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एसजीपीसी ने गुरुद्वारा एक्ट संशोधन बिल को मानने से किया इनकार

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चंडीगढ़. शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) ने सिख गुरुद्वारा एक्ट-1925 में संशोधन को सिरे से खारिज कर दिया है। एसजीपीसी के जनरल हाउस में सिख संगत ने सर्वसम्मति से इस संशोधन विधेयक के विरोध में प्रस्ताव पारित कर दिया। मुख्यमंत्री भगवंत मान की ओर से 20 जून को विधानसभा में लाए गए इस बिल को ध्वनि मत से पारित किया गया था। इसमें प्रावधान किया गया है कि श्री हरमंदिर साहिब से गुरबाणी के प्रसारण के अधिकार किसी एक चैनल को न देकर सभी चैनलों को निशुल्क दिए जाएंगे।

एसजीपीसी ने इस बिल को गैर-सांविधानिक और गैर-कानूनी करार दिया। अब जनरल हाउस में पास प्रस्ताव की प्रतियां पंजाब के राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को सौंपी जाएंगी। एसजीपीसी अध्यक्ष ने विशेष बैठक के बाद मीडिया से कहा कि इस बिल को किसी सूरत में लागू नहीं होने दिया जाएगा। अगर हम आज झुक गए तो एसजीपीसी का अस्तित्व खत्म हो जाएगा। उन्होंने इसे दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की सिख विरोधी साजिश और एसजीपीसी पर कब्जा करने का प्रयास बताया। धामी ने कहा कि सीएम मान अपने आका केजरीवाल के इशारे पर अगले चुनाव में एसजीपीसी पर कब्जा करना चाहते हैं।

दाढ़ी का मजाक उड़ाने के विरोध में भी प्रस्ताव

मुख्यमंत्री भगवंत मान की ओर से विधानसभा में शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर बादल की दाढ़ी पर टिप्पणी करने के विरोध में भी हाउस में प्रस्ताव पास किया गया। इसके अलावा विधायक बुद्ध राम द्वारा श्री गुरु ग्रंथ साहिब की गुरबाणी में दर्ज भगतों व भट्टों का निरादर करने के लिए भी मान व बुद्ध राम को सार्वजनिक तौर से सिख पंथ से माफी मांगने की मांग की गई। धामी ने कहा कि सीएम मान ने आपत्तिजनक टिप्पणियां कर सिख मर्यादा का घोर अपमान किया है।

श्री अकाल तख्त साहिब से शुरू होगा मार्च

धामी ने बताया कि गुरुद्वारा एक्ट में संशोधन के लिए एसजीपीसी के जनरल हाउस का बहुमत जरूरी है। संसद संशोधन प्रस्ताव को तभी मंजूरी देती है, जब इसे जनरल हाउस में पारित किया जाता है और केंद्र को भेजा जाता है। अगर सरकार फिर भी नहीं मानी तो हम श्री अकाल तख्त साहिब से मार्च शुरू करेंगे। इसके परिणाम के लिए पंजाब सरकार जिम्मेदार होगी। मुख्यमंत्री मान ही नहीं, बल्कि केंद्र को भी संशोधन का अधिकार नहीं है।

मास्टर तारा सिंह व पंडित नेहरू में हुआ था समझौता 

धामी ने 1959 में पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू और शिरोमणि अकाली दल के नेता मास्टर तारा सिंह के बीच हुए समझौते का उल्लेख करते हुए कहा कि इसमें स्पष्ट है कि केंद्र सरकार एसजीपीसी की ओर से संशोधन की केंद्र को की गई सिफारिश के मद्देनजर ही संसद में इसे पास कर कानून का रूप दिया जा सकता है।

मुझे गालियां देने का प्रस्ताव पारित कर इजलास खत्मः मान

एसजीपीसी के जनरल हाउस पर मुख्यमंत्री भगवंत मान ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने ट्वीट किया- शिरोमणि अकाली दल बादल के ‘मुख्य प्रवक्ता’ हरजिंदर सिंह धामी जी, आज के इजलास में पवित्र गुरबाणी के सब को मुफ्त प्रसारण के बारे में कोई विचार-विमर्श हुआ या फिर मुझे गालियां देने का प्रस्ताव पारित करके इजलास खत्म?… धामी साहब लोग सब देख रहे हैं… कबूतर के आंखें मूंद लेने से बिल्ली नहीं भागती…।

साभार : अमर उजाला

 

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