बेंगलुरू. कर्नाटक की सत्ता में वापस आनेवाली कांग्रेस ने बजरंग दल जैसे संगठनों को बैन करने का वादा किया था। वहीं आरएसएस पर भी प्रतिबंध लगाने की चर्चा है। ऐसे में प्रस्तावित प्रतिबंध को लेकर कांग्रेस के भीतर ही मतभेद हो गए हैं। प्रियांक खरगे ने बयान दिया था कि अगर राज्य में शांति भंग होती है तो सरकार भगवा संगठन पर प्रतिबंध लगाएगी। वहीं खरगे के बयान का वरिष्ठ मंत्री जी परमेश्वर ने खंडन किया है। परमेश्वर ने कहा कि इस मुद्दे पर पार्टी के भीतर कोई चर्चा नहीं हुई और खरगे ने जो विचार व्यक्त किए हैं, वह उनके व्यक्तिगत विचार हैं।
जी परमेश्वर ने कहा, ‘आरएसएस, बजरंग दल या पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) पर प्रतिबंध के बारे में हमारी कोई चर्चा नहीं हुई है। अभी इस तरह के मुद्दों पर चर्चा करने का समय नहीं आया है।’ जी परमेश्वर ने कहा, ‘हमने इस बारे में कोई चर्चा नहीं की, घोषणा पत्र में हमने बजरंग दल और पीएफआई के बारे में कहा था कि अगर वे शांति भंग करते हैं, तो हम उनके खिलाफ कार्रवाई करेंगे, जरूरत पड़ने पर उन्हें प्रतिबंधित करने की हद तक भी जाएंगे। इसके अलावा इस मुद्दे पर बात नहीं हुई है।’
भले ही परमेश्वर ने इस विषय को कम करने की कोशिश की, वहीं खरगे ने इस बयान को फिर दोहराया। दिल्ली पहुंचे प्रियांक खरगे ने कहा कि उनकी पार्टी बजरंग दल और आरएसएस पर प्रतिबंध लगाने की तैयारी कर रही है। इसके अलावा उन्होंने यह भी दावा किया कि कर्नाटक में बीजेपी सरकार के विवादास्पद कानूनों को बदलने की भी तैयारी है। इस बीच, विधानसभा चुनाव में पूर्व सीएम जगदीश शेट्टार को हराने वाले भाजपा विधायक महेश तेंगिनाकायी ने गुरुवार को बजरंग दल और आरएसएस की तुलना पीएफआई और एसडीपीआई से करने वाले मंत्री को चेतावनी दी। उन्होंने कहा कि मुसीबत को न्योता न दें। विधायक ने कहा, ‘बजरंग दल और आरएसएस पर प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव करना अनुचित है। लोगों ने आपको जो अवसर दिया है, उसका सही उपयोग करें।’
साभार : नवभारत टाइम्स
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