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जी20 एमएसीएस बैठक में महर्षि पहल यानी मिलेट और अन्य प्राचीन अनाज दर्शाए जाएंगे

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लखनऊ (मा.स.स.). वाराणसी में 17-19 अप्रैल को होने वाली जी20 देशों के कृषि मुख्य वैज्ञानिकों की बैठक (एमएसीएस) के बारे में कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग के सचिव और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक डॉ. हिमांशु पाठक का संदेश निम्नलिखित है: – “कृषि भारत की सभ्यता, संस्कृति और विरासत की नींव है। भारतीय कृषि अद्वितीय, विविधतापूर्ण और विशाल है जो हमारी आधी से अधिक आबादी को आजीविका और आय प्रदान करती है। पिछले 75 वर्षों के दौरान, देश खाद्य के मामले में अन्य देशों पर निर्भरता से लेकर एक खाद्य निर्यातक राष्ट्र तक पहुंचा है। इसने ग्रीन, व्हाइट, ब्लू, येलो, गोल्डन, सिल्वर, ब्राउन, ग्रे और इंद्रधनुषी क्रांतियों सहित विज्ञान और नीति-समर्थित कृषि-क्रांतियां हासिल कीं, जिसने भारतीय कृषि को बदल दिया। 1950 के बाद से खाद्य उत्पादन में 6 से 70 गुना की वृद्धि हुई है, जबकि खेती वाले क्षेत्र में केवल 1.3 गुना वृद्धि हुई है।

जी20 में कृषि प्रमुख वैज्ञानिकों की बैठक टिकाऊ, लचीले और लाभदायक कृषि-खाद्य प्रणालियों को प्राप्त करने के लिए विज्ञान आधारित समाधान देने के लिए संयुक्त कार्रवाई को बढ़ावा देने में सहायक है। यह खाद्य और पोषण सुरक्षा के लिए चर्चा, विचार-विमर्श और ज्ञान, विज्ञान तथा प्रौद्योगिकियों के आदान-प्रदान और जी20 देशों के बीच सहयोग को मजबूत करने के लिए एक अच्छा मंच प्रदान करता है। भारत की जी20 अध्यक्षता के मूल विषय “एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य” के अनुरूप, कृषि मुख्य वैज्ञानिकों की बैठक खाद्य और पोषण सुरक्षा, जलवायु परिवर्तन के प्रति लचीलापन, एक स्वास्थ्य दृष्टिकोण, डिजिटल कृषि और अनुसंधान, शिक्षा और विस्तार के लिए सार्वजनिक-निजी भागीदारी पर चर्चा को आगे बढ़ाएगी।

भारत की अध्यक्षता में 12वीं कृषि मुख्य वैज्ञानिकों की बैठक में स्वस्थ लोगों और धरती के लिए सतत कृषि तथा खाद्य प्रणाली के विषय की पहचान की गई है। इस विषय में चार प्राथमिकता वाले क्षेत्र हैं जिन पर चर्चा केंद्रित होगी। ये क्षेत्र हैं, सबसे पहले खाद्य सुरक्षा और पोषण – विज्ञान और प्रौद्योगिकी में सीमाओं की भूमिका; दूसरा जलवायु अनुकूल कृषि और एक स्वास्थ्य के दृष्टिकोण के माध्यम से लचीलापन और टिकाऊ कृषि का निर्माण, तीसरा कृषि परिवर्तन के लिए डिजिटलीकरण और अंत में अनुसंधान और विकास के लिए सार्वजनिक-निजी भागीदारी। बैठक में महर्षि पहल यानी मिलेट और अन्य प्राचीन अनाज अंतर्राष्ट्रीय अनुसंधान पहल शामिल होगी। यह अंतर्राष्ट्रीय पहल अंतर्राष्ट्रीय मिलेट वर्ष 2023 के साथ कृषि-जैव विविधता, खाद्य सुरक्षा और पोषण के संबंध में अनुसंधान और जागरूकता पर ध्यान केंद्रित करेगी।

इन क्षेत्रों में, विज्ञान आधारित तकनीकी और अभिनव समाधानों को साझा करने में मदद करने के लिए जी20 देशों के एक साथ आने के विकल्पों का पता लगाया जाएगा। यह आयोजन कृषि के क्षेत्र में अनुसंधान, शिक्षा और विस्तार में सहयोग के नए अवसर प्रदान करेगा और अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक सहयोग के लिए जी20 फोरम को मजबूत करेगा। मैं इस आयोजन की सफलता की कामना करता हूं।”

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