नई दिल्ली. विदेश मंत्री एस जयशंकर ने लोकसभा में भारत से विदेश जाने वाले भारतीयों को लेकर बहुत अहम जानकारी दी है. एस जयशंकर ने लोकसभा में बताया कि अब तक 87,000 से अधिक भारतीयों ने अपनी नागरिकता छोड़ दी है. एक सवाल का लिखित जवाब देते हुए विदेश मंत्री ने बताया कि ये संख्या जून 2023 तक दर्ज की गई है. एस जयशंकर ने बताया कि इन आकड़ों के साथ ही 2011 के बाद से 17.50 लाख से अधिक भारतीयों ने अपनी भारतीय नागरिकता छोड़ दी है. नागरिक छोड़ने वाले लोग अब उस देश के नागरिक बन गए हैं, जहां वे जाकर बसे हैं.
क्या है नागरिकता छोड़ने की वजह?
जयशंकर ने कहा कि इनमें से कई ने व्यक्तिगत सुविधा की वजह से विदेशी नागरिकता लेने का विकल्प चुना है. इसके अलावा पिछले दो दशकों में वैश्विक कार्यस्थल की खोज करने वाले भारतीय नागरिकों की संख्या महत्वपूर्ण रही है. भारत दोहरी नागरिकता की पेशकश नहीं करता है. जिसके चलते जब भारतीय विदेश जाते है तो जिस देश में वे गए है, उसके लिए पीआर सुरक्षित करने के लिए उन्हें कभी-कभी अपनी भारतीय नागरिकता छोड़ने की आवश्यकता होती है.
कितनों ने कब-कब छोड़ी नागरिकता?
विदेश मंत्री ने लोकसभा में कहा कि 2022 में 2,25,620 भारतीयों ने अपनी नागरिकता छोड़ दी जबकि 2021 में उनकी संख्या 1,63,370 और 2020 में 85,256 थी. वहीं 2019 में 1,44,017, 2018 में 1,34,561, 2017 में 1,33,049, 2016 में 1,41,603 भारतीयों ने अपनी नागरिकता छोड़ी. इसके अलावा 2015 में 1,31,489 और 2014 में 1,29,328 ने भारतीयों ने नागरिकता छोड़ दी.
किस देश को लोग कर रहे हैं पसंद?
भारत छोड़कर विदेश में रहने वाले भारतीयों को कौन सा देश सबसे ज्यादा पंसद आ रहा है, इस बारे में विदेश मंत्रालय की आधिकारिक वेबसाइट पर दी गई जानकारी से अंदाजा लगता है. विदेश मंत्रालय की ऑफिशियल वेबसाइट के अनुसार, 2021 में कुल 78,284 लोगों को अमेरिकी नागरिकता मिल गई. इसमें बताया गया कि दूसरे नंबर पर ऑस्ट्रेलिया को भारतीय पसंद कर रहे हैं. 2021 के डेटा के मुताबिक 23,533 लोगों को ऑस्ट्रेलिया की नागरिकता मिली. इसके अलावा तीसरे नंबर पर कनाडा है. जहां 2021 में 21,597 लोग कनाडा के नागरिक बने. चौथे और पांचवें नंबर पर लोगों की पसंद यूके और इटली हैं.
साभार : एबीपी न्यूज़
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