गाजा. इजरायल ने संयुक्त राष्ट्र प्रमुख पर इजराइल के खिलाफ पूर्वाग्रह रखने का आरोप लगाते हुए कहा कि उन्हें देश में घुसने पर बैन लगा दिया. इजरायल ने आरोप लगाया है कि संयुक्त राष्ट्र महासचिव ईरान के बड़े मिसाइल हमले की “स्पष्ट रूप से निंदा” नहीं की. इजरायल के विदेश मंत्रालय के एक सोशल मीडिया पोस्ट में कहा गया, “जो कोई भी इजराइल पर ईरान के जघन्य हमले की स्पष्ट रूप से निंदा नहीं कर सकता, जैसा कि दुनिया के लगभग हर देश ने किया है, वह इजराइल की धरती पर कदम रखने के लायक नहीं है.”
पोस्ट में यह भी कहा गया कि गुटेरेस ने अभी तक 7 अक्टूबर को हमास के हत्यारों ने जो नरसंहार और यौन अत्याचार किए थे, उनकी भी निंदा नहीं की है. ना ही उन्होंने हमास को आतंकवादी संगठन घोषित किया है. पोस्ट में लिखा है, ‘एक महासचिव जो हमास, हिज्बुल्लाह, हूति और अब आतंक की जननी ईरान के आतंकवादियों, बलात्कारियों और हत्यारों को समर्थन देता है- उसे संयुक्त राष्ट्र के इतिहास पर एक दाग के रूप में याद किया जाएगा. एंटोनियो गुटेरेस के साथ या उनके बिना, इजरायल अपने नागरिकों की रक्षा करना और अपनी राष्ट्रीय गरिमा को बरकरार रखना जारी रखेगा.’
बता दें, मंगलवार को ईरान ने इजरायल पर मिसाइलों की बौछार कर दी थी. ईरान ने इसके हिज्बुल्लाह और हमास के नेताओं की हत्या के खिलाफ हमला बताया था. इस मामले में अमेरिका इजरायल के साथ आ गया. ईरान (Iran) ने इजरायल पर ताबड़तोड़ मिसाइलें दागकर उसे उकसाने की कोशिश की है. बेंजामिन नेतन्याहू (Benjamin Netanyahu) ने चेतावनी दी है कि अंजाम भुगतना पड़ेगा. इजरायली सेना भी बदला लेने के लिए पूरी तरह से तैयार दिख रही है. इजरायली डिफेंस फोर्स ने कहा है कि वक्त और जगह हम चुनेंगे. ऐसे में सवाल ये भी उठ रहा है कि तेहरान के बैलिस्टिक मिसाइल हमले का जवाब इजरायल कहीं उसकी इकॉनोमी की कमर तोड़कर तो नहीं देगा.
ईरान के इजरायल पर बैलिस्टिक मिसाइल से हमले के बाद अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने एक्स पर एक पोस्ट कर कहा कि अमेरिका इजरायल को ईरानी हमलों से बचाने के लिए और रक्षा करने में मदद के लिए अमेरिकी सेना भेजने को तैयार है.
साभार : एनडीटीवी
भारत : 1885 से 1950 (इतिहास पर एक दृष्टि) व/या भारत : 1857 से 1957 (इतिहास पर एक दृष्टि) पुस्तक अपने घर/कार्यालय पर मंगाने के लिए आप निम्न लिंक पर क्लिक कर सकते हैं