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कभी शिवरंजनी के पिता पर लगा था फ्री की जगह बागेश्वर धाम में पैसे लेकर तेल बेचने का आरोप

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भोपाल. शिवरंजनी तिवारी नाम की MBBS की जो छात्रा बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र शास्त्री से मिलने पहुंची है, उसके पिता कभी बागेश्वर धाम में तेल बेचने आए थे। शिवरंजनी की यात्रा में जो कार शामिल है, उस पर भी तेल का विज्ञापन चस्पा है। खुद शिवरंजनी के पिता बैजनाथ और बागेश्वर धाम से जुड़े लोगों ने इस मामले से पर्दा उठाया। गंगोत्री से पदयात्रा कर पंडित धीरेंद्र शास्त्री से मिलने पहुंची शिवरंजनी के पिता बैजनाथ कुछ समय पहले बागेश्वर धाम आए थे। बागेश्वर धाम कमेटी के सदस्य सुंदर रैकवार ने बताया कि वे अपने साथ मार्कंडेय नाम का तेल लेकर आए थे। उन्होंने यहां आने वाले भक्तों को यह तेल वितरित किया था। उन्होंने इसे फ्री में बांटने की बात कही थी, लेकिन कुछ समय बाद वे पैसे लेकर तेल बेचने का काम करने लगे।

बैजनाथ तिवारी पर आरोप लगा कि उन्होंने तेल की शीशी पर पंडित धीरेंद्र शास्त्री के दादा गुरु जी की फोटो लगा दी। इस बात की जानकारी धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री तक भी पहुंची। जिसके बाद बागेश्वर धाम कमेटी ने बैजनाथ तिवारी को धाम से चले जाने का आग्रह किया। साथ ही दादा जी फोटो लगी तेल की शीशियों को भी उनसे ले लिया गया। धीरेंद्र शास्त्री ने स्पष्ट किया था कि धाम में आने वाले किसी भी व्यक्ति से किसी भी प्रकार से रुपए नहीं लिए जाते हैं। यहां की सेवा पूर्णतया नि:शुल्क है।

तेल के बदले हमने किसी से रुपए नहीं लिए
इस मामले में बैजनाथ तिवारी ने अपना पक्ष रखा। उन्होंने कहा कि मैं बागेश्वर बाला जी का शिष्य हूं और शिवरंजनी तिवारी का पिता हूं। नवंबर में मैं और मेरा बेटा दर्शन के लिए बागेश्वर धाम आए थे। हम वृद्धाश्रम, अनाथ आश्रम और गौशाला में मार्कण्डेय तेल वितरित करते हुए चलते हैं। कोई यह नहीं कह सकता है कि तेल के बदले हमने किसी से रुपए लिए। हमने न तो किसी को तेल बेचा, न ही यह कहा कि हमारी बोतल रख लो और तेल का प्रचार करो।

बैजनाथ तिवारी के मुताबिक बागेश्वर धाम में भी हमने भक्तों को तेल वितरित किया। एक दिन राम दरबार में महाराज श्री ने स्वयं कहा कि धाम में तेल मिल रहा है। हम तेल नारियल वितरण केंद्र के भीतर बैठकर बांट रहे थे। हमने दो दिनों तक तेल का वितरण किया। यदि हमें भीतर बैठाकर तेल का वितरण करने को कहा गया तो आप खुद बताएं किसकी अनुमति रही होगी। अब आप कुछ भी समझें कि सहमति महाराज जी की थी, या फिर समिति प्रबंधन या ट्रस्ट की।

हमें भक्तों से चढ़ावा मिला, महाराज जी ने कहा, इसे अपने पास ही रखिए

बैजनाथ तिवारी ने बताया कि मैं यह सोचकर यहां आया था कि बालक का जनेऊ करा देंगे। तेल वितरण के दौरान हमें भक्तों की ओर से कुछ चढ़ावा मिला। हमने दो दिनों में करीब 500 बोतल तेल का वितरण किया था। चढ़ावे की राशि एक टब में एकत्रित की। यह करीब 30 से 35 हजार रुपए रही होगी। हमने समिति के लोगों को बताया था कि यह जो राशि जमा हुई है। यह अन्नपूर्णा क्षेत्र में मेरे बेटे का जो जनेऊ होगा, उसके लिए है। हमने सेवादारों ने कहा कि हमें गुरुजी तक पहुंचा दीजिए, जिससे हम इस राशि को वहां पर समर्पित कर सकें। इसके बाद हम महाराज जी के पास गए। जब मेरे बालक ने उन्हें बांसुरी सुनाई और दक्षिणा समर्पित की, तो महाराज जी ने कहा- इसे अपने पास ही रखिए।

तेल की शीशी पर तस्वीर मार्कण्डेय ऋषि की

शिवरंजनी के पिता ने आगे बताया कि अगले दिन जब हम धाम पर पहुंचे तो समिति के लोगों ने हमें चले जाने के लिए कहा। शायद उन्हें लगा हम यहां तेल का व्यापार करने आए हैं। उनके कहने पर हम चले गए। पूरा बागेश्वर धाम जानता है कि 3 दिनों तक तो हमने अंदर तेल बांटा। हमने तो सेवादारों को अपने आने का उद्देश्य पहले ही बता दिया था। इसके बाद ही वे हमें अंदर ले गए थे। परमिशन तो गुरुजी ने ही दिया होगा ना। रही बात मार्कण्डेय तेल की शीशी पर लगी तस्वीर की तो यह तस्वीर दादा गुरू की नहीं मार्कण्डेय ऋषि की है।

साभार : दैनिक भास्कर

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