नई दिल्ली (मा.स.स.). आज हम इतिहास के एक महत्वपूर्ण मोड़ पर खड़े हैं। अनेक संकटों से ग्रस्त विश्व में Climate Change, पर्यावरण सुरक्षा और ऊर्जा सुरक्षा, आज के समय की सबसे बड़ी चुनौतियों में से हैं। इन बड़ी चुनौतियों का सामना करने में एक बाधा यह है कि हम climate change को केवल ऊर्जा के परिप्रेक्ष्य से देखते हैं। हमें अपनी चर्चा का स्कोप बढ़ाना चाहिए।
भारतीय सभ्यता में पृथ्वी को माँ का दर्जा दिया गया है। और इन सभी चुनौतियों के समाधान के लिए हमें पृथ्वी की पुकार सुननी होगी। उसके अनुरूप अपने आप को, अपने व्यवहार को बदलना होगा। इसी भावना से भारत ने पूरे विश्व के लिए Mission LiFE, International Solar Alliance, Coalition for Disaster Resilient Infrastructure, Mission Hydrogen, Biofuel Alliance, Big Cat Alliance जैसे institutional solutions की रचना की है। आज भारत के किसान “per drop more crop” के मिशन पर चलते हुए पानी की एक एक बूँद बचा कर प्रगति और विकास की राह पर चल रहे हैं। हम Net Zero by 2070 के हमारे लक्ष्य की ओर तेज़ी से बढ़ रहे हैं।
हमारे विशाल रेलवे नेटवर्क ने 2030 तक Net Zero पहुँचने का निर्णय लिया है। इस समय भारत में Renewable Energy की installed capacity लगभग 175 गीगावॉट है। 2030 यह 500 गीगावॉट पहुँच जाएगी। हमारे सभी प्रयासों को हम पृथ्वी के प्रति अपना दायित्व मानते हैं। यही भाव हमारे विकास की नींव हैं और हमारी विकास यात्रा के महत्वाकांक्षी goals मे निहित हैं। भारत की विकास यात्रा में environmental commitments एक बाधा नहीं बल्कि catalyst का काम कर रहे हैं। Climate Action की दिशा में आगे बढ़ते हुए हमें Green और Clean Technology supply chains को resilient बनाना होगा। अगर हम जरूरतमंद देशों को technology transfer और affordable financing उपलब्ध नहीं कराएँगे, तो हमारी चर्चा केवल चर्चा ही रह जायेगी। जमींन पर बदलाव नहीं आ पायेगा।
मैं गर्व से कहता हूँ कि भारत के लोग पर्यावरण के प्रति conscious हैं और अपने दायित्वों को समझते हैं। सदियों से इस दायित्व का भाव हमारी रगों में बह रहा है। भारत सभी के साथ मिलकर अपना योगदान देने के लिए पूरी तरह से तैयार है।
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