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भारत में 2028 तक प्रति यूजर इन्टरनेट प्रयोग 62 जीबी डेटा हो जायेगा

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नई दिल्ली. आजकल डेटा का इस्तेमाल कौन नहीं करता है। आजकल सबके हाथ में स्मार्टफोन देखने को मिल ही जाता है। इन्ही डेटा को लेकर एक रिपोर्ट सामने आई है जिसे जानकार आप चौक सकते हैं। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि 2028 तक भारतीय प्रति माह प्रति यूजर 62 जीबी डेटा की खपत दुनिया में सबसे अधिक करेंगे, जो अमेरिका, पश्चिमी यूरोप, दक्षिण कोरिया और चीन जैसे विकसित बाजारों से आगे है। दुनिया की सबसे सस्ती डेटा दरें, 5जी नेटवर्क की वृद्धि और किफायती स्मार्टफोन की तेज पहुंच देश में लोगों को ऑनलाइन बनाए रखेगी।

एरिक्सन मोबिलिटी कि रिपोर्ट में हुआ खुलासा

एरिक्सन मोबिलिटी रिपोर्ट (जून 2023) में किए गए पूर्वानुमानों के अनुसार, 5G भारत में तेजी से वृद्धि के लिए तैयार है, जो दुनिया में सबसे तेज रैंप-अप में से एक है क्योंकि 2022 के अंत में देश में उपभोक्ताओं की संख्या 10 मिलियन से बढ़ जाएगी। 2028 के अंत तक इसे 700 मिलियन तक बढ़ने की उम्मीद है। इससे भारत दुनिया भर में 5जी ग्राहकों के लिए दूसरा सबसे बड़ा एकल बाजार बन जाएगा, जबकि चीन 1,310 मिलियन यूजर्स के साथ सबसे बड़ा बाजार होगा।

4G यूजर्स में आ सकती है कम

5G में बढ़ोतरी ऐसे समय में भी होगी जब भारत में 4G ग्राहकों की संख्या में गिरावट शुरू हो जाएगी क्योंकि मोबाइल नेटवर्क तेजी से अगली पीढ़ी के 5G में बदल जाएगा, हालांकि टैरिफ में बहुत ज्यादा बदलाव नहीं होंगे। अनुमान है कि 4जी सब्सक्रिप्शन 2022 में 820 मिलियन से घटकर 2028 तक 500 मिलियन हो जाएगा। एरिक्सन रिपोर्ट (Ericsson Mobility Report) में कहा गया है कि भारत में उपभोक्ता डाटा खपत 2022 और 2028 के बीच 16% की सीएजीआर से बढ़ेगी, जो 2022 के अंत में दर्ज 26 जीबी (प्रति यूजर प्रति माह) से बढ़ जाएगी। इस क्षेत्र में कुल मोबाइल सब्सक्रिप्शन 2028 में बढ़कर 1.2 बिलियन होने का अनुमान है।

साल 2028 में 93% हो सकता है स्मार्टफोन सब्सक्रिप्शन

एरिक्सन का अनुमान है कि कुल मोबाइल यूजर के प्रतिशत के रूप में भारत में स्मार्टफोन सब्सक्रिप्शन 2022 में 76% से बढ़कर 2028 में 93% हो जाएगा। एरिक्सन इंडिया के प्रमुख नितिन बंसल ने कहा है कि “मोबाइल नेटवर्क देश में सामाजिक और आर्थिक समावेशन को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। भारत में स्थापित किया जा रहा मजबूत डिजिटल बुनियादी ढांचा देश को डिजिटल विभाजन को पाटने में मदद करेगा।”

साभार : दैनिक जागरण

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