ को समझते हुए आगे बढ़ते हैं तो Technology, Empowerment का बहुत बड़ा माध्यम बन जाती है। ये Social Justice – सामाजिक न्याय को सुनिश्चित करने और असंतुलन को मिटाने का भी माध्यम बनती है। एक समय था, जब technology सामान्य भारतीय की पहुंच से बाहर थी। आपको भी याद होगा, कभी जेब में क्रेडिट या डेबिट कार्ड लेकर चलना status symbol हुआ करता था। लेकिन भारत का UPI आज अपनी simplicity की वजह से new normal बन गया है। आज रेहड़ी-पटरी वाले से लेकर रिक्शे वाले तक, हर कोई डिजिटल पेमेंट का इस्तेमाल कर रहा है। आज भारत दुनिया के उन देशों में है, जहां सबसे ज्यादा इंटरनेट डेटा इस्तेमाल होता है। ग्रामीण इलाकों में शहरी इलाकों की तुलना में इंटरनेट यूजर ज्यादा हैं। इससे लोगों के सामने जानकारियों, संसाधनों और अवसरों की एक नई दुनिया खुल रही है। JAM Trinity हो, GeM पोर्टल हो, CoWIN portal हो या किसानों के लिए डिजिटल एग्रीकल्चर मार्केट- E-Nam हमारी सरकार ने टेक्नॉलाजी का उपयोग agent of inclusion के रूप में किया है।

Technology का सही तरीके से, सही समय पर उपयोग, समाज को नई शक्ति देता है। आज भारत में जीवन चक्र के हर पड़ाव के लिए कोई ना कोई technological solutions तैयार हो रहे हैं। जन्म के समय, ऑनलाइन बर्थ सर्टिफिकेट की सुविधा है। बच्चा जब स्कूल की शुरुआत करता है तो उसके पास e-pathshala और दीक्षा जैसे free e-learning platforms हैं। और आगे बढ़ने पर वो national scholarship portal पर स्कॉलरशिप के लिए अप्लाई कर सकता है। जब वो अपनी नौकरी शुरू करता है, तो उसके पास universal access number की सुविधा है, ताकि jobs बदलने पर भी उसे कोई भी दिक्कत ना आए। किसी बीमारी की स्थिति में वो तुरंत आज e-Sanjeevani की मदद से अपने उपचार की व्यवस्था कर सकता है। बुजुर्गों के लिए biometric-enabled digital service- जीवन प्रणाम की सुविधा है। आप सोचिए, पहले बुजुर्गों को पेंशन जैसे कामों के लिए अपने जिंदा होने का सबूत देना होता था। चाहे तबीयत खराब हो या चलना मुश्किल हो, उन्हें वेरिफिकेशन के लिए खुद जाना होता था। अब ये सारी परेशानियां टेक्नोलॉजी की मदद से समाप्त हो रही हैं। Day to Day Life में, हर कदम पर टेक्नोलॉजी Solutions, देश के नागरिकों की मदद कर रहे हैं। अगर उसे जल्दी पासपोर्ट बनवाना है, तो mPassport Seva है। अगर उसे एयरपोर्ट पर hassle-free experience सुनिश्चित करना है, तो DigiYatra app है। अगर उसे Important documents को सुरक्षित रखना है, तो DigiLocker है। इन सारे प्रयासों से Social Justice सुनिश्चित करने और Ease Of Living बढ़ाने में मदद मिली है।

आज हर दिन टेक्नोलॉजी की दुनिया में तेजी से बदलाव हो रहे हैं। भारत के युवा ही इस स्पीड को मैच करने में, इस स्पीड को क्रॉस करने में देश का नेतृत्व करेंगे। आज AI tools नए गेम चेज़र बनकर उभरे हैं। हेल्थ सेक्टर में आज हम कितनी असीम संभावनाओं को देख रहे हैं। ड्रोन टेक्नोलॉजी में भी हर रोज नए Innovations हो रहे हैं। ऐसे ही, थेरेपेटिक्स sector भी तेजी से आगे बढ़ रहा है। हमें ऐसी revolutionary टेक्नोलॉजी में लीड लेनी होगी। आज भारत अपने डिफेंस सेक्टर को आत्मनिर्भर बना रहा है। इससे भी हमारे युवा स्टार्ट अप्स को बहुत से मौके मिल रहे हैं। डिफेंस में इनोवेशन के लिए हमने Innovation for Defence Excellence यानी, iDEX भी शुरू किया है। मुझे खुशी है कि रक्षा मंत्रालय ने iDEX के साढ़े तीन सौ करोड़ रुपए से ज्यादा के 14 इनोवेशन्स को procure किया है।

i-create हो, या फिर DRDO young scientists labs जैसे initiative आज इन प्रयासों को नई दिशा दे रहे हैं। स्पेस सेक्टर में भी न्यू reforms के जरिए भारत एक ग्लोबल गेम चेंजर की भूमिका में सामने आ रहा है। अभी मैं SSLV और PSLV orbital प्लैटफ़ार्म जैसी टेक्नोलॉजी देख रहा था। हमें स्पेस सेक्टर में हमारे स्टार्टअप्स के लिए, यूथ्स के लिए नए अवसर उपलब्ध कराने होंगे। हमें कोडिंग से लेकर गेमिंग और प्रोग्रामिंग तक, हर क्षेत्र में लीड लेनी होगी। इस समय भारत सेमी कंडक्टर जैसे नए avenues में भी अपनी मौजूदगी बढ़ा रहा है। पॉलिसी लेवल पर हम PLI स्कीम जैसे initiatives ले रहे हैं। इंडस्ट्री और institutions की ज़िम्मेदारी है कि इस फील्ड में talented youths को सपोर्ट करें।

आज इनोवेशन से लेकर सुरक्षा तक के लिए hackthons की एक बड़ी भूमिका है। सरकार इन्हें लगातार प्रमोट कर रही है। हमें hackthon कल्चर को आगे बढ़ाना होगा, Startups को नए challenges के लिए तैयार करना होगा। इन प्रतिभाओं की hand-holding हो, उन्हें आगे बढ़ने के लिए संघर्ष न करना पड़े, हमें इसके लिए एक फ्रेमवर्क तैयार करना होगा। ख़ासकर, अटल टिंकरिंग लैब्स से जो युवा निकल रहे हैं, उन्हें involve रखने के लिए एक institutionalized सिस्टम होना चाहिए। क्या हम इसी तरह अलग-अलग क्षेत्रों में देश की 100 लैब्स को चिन्हित कर सकते हैं,  जिन्हें यूथ ड्रिवेन बनाया जाए? क्लीन एनर्जी और नैचुरल फ़ार्मिंग जैसे क्षेत्रों में, जहां देश का खास फोकस है,  हमें रिसर्च और टेक्नोलॉजी को प्रमोट करना होगा। इसके लिए भी युवाओं को मिशन मोड में जोड़ना बहुत जरूरी है। मुझे भरोसा है, नेशनल टेक्नोलॉजी वीक इन संभावनाओं को साकार करने में एक अहम भूमिका निभाएगा।

भारत : 1857 से 1957 (इतिहास पर एक दृष्टि) पुस्तक अपने घर/कार्यालय पर मंगाने के लिए आप निम्न लिंक पर क्लिक कर सकते हैं

https://www.amazon.in/dp/9392581181/

https://www.flipkart.com/bharat-1857-se-1957-itihas-par-ek-drishti/p/itmcae8defbfefaf?pid=9789392581182

मित्रों,
मातृभूमि समाचार का उद्देश्य मीडिया जगत का ऐसा उपकरण बनाना है, जिसके माध्यम से हम व्यवसायिक मीडिया जगत और पत्रकारिता के सिद्धांतों में समन्वय स्थापित कर सकें। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए हमें आपका सहयोग चाहिए है। कृपया इस हेतु हमें दान देकर सहयोग प्रदान करने की कृपा करें। हमें दान करने के लिए निम्न लिंक पर क्लिक करें -- Click Here


* 1 माह के लिए Rs 1000.00 / 1 वर्ष के लिए Rs 10,000.00

Contact us

Check Also

भारत में दान करने की प्रथा से गरीब वर्ग का होता है कल्याण

– प्रहलाद सबनानी भारत में हिंदू सनातन संस्कृति के संस्कारों में दान दक्षिणा की प्रथा …